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राम अगर हृदय में है ,तो शबरी भी हृदय में होगी,
राम ने झूठे बेर खाकर प्रेम पराकाष्ठा रची तो होगी,
तो एक कप का प्याला क्यों बदल जाता है शबरी को देखकर ,
मेरा राम नज़र को नहीं आता है शबरी को देखकर ।
हृदय में राम जगाओ ,
रामचरित्र मानस तुम समझ जाओगे ,
अपने हृदय में राम तुम पाओगे ,
हृदय में जब राम का डीप जल जाएगा,
राम तेरा और तू राम का हो जायेगा,
हृदय अयोध्या और अंतर्मन काशी हो जायेगा ।
ऊँच नीच से सागर भर दिया ,
तो शीत लहर कहाँ से पाओगे ,
हृदय का राम जगाओ,
राम को तुम पाओग।
राम अगर हृदय में है ,तो शबरी भी हृदय में होगी,
राम ने झूठे बेर खाकर प्रेम पराकाष्ठा रची तो होगी,
तो एक कप का प्याला क्यों बदल जाता है शबरी को देखकर ,
मेरा राम नज़र को नहीं आता है शबरी को देखकर ।
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