घमंड क्या है ?कृष्ण कहते हैं घमंड की उत्पति मोह से होती है ?
मगर बड़ा सवाल है मोह क्या है ? तो मोह आपको पद का, अपने बाहुबल का, अपने मान सामान का हो सकता है
उदाहरण के लिए, उसने ऐसा बोला कैसे ? उसकी इतनी मजाल ? यही है घमंड या फिर किसी उच्च पद पर आसीन व्यक्ति को कोई गाली दे और उसको वो दिल पर लेकर अपने पद का दुरुयुप्योग करे इसी को कहते है घमंड।
अगर वो करुना में होगा तब गाली देने वाले से उसे प्रेम होगा और वो उसकी अज्ञानता पर हसेंगा की देखो मुर्ख को इसको हम चाहे तो अभी मिट्टी में मिला दे मगर एक दया का भाव एक करुना का भाव उसे उसकी अज्ञानता पर दया आएगी न की गुस्सा।
घमंड में व्यक्ति गुस्सा को आयात करता है। घमंड और मोह एक ही बात है, चलिए इसको एक और उधारण से स्पष्ट करने की कोसिस करते हैं मान लिया जाए एक माता-पिता कहता है की तुमको हम सब देंगे तुमको कुछ भी नही करना ये उनका मोह है और ये मोह आया कहाँ से उनके धनी होने के घमंड से, प्रेम में आप अपने बेटे को कहते है कर्म करो सिक्षा देते हैं और सब कुछ करने की सिक्षा भी देते हैं. उसे पढ़ा लिखाकर ज्ञानवान बना देते हैं।
अब कुछ माता पिता यह भी कह सकते हैं की जो पढना ही न चाहे उसको क्या करे सरल उत्तर मैंने कल लिखा था की हर बच्चे की अपनी रूचि है। जरुरी नही की वो academic ज्ञान ही ले मतलब प्राम्परिक सिक्षा। घमंडी व्यक्ति किसी से सहयोग नही अपितु अधिकार और कर्तव्य का बोध करवाकर अपने सम्बन्धियों से बात करेगा की ये तो आपका कर्तव्य है मेरे यहाँ शादी या किसी आयोजन या प्रयोजन में बुलाना करुना से युक्त मनुष्य हमेशा झुककर ही भीख मांगेगा की मेरी मदद करो। अधिकार है भी फिर भी आपको झुकना है। दुसरो का कर्तव्य बोध करवाने वाले आप कौन है ?
आप अपने कर्तव्यो का निर्वहन करे सामने वाले से सहयोग मांगना झुककर बात करने से उसके मन में आपके प्रति इज्जत बढ़ेगी।
जो व्यक्ति चोर होता है वो मुह छुपाकर जीता है और जो व्यक्ति चोर या घमंडी नही वो व्यक्ति किसी भी हालात में सबसे नजरे मिलाकर ही बात करेगा।
ऐसा मेरे साथ कैसे हो गया ? ये भी घमंड है। मैंने भगवान् क्या किसी का बिगाड़ा ? ये भी घमंड है क्योंकि दोनों ही स्थिति में आप खुद को बहुत बढ़िया बता रहे होते हैं। वास्तव में आप ऐसा होते ही नही आपको आपके कर्मो की ही सजा भुगतनी पड़ती है। हमारे सामने कोई आँख उठा कर देख नही सकता ये भी घमंड है क्योंकि आपसे भी बड़ा कोई तो होगा !
हम नही रहेंगे तो जग वीरान हो जाएगा ये भी घमंड है। घमंडी व्यक्ति अंधा होता है उसे घमंड का नशा इतना प्रबल है की वो इस बात को समझने को तैयार ही नही होता की मै घमंड में हु रावण ने खुद कभी नही कहा की मै घमंडी हु वास्तव में आपके घमंडी होने की व्याख्या समाज तय करता है आप नही. आपकी वाणी बोली और भाषा से इस बात का प्रदर्शन हो जाएगा की आप घमंडी है या नही।
आपको जब भी लगे की इस शहर में मेरे सामने कोई बोलेगा तो आप भाई साहेब घमंड से गर्षित है। आपको मोह है अपनी कीर्ति का अपने यश का और यही मोह घमंड का कारक है। चाहे धन का घमंड हो या ज्ञान का एक दिन टूट ही जाएगा। क्योंकि सब कुछ राधे राधे है क्या समझे गुरु अब अपने अंदर झाँक कर देखिये की आपमें कितना घमंड है। थर्मामीटर और पैयमाना यही है। और यही सब बाते आपको भगवद गीता में भी घमंड के व्याख्या में देखने को मिलेंगी अब अध्याय आप स्वयम पता करे हम नही बताने वाले हमारे श्लोक आते रहते हैं मांगने पर playlist दे दिया जाएगा अभी तक भगवान् के द्वारा कहे गये लगभग 80 श्लोक विडियो के फॉर्म में रख चूका हु आगे भी रखता रहूँगा। मिल जाएगा आपको जबाब की किस श्लोक और अध्याय की हम बात कर रहे हैं दोस्तों हमने पूरी भगवद गीता को ही आत्मसात कर लिया है क्योंकि वो मेरे लिए भगवान् से कम नही कृष्ण कहते हैं मै ज्ञान हु और भगवद गीता ही तो ज्ञान है। मै जो कुछ भी लिखता हु वो भगवद गीता के श्लोको की व्याख्या होती है।
अब भगवान ने शायद मुझे इसी का के लिए चुना है क्योंकि कृष्ण है तो कर्म है और कर्म है तो कृष्ण है बाद बांकी सबकुछ राधे राधे हैं।