विभिन्न देशों के द्वीतीयक साहित्य की समीक्षा पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (पीटीएसडी) की शुरूआत और बिगड़ने की स्थिति दर्शाते हैं

टीआरएसी 2022 सभी बच्चों के लिए मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावामज़बूती और इससे निपटने के लिए परिवारोंसमुदायोंस्कूलों और नागरिक समाज और सरकार से अपील करती है 

 

पटना , 28 जनवरी 2023:  कोविड-19 के बीच सारा ध्यान बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य और मनोसामाजिक कल्याण पर केंद्रित होने के साथ, बाल रक्षा भारत (दुनियाभर में सेव द चिल्ड्रन नाम से परिचित) ने अपने प्रमुख रिपोर्ट टीआरएसी 2022- द राइट्स एंड एजेंसी ऑफ चिल्ड्रन के पहले संस्करण को लॉन्च किया है। चार यूएनसीआरसी (बाल अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन) अधिकारों- उत्तरजीविता, विकास, संरक्षण, और सहभागिता, पर केंद्रित बच्चों के अधिकारों की प्राप्ति पर बच्चों की स्थिति और दृष्टिकोण पर इस रिपोर्ट का फोकस है। एक प्रमुख विषय पर वार्षिक फोकस होने के संदर्भ में इस साल टीआरएसी रिपोर्ट कोविड 19 के बीच बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य और मनोसामाजिक कल्याण पर ध्यान केंद्रित करती है।

इस रिपोर्ट को श्री राजेश नारायण सेवक पाण्डेयसदस्य सचिवबिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, के द्वारा अन्य विशेषज्ञों और प्रतिष्ठित व्यक्तियोंजैसे श्री चक्रपाणि हिमांशुअध्यक्षबिहार बाल श्रम आयोग, राजीव कांत मिश्राउपाध्यक्ष एवं बाल विकास समूह (साहिबा मल्लिक, संगीता कुमारी, प्रीतम कुमार, रूचि कुमारी, फ़िज़ा ख़ातून और धनराज कुमार) की उपस्थिति में लॉन्च किया गया।

कोविड-19 के बीच 4200 बच्चों के साथ मानसिक स्वास्थ्य और मनोसामाजिक कल्याण पर किया गया प्राथमिक अध्ययन, एक ग्लोबल ब्रीफ-सीओपीई स्टडी टूल (कोपिंग एक्सपीरियंस टू प्रोब्लम एक्सपीरियंस्ड) का उपयोग करते हुए पिछले दो सालों में महामारी के कारण पैदा हुई परेशानियों का सामना करने के लिए बच्चों द्वारा इस्तेमाल की गई निपटने की रणनीति को प्रमुखता से सामने रखता है। भारत के पांच राज्यों (असम, बिहार, मध्यप्रदेश, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश) के 4200 बच्चों के साथ किए गए परामर्श और विभिन्न देशों के द्वीतीयक साहित्यों की समीक्षा के आधार पर इस खंड के निष्कर्षों तक पहुँचा गया है। यह अध्ययन 14 विभिन्न निपटने की रणनीति से संबंधित है (जिन्हें आगे तीन और श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है – समस्या केंद्रित, भावना केंद्रित, और निपटने से परेहज) और महामारी के दौरान बच्चों में निपटने संबंधी पैटर्न का मूल्यांकन करता है।

इस अवधि के दौरान बच्चो के अधिकारों का मूल्यांकन करने वाली इस रिपोर्ट के सबसे पहले संस्करण को प्रस्तुत करते हुए श्री राजेश नारायण सेवक पाण्डेयसदस्य सचिवबिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने कहा, हमारे संविधान द्वारा हमारे सभी अधिकारों की रक्षा की जा रही है, इसी प्रकार बच्चों के अधिकारों की रक्षा भी संविधान के तहत की जानी चाहिए। इसके लिए हम सभी को मिशन मोड में काम करने की जरूरत है, विशेष रूप से बच्चों से संबंधित विभिन्न अधिनियमों और कानूनों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए। विभिन्न हितधारकों को एक मंच पर लाने के लिए संवाद और प्रवचन होना चाहिए।

