भारत कुछ समय पूर्व तक रक्षा के क्षेत्र में पूर्णतः आयातित उत्पादों पर ही निर्भर रहता था। छोटे से छोटा उत्पाद भी विकसित देशों से आयात किया जाता रहा है। परंतु, हाल ही के समय में भारत ने सुरक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने की ओर अपने कदम बढ़ा दिये हैं। हाल ही में रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी एक जानकारी के अनुसार, भारत में वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान रक्षा क्षेत्र से जुड़े उत्पादों का उत्पादन 1.07 लाख करोड़ रुपये के मूल्य का रहा है। भारत के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि देश में रक्षा क्षेत्र से जुड़े उत्पादों के उत्पादन का मूल्य एक लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गया है। यह राशि 1200 करोड़ अमेरिकी डॉलर के बराबर है। जबकि वित्तीय वर्ष 2021-22 में रक्षा क्षेत्र से जुड़े उत्पादों का उत्पादन 95,000 करोड़ रुपये का रहा था। इस प्रकार, भारत रक्षा क्षेत्र में घरेलू उत्पादन बढ़ाकर आत्मनिर्भरता की ओर मजबूती से आगे बढ़ रहा है।

अभी हाल ही में रक्षा विभाग ने 928 उत्पादों की एक सूची जारी की है, इस सूची में दिए गए समस्त उत्पादों का निर्माण अब पूर्णतः भारत में ही किया जाएगा एवं आगामी वर्षों में इन उत्पादों का आयात पूर्णतः बंद कर दिया जाएगा। वर्तमान में इन उत्पादों पर 715 करोड़ रुपए की राशि खर्च की जा रही है। उक्त सूची में वर्णित उत्पादों को भारत में ही निर्माण की मंजूरी भी दे दी गई है। इस प्रकार की तीन सूचियां पूर्व में भी रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी की जा चुकी है। केंद्र सरकार के इस क्रांतिकारी निर्णय से रक्षा क्षेत्र से जुड़े उत्पादों का निर्माण अब भारत में ही होने लगा है एवं पूर्व में इन उत्पादों के आयात पर भारी भरकम विदेशी मुद्रा खर्च की जाती थी, अब उस विदेशी मुद्रा की भी देश को बचत हो रही है।

केंद्र सरकार ने रक्षा क्षेत्र के उत्पादों का आयात लगातार कम करते हुए अब कई रक्षा उत्पादों का निर्यात प्रारम्भ कर दिया है। अभी हाल ही में भारत का स्वदेशी निर्मित तेजस हल्का लड़ाकू विमान मलेशिया की पहली पसंद बनाकर उभरा है। मलेशिया ने अपने पुराने लड़ाकू विमानों के बेड़े को बदलने के लिए प्रतिस्पर्धा की थी। जिसमें चीन के जेएफ-17, दक्षिण कोरिया के एफए-50 और रूस के मिग-35 के साथ साथ याक-130 से कड़ी प्रतिस्पर्धा के बावजूद मलेशिया ने भारतीय विमान तेजस को पसंद किया है। आकाश मिसाइल भी भारत की पहचान है एवं यह एक स्वदेशी (96 प्रतिशत) मिसाइल है। दक्षिणपूर्व एशियाई देश वियतनाम, इंडोनेशिया, और फिलिपींस के अलावा बहरीन, केन्या, सउदी अरब, मिस्र, अल्जीरिया और संयुक्त अरब अमीरात ने आकाश मिसाइल को खरीदने में अपनी रुचि दिखाई है। आकाश मिसाइल के साथ ही कई अन्य देशों ने तटीय निगरानी प्रणाली, राडार और एयर प्लेटफार्मों को खरीदने में भी अपनी रुचि दिखाई है। भारत जल्द ही दुनिया के कई देशों यथा फिलीपींस, वियतनाम एवं इंडोनेशिया आदि को ब्रह्मोस मिसाइल भी निर्यात करने की तैयारी कर रहा है। कुछ अन्य देशों जैसे सउदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात एवं दक्षिण अफ्रीका आदि ने भी भारत से ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने में अपनी रुचि दिखाई है। आज भारत से 84 से अधिक देशों को रक्षा उपकरणों का निर्यात किया जा रहा है। इस सूची में कतर, लेबनान, इराक, इक्वाडोर और जापान जैसे देश भी शामिल हैं जिन्हें भारत द्वारा बॉडी प्रोटेक्टिंग उपकरण, आदि निर्यात किए जा रहे हैं।

