49 भगवद गीता सार अध्याय 2  श्लोक 58 with lyrics Bhagwad Geeta Saar Chap 2  Verse 58 #भग्वानुवाचः



49 भगवद गीता सार अध्याय 2 श्लोक 58 with lyrics Bhagwad Geeta Saar Chap 2 Verse 58 #भग्वानुवाचः
श्री भग्वानुवाचः 49 वा श्लोक अध्याय 2 का 58 वा श्लोक
कछुआ जिस तरह से सब ओर से अपने सब अंगो को समेट लेता है वैसे ही जब पुरुष अपने इन्द्रियों के विषयों से इन्द्रियों को सब प्रकार से हटा लेता है तब उसकी बुद्धि स्थिर होती है यानी दुनिया में रहकर भी दुनियादारी से बचना ही बुद्धि को स्थिर करना है अगर किसी के सामने आप बहुत ही स्वादिस्ट खाना रक्खे तो क्या वो खुद को रोक पायेगा ! किसी के सामने आप महगे आभुष्ण या डिजिटल gadejets रखे तो वो क्या स्वयम पर कण्ट्रोल कर सकेगा ! न ये सम्भव नही हो सकता इसको जो सम्भव कर दे उसी की बुद्धि इस्थिर होती है | आप स्वयम पर आजमा कर देखिये अगर दुनिया की वस्तुए आपको लुभा नही पाती तो आप अपनी बुद्धि को नियंत्रण में ले आयेंगे
(श्रीमद भगवद गीता मे जो भगवान बोल रहें हैं बस वही सत्य है बाद बांकी सब अर्जुन की दुविधा और संजय धृतराष्ट्र सब अपने विचार व्यक्त कर रहें हैं जो सत्य नही है , सत्य सिर्फ कृष्ण कह रहे हैं इसलिए सिर्फ भगवान के द्वारा कहे गए श्लोकों का संग्रह हम आपके लिए कर रहें हैं कृप्या फॉलो करें रोज कुछ श्लोक आपको मिलेंगे ये दिव्य ज्ञान है।
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By anandkumar

आनंद ने कंप्यूटर साइंस में डिग्री हासिल की है और मास्टर स्तर पर मार्केटिंग और मीडिया मैनेजमेंट की पढ़ाई की है। उन्होंने बाजार और सामाजिक अनुसंधान में एक दशक से अधिक समय तक काम किया। दोनों काम के दायित्वों के कारण और व्यक्तिगत रूचि के लिए भी, उन्होंने पूरे भारत में यात्राएं की हैं। वर्तमान में, वह भारत के 500+ में घूमने, अथवा काम के सिलसिले में जा चुके हैं। पिछले कुछ वर्षों से, वह पटना, बिहार में स्थित है, और इन दिनों संस्कृत विषय से स्नातक (शास्त्री) की पढ़ाई पूरी कर रहें है। एक सामग्री लेखक के रूप में, उनके पास OpIndia, IChowk, और कई अन्य वेबसाइटों और ब्लॉगों पर कई लेख हैं। भगवद् गीता पर उनकी पहली पुस्तक "गीतायन" अमेज़न पर बेस्ट सेलर रह चुकी है।

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