बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग एक ऐसा ज्योतिर्लिंग है जहां ज्योतिर्लिंग और शक्तिपीठ दोनों एक ही प्रांगण में स्थापित हैबैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग एक ऐसा ज्योतिर्लिंग है जहां ज्योतिर्लिंग और शक्तिपीठ दोनों एक ही प्रांगण में स्थापित है

जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना, 18 मई, 2024 ::

पुराणों में द्वादश ज्योतिर्लिंगों का वर्णन किया गया है। मान्यता है कि जहां-जहां ज्योतिर्लिंग है वहां स्वयं देवाधिदेव महादेव शिवलिंग के रूप में विराजमान हैं। यह भी मान्यता यह भी है कि 12 ज्योतिर्लिंग का नाम जप के रूप में करते रहने से पिछले सात जन्मों के पाप से मुक्त होकर मोक्ष पाया जा सकता है। ज्योतिर्लिंग में पहली मान्यता सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की है।

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग

यह ज्योतिर्लिंग गुजरात के प्रभास क्षेत्र में अवस्थित है। सोमनाथ मंदिर एक हजार वर्षों में लगभग छह बार ध्वस्त और पुनर्निर्माण हुआ है। इस मंदिर पर पहला हमला ईस्वी 1022 में मुस्लिम आतंकी महमूद गजनवी ने किया था। भारत में स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद सरदार वल्लभभाई पटेल ने इस मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया था। यह मंदिर, गर्भगृह, सभामंडप और नृत्यमंडप तीन प्रमुख भागों में विभाजित है। इसका शिखर 150 फिट ऊंचा है। मंदिर के शिखर पर स्थित कलश का भार दस टन और ध्वजा 27 फुट ऊंची है।

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग

ज्योतिर्लिंग में दूसरा स्थान मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग का है। मल्लिकार्जुन आंध्रप्रदेश के कृष्णा जिले के कृष्णा नदी के समीप श्रीशैल पर्वत पर स्थित है। शैल पर्वत को दक्षिण भारत का कैलाश पर्वत भी कहा जाता है। एक कथा के अनुसार जब कार्तिकेय जी पृथ्वी की परिक्रमा कर वापस लौटे तब गणेश जी की लीला देख कर चौक गए और गुस्से में विशाल पर्वत की ओर चल पड़े, तब कार्तिकेय को मनाने माता पार्वती जी भी पर्वत की ओर पहुंचीं, इसके बाद भोलेनाथ शिव जी ने यहां ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हो दर्शन दिए। तभी से शिव जी का यह ज्योतिर्लिंग मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के नाम से विख्यात है।

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग

तीसरा ज्योर्तिलिंग महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग है । महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के उज्जैन में शिप्रा (क्षिप्रा) नदी के किनारे स्थित है। ज्योतिर्लिंग में महाकाल की एक सर्वोत्तम शिवलिंग है। कहा जाता हैं –

आकाशे तारकं लिंगं पाताले हाटकेश्वरम्। भूलोके च महाकलो लिंड्गत्रय नमोस्तु ते।।

अर्थात आकाश में तारक शिवलिंग, पाताल में हाटकेश्वर शिवलिंग तथा पृथ्वी पर महाकालेश्वर शिवलिंग का विषेश मान्यता है।

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग

चौथा ज्योर्तिलिंग ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग है। ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग भी मध्यप्रदेश की नर्मदा नदी में एक शिवपुरी नामक द्वीप पर स्थापित है। यहां मान्धाता नाम का एक राजा ने जनकल्याण के लिए शिव की घोर तपस्या की थी, तपस्या से प्रसन्न हो कर शिव जी जनकल्याण के लिए यहां ज्योतिर्लिंग के रूप में अवतरित हुए थे। यहां राजा के नाम पर शिवपुरी द्वीप का नाम मान्धाता पर्वत नाम रखा गया है। यहां दो अलग-अलग
ओंकारेश्वर और अमलेश्वर शिवलिंग है, लेकिन एक ही लिंग के दो स्वरुप मानकर पूजा अर्चना किया जाता है।

केदारनाथ ज्योतिर्लिंग

पांचवा ज्योर्तिलिंग केदारनाथ ज्योतिर्लिंग है। केदारनाथ ज्योतिर्लिंग उत्तराखंड में हिमालय के समीप स्थित है। केदारनाथ में ग्लेशियर टूटने से प्रलयकारी स्थिति पैदा हुई और आसपास सब जलधारा में बह गया लेकिन केदारनाथ ज्योतिर्लिंग पर प्रलय काल का कोई प्रभाव नहीं पड़ा। केदारनाथ धाम में देवाधिदेव महादेव विराजमान हैं। यहां आने वाले हर भक्त की हर मनोकामना पूरी हो जाती है। महाभारत युद्ध के बाद विजयी पांडव भ्रातृहत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए यहीं आकर शिव अराधना किए थे। यहां आकर शिव भक्तों को शांति शकुन के साथ मोंक्ष प्राप्ति का मार्ग सुलभ हो जाता है।

भीमशंकर ज्योतिर्लिंग

छठा ज्योतिर्लिंग भीमशंकर ज्योतिर्लिंग है। भीमशकर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र में मुंबई से पूर्व पूणे से 100 किलोमीटर उत्तर भीमा नदी के किनारे सह्याद्रि पर्वत पर स्थित है। इस ज्योतिर्लिंग के पौराणिक कथा के अनुसार भगवान राम ने लंकापति रावण के साथ छोटे भाई कुंभकरण का वध किया था। कुंभकरण के वध के बाद उसके पुत्र भीमा का जन्म हुआ। भीमा जब बड़ा हुआ तो उसे भगवान राम द्वारा पिता के वध की जानकारी हुई, यह ज्योतिर्लिंग इसी भीमा से जुड़ी हुई है। भीमशंकर ज्योतिर्लिंग को शिवपुराण में असम राज्य के कामरुप जिले में ब्रह्मपुत्र नदी तट के ऊपर निलांचल पर्वत पर कामाख्या शक्तिपीठ के समीप भीमशकर भैरव को बताया जाता है।

विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग

सातवां ज्योतिर्लिंग विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग है। बाबा विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग उत्तर प्रदेश के वाराणसी काशी में स्थित है। काशी शिव का पावन नगरी है यहां मृत्यु को प्राप्त होने वालों को मोंक्ष प्रदान होने की बात कही जाती है। यहां 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास है। काशी एकमात्र ऐसा नगर है जहां नौ गौरी देवी, नौ दुर्गा, अष्ट भैरव, 56 विनायक और बारह ज्योतिर्लिंग में से 7वां ज्योतिर्लिंग के रूप में बाबा विश्वनाथऔर शक्तिपीठ में मणिकर्णिका घाट पर विशालाक्षी देवी विराजमान है।

त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग

आठवां ज्योतिर्लिंग त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग है। त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के नासिक से 35 किलोमीटर और पंचवटी से 18 मील दूर ब्रह्मगिरि के समीप गौतमी – गोदावरी नदी के किनारे स्थित है। यहां पवित्र नदी गोदावरी का उद्गम स्थान माना जाता है। मुगल बादशाह के छठे शासक औरंगजेब ने 1690 में नासिक के त्र्यम्बकेश्वर मंदिर के अंदर मौजूद शिवलिंग को तुड़वा दिया था। मंदिर को नुकसान पहुंचाने के बाद मंदिर के ऊपर मस्जिद का गुंबद भी बनवा दिया था। इसलिए माना जाता है कि यहां वास्तविक ज्योतिर्लिंग के रूप में शिवलिंग नही है।

वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग

नौवां ज्योतिर्लिंग वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग है। बाबा वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग झारखंड राज्य के देवघर में स्थित है यह 12 ज्योतिर्लिंगों में एकमात्र ऐसा ज्योतिर्लिंग है जहां शक्तिपीठ भी स्थित है। सती का ह्रदय भाग यहां स्थित है। इस शक्तिपीठ को ही ह्रदय शक्तिपीठ देवी दुर्गा मंदिर के नाम से जाना जाता है। एक ही प्रांगण में दोनों मंदिर स्थापित है। इन दोनों मंदिर के शिखर का गठबंधन भक्त गण अपनी मनोकामना पूर्ण होने पर कराते हैं। यहां एशिया का सबसे बड़ा 120 किलोमीटर का मेला श्रावण मास में लगता है देश विदेश से श्रद्धालुओं के आने का तांता लगा रहता है।

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग

दसवां ज्योतिर्लिंग नागेश्वर ज्योतिर्लिंग है। नागेश्वर ज्योतिर्लिंग गुजरात के द्वारका में स्थापित है। कथा अनुसार यहीं पर दारुका नामक राक्षस ने सुप्रिया नामक शिव भक्त को कैद कर लिया था। सुप्रिया द्वारा ओम नमः शिवाय के जाप से भगवान शिव प्रसन्न हुए और यहां आकर दारुका का वध किया और जनकल्याण के लिए आज भी विराजमान हैं। नागेश्वर मंदिर का प्रमुख आकर्षण भगवान शिव की 80 फुट ऊची विशाल प्रतिमा है। यह ज्योतिर्लिंग मंदिर पत्थर से बना है, जिसे द्वारका शिला के नाम से जाना जाता है। इस पर छोटे-छोटे चक्र बने हुए हैं यह चक्र तीन मुखी रुद्राक्ष के आकार का होता है। कुछ लोगों की मान्यता है कि हैदराबाद अन्तर्गत औढ़ा ग्राम में स्थित शिवलिंग को नागेश्वर ज्योतिर्लिंग माना जाता है।

रामेश्वरम् ज्योतिर्लिंग

ग्यारहवां ज्योतिर्लिंग रामेश्वरम् ज्योतिर्लिंग है। रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु के रामनाड जिले में स्थित है। श्रीरामचरित मानस व अन्य पुराणों के अनुसार विष्णु अवतार श्रीराम ने लंका पर चढ़ाई करने से पहले समुद्र से रास्ता मांगने के लिए यहीं समुद्र तट पर अपने अराध्य शिव की पूजा अर्चना की थी। राम कि अराधना से प्रसन्न होकर शिव जी प्रकट हो अपने को राम से जोड़कर श्री रामेश्वरम् ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित हुए।

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग

बारहवां ज्योतिर्लिंग घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग है। घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के औरंगाबाद निकट एलोरा गुफाओं के पास स्थित है। घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग को घुसृणेश्वर ज्योतिर्लिंग भी कहा जाता है। बौद्ध भिक्षुओं द्वारा निर्मित एलोरा की गुफाएं ज्योतिर्लिंग कि खुबसुरती में चार चांद लगा दिया है। घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर का निर्माण अहिल्याबाई होल्कर ने करवाया था। शहर से दूर स्थित यह मंदिर सादगी से परिपूर्ण है। द्वादश ज्योतिर्लिंगों में यह अंतिम ज्योतिर्लिंग है। यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र में दौलताबाद से बाहर मील दूर वेरुलगांव के पास स्थापित है।

सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्। उज्जयिन्यां महाकालमोंकारममलेश्वरम्॥1॥

परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशंकरम्। सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने॥2॥

वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे। हिमालये तु केदारं घृष्णेशं च शिवालये॥3॥

एतानि ज्योतिर्लिंगानि सायं प्रात: पठेन्नर:। सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति॥4॥
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