हर पल तड़पता हूं,
तेरी याद में,
हर पल तन्हाई है तेरे बिना,
उस तन्हाई से गुजरता हूं  मैं,
तेरी याद में।

वो हर सपना  तेरा  है,
जिसे देखा करता  हूं  मैं ,
अचल मचल  कर फिर  सम्हालता  हूं  मैं ,
तेरी याद में।

डगर डगर पर  कठनाई है ,
तुझे  पाने की कसम  खाई  है ,
इसलिए  काँटों  पर  चलता  हूं  मैं ,
तेरी याद में, तेरी याद में, तेरी याद में ।

By Ankit Paurush

अंकित पौरुष अभी बंगलोर स्थित एक निजी सॉफ्टवेर फर्म मे कार्यरत है , साथ ही अंकित नुक्कड़ नाटक, ड्रामा, कुकिंग और लेखन का सौख रखते हैं , अंकित अपने विचार से समाज मे एक सकारात्मक बदलाव के लिए अक्सर अपने YouTube वीडियो , इंस्टाग्राम हैंडल और सभी सोसल मीडिया के हैंडल पर काफी एक्टिव रहते हैं और जब भी समय मिलता है इनके विचार पंख लगाकर उड़ने लगते हैं

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