हो सकता है कि कुछ लोग सोचते हों कि नाम में क्या रखा है? लेकिन फिर ये भी सच है कि बदनाम भी तो नाम ही होता है! ऐसे में जब नाम बदनाम हो जाए तब नाम बदल लेना एक अच्छा विकल्प हो सकता है. शायद यही वजह होगी कि कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों ने अपना ही नाम बदलकर यूपीए से आई.एन.डी.आई.ए. रख लिया है!
आजादी के बाद से ही भारत में नामों की राजनीति चलती रही है, लेकिन इसपर सवाल तब उठने लगे जब जगहों का नाम गाँधी-नेहरु परिवार के लोगों के बदले दूसरे लोगों के नाम पर रखा जाने लगा. कोलकाता का नाम कलकत्ता से बदला, चेन्नई का मद्रास से और मुंबई का बॉम्बे से. उस समय किसी को नहीं लगा कि शहरों का नाम बदलने से कोई विरासत खत्म हो रही है. जब इलाहाबाद को बदलकर प्रयागराज कर दिया गया, तब अचानक गंगा-जामुनी तहजीब खतरे में आ गयी!
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