मेरा अंतर्मन | Poetry By Ankit Paurush | The Ankit Paurush Show

मेरा अंतर्मन हिलहिला रहा था,
प्रशनो का उतर न मिल पा रहा था,
मन की चंचलता को देखकर,
मैंने भगवान को दोषी बना दिया,
मैंने पुछा भगवान से ,
मैंने पुछा भगवान से ,
सुन्दर श्रिस्ति बनाने वाले ,
तूने यह क्या कर डाला ,
२ पैर वाला प्राणी क्यों बना डाला .

मैंने भगवान को दोषी बना दिया,
मैंने पुछा भगवान से ,
मैंने पुछा भगवान से ,
सुन्दर श्रिस्ति बनाने वाले ,
तूने यह क्या कर डाला ,
२ पैर वाला प्राणी क्यों बना डाला

यह दिमाग बहुत चलाता है ,
यह दिमाग बहुत चलाता है,
यहाँ का वहां और वहां का यहाँ कर जाता है ,
ईर्षा से भरा हुआ यह मनुस्य , ko
को देख डर लग जाता है ,
ईर्षा से भरा हुआ यह मनुस्य ,
को देख डर लग जाता है ,
मित्र बनकर आता है ,
और लूट कर चला जाता है .

स्वार्थ , लोभ , कपट उसके गहने लगते हैं ,
स्वार्थ , लोभ , कपट उसके गहने लगते हैं ,
प्रेम , अपनापं , शांति यह सब स्वप्न से लगते हैं ,
प्रेम , अपनापं , शांति यह सब स्वप्न से लगते हैं।

मेरा व्याकुल कोमल हृदय को देख ,
मेरा व्याकुल कोमल हृदय को देख ,
भगवन मुझसे बोले ,
मैंने तुझे भी तो बनाया है ,
अगर मैं ही सब बनाऊंगा ,
तो तू क्या बनाएगा। .

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By Ankit Paurush

अंकित पौरुष अभी बंगलोर स्थित एक निजी सॉफ्टवेर फर्म मे कार्यरत है , साथ ही अंकित नुक्कड़ नाटक, ड्रामा, कुकिंग और लेखन का सौख रखते हैं , अंकित अपने विचार से समाज मे एक सकारात्मक बदलाव के लिए अक्सर अपने YouTube वीडियो , इंस्टाग्राम हैंडल और सभी सोसल मीडिया के हैंडल पर काफी एक्टिव रहते हैं और जब भी समय मिलता है इनके विचार पंख लगाकर उड़ने लगते हैं

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