दर्शको के अनुरोध पर Star Bucks के विवादित Advertisement पर आनंद कुमार का दृष्टिकोण



स्टारबक्स ने अपने प्रचार में अर्पित को अर्पिता बनते तो दिखा दिया मगर ये नहीं बताया कि इस तरह की सर्जरी के नतीजे क्या होते हैं। क्या ये कोई बड़ी आसान सी प्रक्रिया है जिससे मनुष्य पुरुष से स्त्री बन जाए? फिर ध्यान देने लायक बात ये भी है कि इस प्रचार में ये नहीं बताया गया है कि भारत में कई समुदाय होते हैं। कुछ ऐसे भी हैं, जिन्हें ये हरगिज बर्दाश्त नहीं होगा। Small Talk की इस कड़ी में दर्शकों के अनुरोध पर Starbucks के इसी विवादित Advertisement पर एक दृष्टि…
आज हम लोग बात कर रहें हैं star बक्स की जाना माना food chain है और इस food chain की ख़ास बात यह है की यह कॉफी परोस रहा होता है और कॉफी जो ये परोस रहा होता है उस कॉफ़ी में कुछ खास होता है या नहीं होता है ये तो पता नहीं लेकिन ब्रांड इतना जाना पहचाना है की भारत भर में इसकी दर्जनों दुकान है. दर्जनों इसके रिटेल आउटलेट है और विश्व भर पे अगर हम लोग देखें तो विश्व भर में इसकी गिनती सैकड़ो हजारों में पहुंच शक्ति है अब इन्होंने भारत में जो अपना एक एड हाल में ही लॉन्च किया है इस ऐड में ये एक lgbt q + का जो मुद्दा होता है. उसे सामने लेकर आए हैं और उसका जमकर विरोध हो रहा है इस ऐड की कहानी के बारे में अगर बात करें तो कहानी कुछ ऐसे शुरू होती है की उसमें एक परिवार के दो लोग मतलब 55-60 वर्षीय व्यक्ति और उसकी पत्नी बैठे होते हैं और पत्नी समझा रही होती है की आज तो इस पर गुस्साइएगा मत अब जाहिर है बाप है और वो अपने बेटे से किसी बात पर नाराज है जो की साफ पता चल जाता है उसके पास एक फोन आता है अर्पित नाम नजर आता है और वो फोन को काट देता है ये जो एड होता है इतना हिस्सा जैसे मेरी नजर इतनी हिससे पर पड़ी तो मुझे एक पुराने जमाने का एक आम सा सामाजिक व्यवहार जो होता है वो याद आ गया पुराना जमाना मतलब अभी से कुछ 10-20 साल पहले का दौर अगर आप देखें तो उसमें पड़ोस की कोई ना कोई चाची-नानी ऐसी होती थी जो पूछ बैठी थी की आपका बच्चा इकलौता बच्चा ही है क्या और बच्चे नहीं हैं आपके एक बच्चे का होना तो ना होने के बच्चे के ना होने के जैसा है होता क्या था पुराने जमाने में की अक्सर जो है वो बीमारियों से बच्चों की मौत हो जाया करती थी बच्चे बड़े नहीं हो पाते थे कई दुर्घटनाएं कई बार युद्ध वगैरा भी हो रहे होते थे तो उसकी वजह से लोग मानते थे की एक बच्चे का होना बच्चों के ना होने जैसा ही है अगर आपको अपना परिवार अपना वंश आगे बढ़ाना है तो आपके एक से अधिक बच्चे होने ही चाहिए अब इस एड में जैसा की नजर आ रहा होता है परिवार का एक ही बच्चा है तो वो जो भी कहेगा वो मां-बाप को सुनना ही है और मानना ही है चाहे वो सही हो गलत हो जैसा भी हो तो खैर जो भी हो हम लोग वापस ऐड पर चलते हैं एड की कहानी को हम लोग पहले देख लेते हैं और फिर तय करेंगे की इस पर और क्या चर्चा की जा शक्ति है क्या बात की जा शक्ति है तो आईये add देखते हैं एडिटर साहब आपके पास एड होगा लगाएंगे जड़ा लगा दीजिये (ऊपर के विडियो में ऐड मौजूद ) अधिक पढने के लिए
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By anandkumar

आनंद ने कंप्यूटर साइंस में डिग्री हासिल की है और मास्टर स्तर पर मार्केटिंग और मीडिया मैनेजमेंट की पढ़ाई की है। उन्होंने बाजार और सामाजिक अनुसंधान में एक दशक से अधिक समय तक काम किया। दोनों काम के दायित्वों के कारण और व्यक्तिगत रूचि के लिए भी, उन्होंने पूरे भारत में यात्राएं की हैं। वर्तमान में, वह भारत के 500+ में घूमने, अथवा काम के सिलसिले में जा चुके हैं। पिछले कुछ वर्षों से, वह पटना, बिहार में स्थित है, और इन दिनों संस्कृत विषय से स्नातक (शास्त्री) की पढ़ाई पूरी कर रहें है। एक सामग्री लेखक के रूप में, उनके पास OpIndia, IChowk, और कई अन्य वेबसाइटों और ब्लॉगों पर कई लेख हैं। भगवद् गीता पर उनकी पहली पुस्तक "गीतायन" अमेज़न पर बेस्ट सेलर रह चुकी है।

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