न कर निराश खुदको | Poetry By Ankit Paurush | The Ankit Paurush Show

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न कर निराश खुदको,
न समझ खराब खुदको,
जरा देख निगाहों में भरके उनको,
जो जी रहा है , तू जिंदगी,
वो किसी और का सपना है।

न कर निराश खुदको,
न समझ खराब खुदको,
जरा देख निगाहों में भरके उनको,
जो जी रहा है , तू जिंदगी,
वो किसी और का सपना है।

तू कुछ और नया पाना चाहता है,
तेरे जैसी जिंदगी ये पाना चाहता है,
हार कर तू बैठ गया,
हो गया निराश,
मन को कर लिया तूने खराब,
और कहता है मेरी किस्मत ही है खराब,
तेरे जैसी किस्मत वो पाना चाहता है,
तेरे जैसी जिंदगी जी जाना चाहता है,
अब बता क्या वाकई तेरी,
तेरी किस्मत है खराब,
तो क्यों है तेरे मन में तनाव।

न कर निराश खुदको,
न समझ खराब खुदको,
जरा देख निगाहों में भरके उनको,
जो जी रहा है , तू जिंदगी,
वो किसी और का सपना है।

उनके दर्द को देख,
तेरा दर्द कम जो जायेगा,
तेरा दर्द तुझे नजर भी नहीं आएगा,
जा पूछ उस मां से उसपर क्या बीती होगी,
मरने की उमर में जिसने मौत दिखी होगी,
जा पूछ उससे जो सजने की उमर में,
मांग से सिंदूर मिटाती होगी।

जा पूछ उस बाप से,
जो अब भी आने का इंतजार करता है,
जानता है सच,
पर स्वीकार नहीं करता है,
किसी ने भाई खोया,
किसी ने राखी,
बेवजह मत बन तू निराशावादी।

उसके पास हाथ नहीं,
पर काम बहुत करता है,
जिंदगी की जंग,
लड़ने से न डरता है।

माना बहुत कुछ तू खो चुका,
पर बहुत कुछ है तेरे पास,
हार कर मत बैठ,
मत हो निराश,
जो जी रहा है , तू जिंदगी,
वो किसी और का सपना है।

By Ankit Paurush

अंकित पौरुष अभी बंगलोर स्थित एक निजी सॉफ्टवेर फर्म मे कार्यरत है , साथ ही अंकित नुक्कड़ नाटक, ड्रामा, कुकिंग और लेखन का सौख रखते हैं , अंकित अपने विचार से समाज मे एक सकारात्मक बदलाव के लिए अक्सर अपने YouTube वीडियो , इंस्टाग्राम हैंडल और सभी सोसल मीडिया के हैंडल पर काफी एक्टिव रहते हैं और जब भी समय मिलता है इनके विचार पंख लगाकर उड़ने लगते हैं

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