श्री चक्रपाणि हिमांशुअध्यक्षबिहार बाल श्रम आयोग ने कहा एक समाज के रूप में हम सभी को बच्चों से संबंधित सभी कानूनों को जानना चाहिए, उदाहरण के लिए बाल श्रम निषेध अधिनियम, शिक्षा का अधिकार अधिनियम आदि। गरीब बच्चों के परिवारों को अच्छा जीवन यापन करने के लिए ई-श्रम कार्ड का लाभ उठाना चाहिए जो अंततः उन्हें अपने बच्चों को काम पर भेजने से रोकेगा। सामूहिक भागीदारी से ही बच्चों का समग्र कल्याण हो सकता है। इस अवसर पर उन्होंने आश्वासन दिया कि आयोग बच्चों के कल्याण के लिए हर संभव सहायता प्रदान करेगा।

राजीव कांत मिश्रा, उपाध्यक्ष ने इस अवसर पर बात उठाई कि बहुत सी सरकारी योजनाएं हैं लेकिन वास्तव में चीजें काफी चुनौतीपूर्ण हैं। उन्होंने बाल गृह की वास्तविकता को साझा किया और जोर दिया कि विभिन्न हितधारकों का समन्वय बाल कल्याण और विकास के लिए महत्वपूर्ण है

 

प्रज्ञा वत्स ने कार्यक्रम में इस बात पर जोर दिया गया “बाल मानसिक स्वास्थ्य आपको मनोविज्ञान चिकित्सा की किताबों में नहीं बल्कि समुदाय में, सड़कों पर, घरों और परिवारों में, बच्चों की देखभाल करने वाली संस्थाओं और स्कूलों में, किताबों, संगीत और रोज़मर्रा के जीवन के थिएटर में मिलेगा।”

प्राथमिक डाटा संकलन से प्रमुख निष्कर्ष प्रदर्शित करता है कि जिन बच्चों का सर्वेक्षण किया गया उसमें दो बच्चों में से एक बच्चे ने निपटने से परहेज का उपयोग किया (52.7%), अक्सर/ज़्यादातर समस्या केंद्रित निपटने (51.0%)  और उसके बाद भावना केंद्रित निपटने (43.3%) की कार्यपद्धति का उपयोग किया। सबसे सामान्य रूप से इस्तेमाल की गई रणनीति थी धार्मिक तौर पर निपटने की रणनीतिजो शहरी इलाकों में रहनेवाले किशोरवयीन बच्चों की तुलना में ग्रामीण भागों के किशोरवीयन बच्चों द्वारा अपनाई गई।

विभिन्न राज्यों में द्वितीयक साहित्य की समीक्षा द्वारा प्रमुखता से दर्शाए गए ट्रेंड्स विशेष रूप से बताते हैं:

बच्चों में नए मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी चिंताएं और पहले से मौजूद मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी बीमारियों का ज़्यादा बिगड़नासुविधाहीन समूहों के बच्चों पर कोविड-19 का विषम प्रभावहेल्थकेयर इन्फ्रास्ट्रक्चर पर अत्यधिक बोझ के कारण मनोवैज्ञानिक आवश्यकताओं की उपेक्षाइत्यादि।

 

जतिंदर बीर सिंह, बाल रक्षा भारत ने TRAC 2022 पर एक प्रस्तुति दी और इसके मुख्य निष्कर्षों पर प्रकाश डाला। कार्रवाई बिंदुओं के आधार पर उन्होंने दर्शकों से एक साथ आने और एक सामान्य प्रयास करने का आग्रह किया।

 

