फेसबुक पर रंगनाथ सिंह का आलेख
एक युवा महिला ने ट्विटर पर कल रात सवा बारह बजे दि हिन्दू में लम्बे समय तक रहे और दि वायर के रेगुलर कंट्रीब्यूटर इंग्लिश पत्रकार पर बेहद गम्भीर आरोप लगाये हैं। उसकी शिकायत पब्लिक डोमेन में है जो नीचे पढ़ी जा सकती है।
दि वायर ने करीब 20 घण्टे बाद बयान जारी किया कि “आरोपों की जांच करेंगे”! ऐसे मामलों में उनकी जाँच पर कम से कम मुझे रत्ती भर भरोसा नहीं है। ऐसे किसी भी मामले में पीड़िता को सबसे पहले पुलिस कम्प्लेन करनी चाहिए। जब तक पीड़िता पुलिस में शिकायत नहीं करती उसे न्याय नहीं मिलेगा।
मैं पीड़िता के लगाए आरोप पढ़कर चौंक गया कि किस तरह एक एजुकेटेड लड़की को ट्रैप करने के बाद उसके संग किए अत्याचार को छिपाने के लिए पोलिटिकल करेक्टनेस का इस्तेमाल किया जा रहा है।

पीड़िता के अनुसार फिजिकली और मेंटली बुरी तरह अब्यूज और टार्चर करने के बाद आरोपी उससे कहता था कि तुमने ये सब पब्लिक किया तो इस केस को लव-जिहाद समझ लिया जाएगा और हिन्दुत्व फोर्सेज इसका फायदा उठाएँगी! पीड़िता के अनुसार आरोपी ने कई अन्य लड़कियों को इसी तरह टार्चर और एक्सप्लॉइट किया है।
पीड़िता के अनुसार आरोपी पत्रकार ने उसे बार-बार बीफ खिलाकर उसका सेकुलरिज्म टेस्ट लिया। पीड़िता के अनुसार उसका बलात्कार करने के बाद रोते-बिलखते समय उसके वीडियो भी बनाए! मगर पीड़िता लम्बे समय तक इस केस पर चुप रही ताकि हिन्दुत्व फोर्सेज फायदा न उठा लें! दर्द के हद से गुजर जाने की स्थिति में जब पीड़िता ने नीचे शेयर नोट लिखा तब भी वह अपने संग हुए अपराध के साथ ही हिन्दुत्व फोर्सेज के फायदा उठाने के प्रति भी चिंतित दिख रही है।
साफ है कि पोलिटिकल करेक्टनेस नई पैट्र्यार्की बन चुकी है! पिछड़े समाज में “समाज में बदनामी” का डर दिखाकर पीड़िताओं का मुँह बन्द किया जाता था तो अल्ट्रा प्रोग्रेसिव समाज में “हिन्दुत्व फोर्सेज” का डर दिखाकर पीड़िता को साइकोलॉजिकल जेल में डाला जा रहा है जहाँ वह अपने टार्चर और पोलिटिकल करेक्टनेस के बीच कान्फ्लिक्ट में जूझती रहती है! पीड़िता ने खुद लिखा है कि वह लम्बे समय तक इसी वजह से इस विषय पर बोलने से डरती रही!
पीड़ित लड़की जिस आइडियोलॉजिकल प्रिजन में कैद रही है उसने उसके दिमाग से नेचुरल रिएक्शन की क्षमता भी छीन ली है। वह स्वाभाविक रूप से अपनी पीड़ा और आक्रोश व्यक्त करने के बजाय इतने गहरे सदमे में भी पोलिटिकली करेक्ट रहने का प्रयास कर रही है।
हम सभी उस राहों से गुजरे हैं जहाँ किसी अमानवीयता और बर्बरता की आलोचना को भी यह कहकर दबा दिया जाता था कि “हिन्दुत्व फोर्सेज” इसका फायदा उठा लेंगे! बीफ वाले सेकुलरिज्म टेस्ट से भी मेरे कई मित्र गुजरे हैं और कुछ तो इस टेस्ट में पास होने को सीने पर तमगे की तरह चिपकाकर चलते हैं! मगर पोर्क खाकर सेकुलरिज्म टेस्ट देने वाले मित्र मुझे आज तक नहीं मिले हैं!
यह कहने में मुझे कोई गुरेज नहीं है कि दिल्ली के इलीट दक्षिणपंथी दायरों में कोई महिला दिल्ली के ही वामपंथी दायरों की तुलना में कई गुना ज्यादा सुरक्षित रहती है। वामपंथी आइडियोलॉजी के चोले में वल्नरेबल लड़कियों के शोषण के पैटर्न की अंदरखाने सभी बात करते हैं मगर लिखते हुए डरते हैं। बाहर के शहरों से महानगर में आई हुई लड़कियों के स्वाभाविक इच्छाओं को मैनिपुलेट करके उन्हें सेक्स स्लेव की तरह ट्रीट करने वालों के खिलाफ दिल्ली का लेफ्टविंग कभी मुखर नहीं रहा है क्योंकि ऐसी शिकायतें जिनके पास जाती हैं उनमें भी ऐसे काफी लोग बैठे रहते हैं।


ऐसी सभी लड़कियों से मेरा कहना है कि कोई तुम्हें “आजादी” दिला रहा हो तो सावधान हो जाएँ। आइडियोलॉजी किसी भी इमोशनल और फिजिकल अब्यूज की दवा नहीं बन सकती। आप ऊपरी मन से चाहे जो कहें, कहीं अन्दर आप एक ब्रोकेन ग्लास बनकर आगे का जीवन गुजारने को मजबूर हो जाती हैं। जो चीजें आपकी इमोशनल और फिजिकल इंटीग्रिटी को डैमेज करती हों वे सारी एंटी-वुमन हैं चाहे वो आपके पिता हों, भाई हों या प्रेमी या यौन आजादी दिलाने वाला मसीहा।
आज इतना ही। शेष, फिर कभी।