हनुमान चालीसा दुनिया की सबसे सरल और शक्तिशाली स्तुति है - इसकी हर चौपाई अलग अलग रूप से शक्तिशाली हैहनुमान चालीसा दुनिया की सबसे सरल और शक्तिशाली स्तुति है - इसकी हर चौपाई अलग अलग रूप से शक्तिशाली है

जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना, 18 मई ::

भारतीय संस्कृति में श्री राम भक्त हनुमान जी का बहुत महत्व है। हनुमान जी का नाम आते ही शरीर में एक अद्भुत शक्ति का संचार होने लगता है।दुनियाँ में लोगों की आस्था हनुमान जी के प्रति अवर्णनीय है। कहा जाता है कि अगर किसी को कभी भी- कहीं भी, डर या भय लगता है तो हनुमान जी का नाम लेने से भय और डर दूर हो जाता है। इतना ही नहीं, यदि हनुमान चालीसा का कोई पाठ करता है तो सोने में सुहागा होता है क्योंकि जीवन की हर समस्या का समाधान हनुमान चालीसा द्वारा किया जा सकता है। हनुमान चालीसा दुनिया की सबसे सरल और शक्तिशाली स्तुति है। इसकी हर चौपाई अलग अलग रूप से शक्तिशाली है।

शास्त्रों के अनुसार, माता सीता के वरदान के प्रभाव से बजरंगबली को अमर बताया गया है। ऐसा माना जाता है आज भी जहां रामचरित मानस या रामायण या सुंदरकांड का पाठ पूरी श्रद्धा एवं भक्ति से किया जाता है वहां हनुमान जी अवश्य प्रकट होते हैं।

बुरी आत्माओं को भगाने, साढ़े साती का प्रभाव कम करने, पाप से मुक्ति पाने, कष्ट-बाधा हटाने के लिए हनुमान चालीसा का नियमित पाठ करना चाहिए। मान्यता है कि हनुमान जी अत्यंत बलशाली हैं इसलिए हनुमान जी को भगवान माना जाता है और हर बुरी आत्माओं का नाश कर लोगों को उससे मुक्ति दिलाते हैं।

साढ़ेसाती का प्रभाव कम करने के लिए हनुमान चालीसा पढ़ना चाहिए, इससे शनिदेव खुश होते है। इस संदर्भ में कहा जाता है कि हनुमान जी ने शनिदेव की जान की रक्षा की थी, और फिर शनि देव, खुश हो कर यह कहा था कि आज के बाद से, किसी भी व्यक्ति को , जो हनुमान भक्त रहेगा, उसको कोई नुकसान नहीं करेगें।

पाप से मुक्ति पाने के लिए व्यक्ति को प्रतिदिन रात के समय हनुमान चालीसा का 8 बार पाठ करना चाहिए। ऐसा करने से सभी प्रकार के पाप से मुक्ति मिलती है। इतना ही नहीं बल्कि कभी ना कभी जानबूझकर या फिर अनजाने में ही गलतियां होती है उसकी भी माफी हनुमान चालीसा पढ़ने से मिल जाता है।

जो भी व्यक्ति हनुमान चालीसा का पाठ रात को करता है, उसे हनुमान जी स्वयं आ कर सुरक्षा प्रदान करते है। इसलिए बचपन से ही सिखाया जाता है कि अगर कभी भी मन अशांत लगे या फिर किसी चीज से डर लगे तो, तुरंत हनुमान चालीसा पढ़ना शुरू कर देना चाहिए। ऐसा करने से मन शांत होता है और डर भी नहीं लगता।

हिन्दू धर्म में हनुमान चालीसा का बड़ा ही महत्व है। हनुमान-चालीसा एक ऐसी कृति है, जो हनुमान जी के माध्यम से व्यक्ति को उसके अंदर विद्यमान गुणों का बोध कराती है। इसके पाठ और मनन करने से बल बुद्धि जागृत होती है। हनुमान-चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति खुद अपनी शक्ति, भक्ति और कर्तव्यों का आंकलन कर सकता है।

जिन लोगों को रात में डर लगता है या फिर डरावने विचार मन में आते रहते हैं, उन्हें रोज हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिये। हनुमान चालीसा का पूरा पाठ करने में लगभग 10 मिनट लगता है। इसके लिए हनुमान जी और इनके आराध्य मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम जी के फोटो को रख कर, उनके समक्ष जल से भरा पात्र रखना चाहिए और सबसे पहले भगवान राम और फिर हनुमान जी का ध्यान करने के बाद हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। पाठ के बाद जल को प्रसाद की तरह ग्रहण करना चाहिए। हमेशा प्रयास करना चाहिए कि हनुमान चालीसा के पाठ करने का समय प्रतिदिन एक ही हो। ऐसे तो चालीसा का पाठ विशेष परिस्थिति में यात्रा और सोते समय भी किया जा सकता है।

हनुमान चालीसा की हर चौपाई और दोहे चमत्कारी हैं, लेकिन कुछ चौपाइयां ऐसे हैं जो बहुत जल्द असर करता है। इसे सिद्ध भी किया जा सकता है। हनुमान चालीसा का पाठ सिद्ध कर लेने से साधक चमत्कारी हो जाता है क्योंकि इसे सम्पूर्ण रूप से बहुत प्रभावशाली माना गया है।

शारीरिक कमजोरियों से मुक्ति के लिए “रामदूत अतुलित बल धामा। अंजनिपुत्र पवनसुत नामा।”, सुबुद्धि की प्राप्ति के लिए “महाबीर बिक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी।।”, विद्या धन की प्राप्ति के लिए “बिद्यबान गुनी अति चातुर। रामकाज करीबे को आतुर।।”, शत्रुओं से परेशान होने और कोई रास्ता दिखाई न देने पर “भीम रूप धरि असुर संहारे। रामचंद्रजी के काज संवारे।।”, भयंकर बीमारियों से मुक्ति के लिए “लाय संजीवन लखन जियाये। श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।।”, यह सभी मंत्र प्रमाणित है।

ऐसे भी देखा जाय तो सभी देवी-देवताओं की प्रमुख स्तुतियों में सम्भवतः चालिस ही दोहे होते हैं। विद्वानों के मतानुसार चालीसा यानि चालीस, हमारे देवी-देवताओं की स्तुतियों में चालीस स्तुतियां ही सम्मिलित किया गया है। जैसे हनुमान चालीसा, दुर्गा चालीसा, शिव चालीसा आदि। चालीस चौपाइयां हमारे जीवन की संपूर्णता का प्रतीक होता हैं, इसलिए इनकी संख्या चालीस निर्धारित की गई है, क्योंकि मनुष्य का जीवन 24 तत्वों से निर्मित है और संपूर्ण जीवन काल में इसके लिए कुल 16 संस्कार निर्धारित किए गए हैं। इन दोनों का योग 40 होता है। इन 24 तत्वों में 5 ज्ञानेंद्रिय, 5 कर्मेंद्रिय, 5 महाभूत, 5 तन्मात्रा, 4 अन्तःकरण शामिल होता है। भगवान श्रीराम के परम भक्त हनुमान जी सबसे जल्दी प्रसन्न होने वाले देवताओं में से एक हैं।
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