निकला नगर कीर्तन, मुख्य समारोह आज

पटना साहिब। खालसा पंथ के साजना दिवस पर गुरु का बाग गुरुद्वारा में बुधवार को धार्मिक आयोजन हुआ। दो दिनों से चल रहे श्री गुरु ग्रंथ साहिब के पाठ की समाप्ति के बाद विशेष दीवान सजा। इसमें रागी जत्था भाई नविंदर सिंह, भाई कविंदर सिंह, अमृतसर से आए मंजीत सिंह संत और दरबार साहिब अमृतसर के भाई सरबजीत सिंह ने शबद कीर्तन से संगत को निहाल किया। कथावाचक ज्ञानी चरणजीत सिंह व ज्ञानी दलजीत ने कथा कही। जत्थेदार ज्ञानी रणजीत सिंह गौहर-ए-मस्कीन के अरदास व हुकुमनामा के साथ विशेष दीवान की समाप्ति हुई। इसके बाद गुरु का अटूट लंगर चला। बाद में अपराह्न में यहां से नगर कीर्तन निकाला गया।

पंच प्यारे और झूलते निशान साहिब के साथ नगर कीर्तन निकाला गया, जिसमें फूलों से सजे रथ पर गुरु ग्रंथ साहिब की सवारी चल रही थी।।बैंड बाजों से सजे नगर कीर्तन में स्कूली बच्चों के मार्च पास्ट और शबद कीर्तन करती महिला और पुरुषों की टोली शामिल थी। नगर कीर्तन का रास्ते मे जगह-जगह स्वागत कर गुरु ग्रंथ साहिब पर पुष्प वर्षा कर आरती उतारी गई। नगर कीर्तन के तख्त साहिब पहुंचने के बाद विशेष दीवान का आयोजन किया गया। इसमें रहिरास साहिब का पाठ, आरती, अरदास व हुकुमनामा के साथ सोदर कीर्तन भाई जगत सिंह और भाई सरबजीत सिंह ने किया, जबकि कथा चरणजीत सिंह ने की।

तख्तश्री हरिमंदिर जी पटना साहिब में बुधवार को भी अखंड पाठ चलता रहा। गुरुवार इसकी समाप्ति के साथ साजना दिवस का मुख्य समारोह तख्त साहिब में मनाया जायेगा। इसमें शबद कीर्तन, कथा व प्रवचन हुआ। इस आयोजन में कमेटी के उपाध्यक्ष जगजोत सिंह सोही, महासचिव इंद्रजीत सिंह, सचिव हरबंश सिंह, मनोहर सिंह बग्गा, चरनी सिंह, प्रेम सिंह, इंद्रजीत सिंह, दलजीत सिंह, दिलीप सिंह पटेल, पपिन्द्र सिंह आदि मौजूद थे।

By MINIMETRO LIVE

Minimetro Live जनता की समस्या को उठाता है और उसे सरकार तक पहुचाता है , उसके बाद सरकार ने जनता की समस्या पर क्या कारवाई की इस बात को हम जनता तक पहुचाते हैं । हम किसे के दबाब में काम नहीं करते, यह कलम और माइक का कोई मालिक नहीं, हम सिर्फ आपकी बात करते हैं, जनकल्याण ही हमारा एक मात्र उद्देश्य है, निष्पक्षता को कायम रखने के लिए हमने पौराणिक गुरुकुल परम्परा को पुनः जीवित करने का संकल्प लिया है। आपको याद होगा कृष्ण और सुदामा की कहानी जिसमे वो दोनों गुरुकुल के लिए भीख मांगा करते थे आखिर ऐसा क्यों था ? तो आइए समझते हैं, वो ज़माना था राजतंत्र का अगर गुरुकुल चंदे, दान, या डोनेशन पर चलती तो जो दान देता उसका प्रभुत्व उस गुरुकुल पर होता, मसलन कोई राजा का बेटा है तो राजा गुरुकुल को निर्देश देते की मेरे बेटे को बेहतर शिक्षा दो जिससे कि भेद भाव उत्तपन होता इसी भेद भाव को खत्म करने के लिए सभी गुरुकुल में पढ़ने वाले बच्चे भीख मांगा करते थे | अब भीख पर किसी का क्या अधिकार ? आज के दौर में मीडिया संस्थान भी प्रभुत्व मे आ गई कोई सत्ता पक्ष की तरफदारी करता है वही कोई विपक्ष की, इसका मूल कारण है पैसा और प्रभुत्व , इन्ही सब से बचने के लिए और निष्पक्षता को कायम रखने के लिए हमने गुरुकुल परम्परा को अपनाया है । इस देश के अंतिम व्यक्ति की आवाज और कठिनाई को सरकार तक पहुचाने का भी संकल्प लिया है इसलिए आपलोग निष्पक्ष पत्रकारिता को समर्थन करने के लिए हमे भीख दें 9308563506 पर Pay TM, Google Pay, phone pay भी कर सकते हैं हमारा @upi handle है 9308563506@paytm मम भिक्षाम देहि

4 thoughts on “वैशाखी पर सजा विशेष दीवान, कथा व शबद कीर्तन”
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