सोशल मीडिया के दौर में जब फेक न्यूज फैलाना और भी आसान हो गया है तब हिन्दी की “बिना विचारे जो करे, सो पाछे पछताए” वाली कहावत और प्रासंगिक हो जाती है। पंचतंत्र के पाँचवें भाग – अपरीक्षितकारक, की देवशर्मा नामक ब्राह्मण और उसके पालतू नेवले की कहानी यही शिक्षा देती है कि भावनात्मक उद्वेग में कोई कदम उठाने से पहले थोड़ा ठहरकर सोच-विचार कर लेना चाहिए।
इसके अलावा कई बार अनुवाद की समस्या के कारण भी गलतियाँ होती हैं, जैसे पंडित का अंग्रेजी अनुवाद करते समय Expert या Knowledgeable लिखने के बदले Priest लिख देने से हाल ही में ANI को माफी मांगनी पड़ी। राजीव मल्होत्रा की पुस्तक “संस्कृत अनट्रांसलेटेबल्स” ऐसे ही कई शब्दों की बात करती है।
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