प्रधानमंत्री के आह्वान पर केंद्रीय इस्पात मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान के नेतृत्व में हो रहा काम

ऑक्सीजन उत्पादन बढ़ाने में जुटी स्टील और पेट्रोलियम मंत्रालय के अधीन कंपनियां

एक पखवाड़े में देश में मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन हुआ चार गुना ज्यादा

नयी दिल्ली। कोरोना की वजह से उखड़ती सांसों को अब स्टील और पेट्रोलियम मंत्रालय का मजबूत सहारा मिला गया है। स्टील और पेट्रोलियम मंत्रालय के तहत सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की कंपनियां युद्ध स्तर पर काम कर देश में ऑक्सीजन उत्पादन बढ़ाने में जुटी हुई हैं। प्रधानमंत्री के आह्वान पर तथा केंद्रीय इस्पात और पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान के नेतृत्व तथा निगरानी में देश में पिछले एक पखवाड़े में मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन लगभग चार गुना बढ़ गया है, इसके साथ ही इस ऑक्सीजन की अस्पतालों तक आपूर्ति की भी पूरी व्यवस्था कर ली गयी है।

ऑक्सीजन उत्पादन की पूरी प्रक्रिया की मानिटरिग खुद व्यक्तिगत तौर पर केंद्रीय इस्पात और पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान दैनिक आधार पर कर रहे हैं। पीएम के मार्गदर्शन में कंपनियों को गया है कि जो भी संभव हो, ऑक्सीजन के परिवहन और आपूर्ति में वृद्धि सुनिश्चित करें। पेट्रोलियम और इस्पात मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि रिफाइनरी और स्टील प्लांट ने औद्योगिक उपयोग की अपनी मांग को कम करके तरल चिकित्सा ऑक्सीजन (एलएमओ) के उत्पादन को अधिकतम किया है। फिलहाल भारत में कुल ऑक्सीजन उत्पादन 7००० से 72०० मीट्रिक टन प्रतिदिन हो रहा है जिसमें से ये दोनों क्षेत्र 4००० से 45०० मीट्रिक टन ऑक्सीजन का योगदान कर रहे हैं। 1 अप्रैल को स्टील प्लांट प्रतिदिन लगभग 1००० मीट्रिक टन की आपूर्ति कर रहे थे, अब आपूर्ति 3००० मीट्रिक टन से भी ज्यादा की जा रही है। स्टील प्लांटों से प्रतिदिन मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति 25 अप्रैल को 365० मीट्रिक टन और 26 अप्रैल को 3122 मीट्रिक टन का आंकड़ा पार कर गई। स्टील बिरादरी पूरी तरह से राष्ट्र की जरूरत को पूरा करने के लिए तैयार है। ऑक्सीजन के अधिक से अधिक उत्पादन के लिए लिक्विड नाइट्रोजन और आर्गन का उत्पादन कम करते हुए तमाम स्टील प्लांट अधिक से अधिक ऑक्सीजन का उत्पादन करने में लग गए हैं। इसके साथ ही 3:5० दिनों के लिए जो ऑक्सीजन का सुरक्षा स्टॉक रखा जाता था उसे घटाकर केवल आधा दिन का कर दिया गया है। इस सुरक्षित स्टॉक को भी राष्ट्र की मेडिकल आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए समर्पित कर दिया गया है। देश को सबसे ज्यादा बोकारो स्थित सेल और भिलाई संयंत्र से ऑक्सीजन मिल रहा है। इस प्रकार उखड़ती सांसों को बचाने आगे आए स्टील और पेट्रोलियम मंत्रालय के पीएसयू सप्ताह के सातों दिन 24 घंटे सप्लाई और उत्पादन के काम में लगे हुए हैं और कोरोना की त्रासदी के बीच उम्मीद की मशाल जला रखी है।

इन स्टील प्लांट के कर्मचारी और अधिकारी रात दिन काम कर देश की ऑक्सीजन संबंधी आवश्यकताओं को पूरा कर रहे हैं। दरअसल कोरोना की दूसरी लहर के साथ ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मेडिकल ऑक्सीजन की बढ़ती जरूरतों को देखते हुए उद्योगों से ऑक्सीजन उत्पादन बढ़ाने तथा इसकी त्वरित और विश्वसनीय परिवहन व्यवस्था करने का आह्वान किया था। इस आह्वान के आधार पर स्टील एवं पेट्रोलियम मंत्रालय ने तीव्र गति से कार्य करते हुए ऑक्सीजन उत्पादन को नयी सीमाओं तक बढ़ाया है। उत्पादित ऑक्सीजन की आपूर्ति की दिशा में भी प्रयास किये जा रहे हैं। इंडियन आयल मेडिकल ऑक्सीजन के परिवहन के लिए अपने एलएनजी टैंकर को परिवर्धित कर ऑक्सीजन की सप्लाई के लिए उपयुक्त बना रही है ताकि ऑक्सीजन का परिवहन और सप्लाई सहजता से हो सके। ऐसा पहला परिवर्धित एलएनजी टैंकर ऑक्सीजन सप्लाई के लिए पटना (बिहार) के लिए रवाना किया गया है।

By anandkumar

आनंद ने कंप्यूटर साइंस में डिग्री हासिल की है और मास्टर स्तर पर मार्केटिंग और मीडिया मैनेजमेंट की पढ़ाई की है। उन्होंने बाजार और सामाजिक अनुसंधान में एक दशक से अधिक समय तक काम किया। दोनों काम के दायित्वों के कारण और व्यक्तिगत रूचि के लिए भी, उन्होंने पूरे भारत में यात्राएं की हैं। वर्तमान में, वह भारत के 500+ में घूमने, अथवा काम के सिलसिले में जा चुके हैं। पिछले कुछ वर्षों से, वह पटना, बिहार में स्थित है, और इन दिनों संस्कृत विषय से स्नातक (शास्त्री) की पढ़ाई पूरी कर रहें है। एक सामग्री लेखक के रूप में, उनके पास OpIndia, IChowk, और कई अन्य वेबसाइटों और ब्लॉगों पर कई लेख हैं। भगवद् गीता पर उनकी पहली पुस्तक "गीतायन" अमेज़न पर बेस्ट सेलर रह चुकी है।

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