राफे एजाज हूसैनबाल रक्षा भारत, ने सभी हितधारकों को एक साथ आकर यह रिपोर्ट तैयार करने के लिए धन्यवाद दिया और कहा, “महामारी के बीच भारत के बच्चों के अधिकारों की रक्षा करने के लिए भारत सरकार और सभी महत्वपूर्ण विकास संस्थाओं द्वारा किए गए सुसंगत और सफल प्रयासों की इस अवसर पर हम सराहना करते हैं। निष्कर्षों के साथ टीआरएसी रिपोर्ट का यह पहला अंक प्रकाशित करते हुए बाल रक्षा भारत सम्मानित महसूस कर रही है और हमें पूरा विश्वास है कि इस रिपोर्ट से उचित नीतियों और कार्यक्रमों के निर्धारण, मानसिक कल्याण की चर्चा गहरी होने में और भारत के सभी बच्चों के लिए एक सुरक्षित, सम्मानजनक और खुशनुमा भविष्य सुनिश्चित करने के लिए कार्रवाई करने में सहायता मिलेगी।”

यह रिपोर्ट कोविड-19 के दौरान और महामारी के बाद बच्चों के मानसिक और मनोसामाजिक कल्याण को संबोधित करने के लिए सरकार द्वारा किए गए कार्यक्रमों की सराहना करती है। इसमें शामिल है महिला एवं वाल विकास मंत्रालय के कार्यक्रम जिसके अंतर्गत बच्चों के लिए टेलि-काउंसलिंग हेल्पलाइन संवेदना –SAMVEDNA (सेसिंटाइज़िंग एक्शन ऑन मेंटल हेल्थ वल्नरेबिलिटी थ्रू इमोशनल डेवलपमेंट एंड नेसेसरी एक्सेप्टेंस यानी भावनात्मक विकास और आवश्यक स्वीकार्यता के माध्यम से मानसिक स्वास्थ्य कमजोरी पर कृति का संवेदीकरण) शुरु की गई थी और शिक्षा मंत्रालय द्वारा मनोदर्पण –MANODARPAN नामक वेब पोर्टल की शुरूआत की गई जो छात्रों के लिए एक राष्ट्रीय टोल फ्री हेल्पलाइन सहित मनोसामाजिक सहायता प्रदान करने के लिए विभिन्न गतिविधियों को कवर करता है।

इस रिपोर्ट में बाल अधिकारों के चार स्तंभों के हिसाब से 15 राज्यों से संकलित किए गए डाटा से निकाले गए निष्कर्ष शामिल हैं और इसके साथ ही बच्चों के एजेंडा पर बजट, कार्यक्रम और पॉलिसी ट्रेंड्स पर द्वितीयक डाटा विश्लेषण भी उपलब्ध कराया गया है।

 

बाल रक्षा भारत के बारे में

बाल रक्षा भारत भारत के 18 राज्यों में बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य, संरक्षण और मानवीय/डीआरआर (आपदा जोखिम कमी) आवश्यकताओं के लिए कार्य करती है, विशेष रूप से उन बच्चों के लिए जो सबसे अधिक वंचित और अधिकारहीन हैं। ज़्यादा जानकारी के लिए www.savethechildren.in इस वेबसाइट पर जाएं।

By anandkumar

आनंद ने कंप्यूटर साइंस में डिग्री हासिल की है और मास्टर स्तर पर मार्केटिंग और मीडिया मैनेजमेंट की पढ़ाई की है। उन्होंने बाजार और सामाजिक अनुसंधान में एक दशक से अधिक समय तक काम किया। दोनों काम के दायित्वों के कारण और व्यक्तिगत रूचि के लिए भी, उन्होंने पूरे भारत में यात्राएं की हैं। वर्तमान में, वह भारत के 500+ में घूमने, अथवा काम के सिलसिले में जा चुके हैं। पिछले कुछ वर्षों से, वह पटना, बिहार में स्थित है, और इन दिनों संस्कृत विषय से स्नातक (शास्त्री) की पढ़ाई पूरी कर रहें है। एक सामग्री लेखक के रूप में, उनके पास OpIndia, IChowk, और कई अन्य वेबसाइटों और ब्लॉगों पर कई लेख हैं। भगवद् गीता पर उनकी पहली पुस्तक "गीतायन" अमेज़न पर बेस्ट सेलर रह चुकी है।

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