वित्तीय वर्ष 2023-24 का बजट रक्षा क्षेत्र के लिए भी एक बड़ी सौगात लेकर आया है। केंद्रीय बजट में वर्ष 2023-24 के लिए रक्षा क्षेत्र को कुल 5.94 लाख करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई है, जो कुल बजट की राशि का 8 प्रतिशत है। बजट में आवंटित की गई इस राशि का उपयोग हथियारों की आत्मनिर्भर तकनीक और भारत में ही इन उत्पादों के निर्माण के कार्य पर किया जाएगा। इससे देश में ही रोजगार के लाखों नए अवसर निर्मित होंगे।

चूंकि भारत सरकार द्वारा रक्षा क्षेत्र से जुड़े उत्पादों को भारत में ही निर्मित करने हेतु प्रोत्साहन दिया जा रहा है तथा रक्षा उत्पादों का भारत में ही निर्माण एवं भारत से निर्यात जिस तेज गति से आगे बढ़ रहा है इससे अब यह आभास होने लगा है कि वर्ष 2027 तक भारतीय अर्थव्यवस्था को 5 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर के स्तर तक पहुंचाने में, आगे आने वाले समय में, देश का रक्षा क्षेत्र भी प्रमुख भूमिका निभाने जा रहा है। वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार 3.50 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर का है। वर्ष 2031 तक भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार 7.5 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर के स्तर तक पहुंच जाने की सम्भावना व्यक्त की जा रही है और इस प्रकार भारतीय अर्थव्यवस्था अमेरिका एवं चीन के बाद विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगी।

By Prahlad Sabnani

लेखक परिचय :- श्री प्रह्लाद सबनानी, उप-महाप्रबंधक के पद पर रहते हुए भारतीय स्टेट बैंक, कारपोरेट केंद्र, मुम्बई से सेवा निवृत हुए है। आपने बैंक में उप-महाप्रबंधक (आस्ति देयता प्रबंधन), क्षेत्रीय प्रबंधक (दो विभिन्न स्थानों पर) पदों पर रहते हुए ग्रामीण, अर्ध-शहरी एवं शहरी शाखाओं का नियंत्रण किया। आपने शाखा प्रबंधक (सहायक महाप्रबंधक) के पद पर रहते हुए, नई दिल्ली स्थिति महानगरीय शाखा का सफलता पूर्वक संचालन किया। आप बैंक के आर्थिक अनुसंधान विभाग, कारपोरेट केंद्र, मुम्बई में मुख्य प्रबंधक के पद पर कार्यरत रहे। आपने बैंक में विभिन पदों पर रहते हुए 40 वर्षों का बैंकिंग अनुभव प्राप्त किया। आपने बैंकिंग एवं वित्तीय पत्रिकाओं के लिए विभिन्न विषयों पर लेख लिखे हैं एवं विभिन्न बैंकिंग सम्मेलनों (BANCON) में शोधपत्र भी प्रस्तुत किए हैं। श्री सबनानी ने व्यवसाय प्रशासन में स्नात्तकोतर (MBA) की डिग्री, बैंकिंग एवं वित्त में विशेषज्ञता के साथ, IGNOU, नई दिल्ली से एवं MA (अर्थशास्त्र) की डिग्री, जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर से प्राप्त की। आपने CAIIB, बैंक प्रबंधन में डिप्लोमा (DBM), मानव संसाधन प्रबंधन में डिप्लोमा (DHRM) एवं वित्तीय सेवाओं में डिप्लोमा (DFS) भारतीय बैंकिंग एवं वित्तीय संस्थान (IIBF), मुंबई से प्राप्त किया। आपको भारतीय बैंक संघ (IBA), मुंबई द्वारा प्रतिष्ठित “C.H.Bhabha Banking Research Scholarship” प्रदान की गई थी, जिसके अंतर्गत आपने “शाखा लाभप्रदता - इसके सही आँकलन की पद्धति” विषय पर शोध कार्य सफलता पूर्वक सम्पन्न किया। आप तीन पुस्तकों के लेखक भी रहे हैं - (i) विश्व व्यापार संगठन: भारतीय बैंकिंग एवं उद्योग पर प्रभाव (ii) बैंकिंग टुडे एवं (iii) बैंकिंग अप्डेट (iv) भारतीय आर्थिक दर्शन एवं पश्चिमी आर्थिक दर्शन में भिन्नता: वर्तमान परिपेक्ष्य में भारतीय आर्थिक दर्शन की बढ़ती महत्ता latest Book Link :- https://amzn.to/3O01JDn

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