पटना । खाद्य सुरक्षा से जुड़े सपनों और योजनाओं को जमीन पर उतारने का कार्य भारतीय खाद्य निगम का पूर्वी क्षेत्र तथा बिहार इकाई बखूबी कर रही है. पूर्वी क्षेत्र के अधीन देश के पांच राज्यों के 21 करोड़ लाभार्थियों को सरकार की खाद्य नीति का पूरा लाभ पहुंचाने में भारतीय खाद्य निगम की भूमिका उल्लेखनीय है.
इस कार्य की विशालता का अंदाजा इसी बात से लग सकता है कि भारतीय खाद्य निगम पूर्वी अंचल ने कोरोना महामारी के दौर में भी रिकॉर्ड उपलब्धियां हासिल की और महामारी से प्रभावित क्षेत्र के लोगों को इससे उबरने में मदद की. पूर्वी अंचल ने इस दौरान विभिन्न सरकारी योजनाओं के 1341 खाद्यान्न रेक यानी 35 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न का वितरण किया और देश के 5 राज्यों के 21 करोड़ लाभार्थियों तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाया. इतना ही नहीं इस वर्ष महामारी के संकट के बावजूद खाद्यान्न अधिप्राप्ति में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी की गई।

कोविड काल में भी नहीं होने दी गई किसी को खाद्यान्न की कमी

भारतीय खाद्य निगम पूर्वी अंचल के कार्यपालक निदेशक अजित कुमार सिन्हा ने बताया कि भारतीय खाद्य निगम, पूर्व अंचल के अंतर्गत पांच राज्य बिहार, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल तथा सिक्किम आते हैं। उपरोक्त राज्यों में लगभग 21 करोड़ लाभार्थियों को लाभान्वित करने के लिए निगम निरंतर प्रयत्नशील है. कोविड काल में खाद्यान्नों के सामान्य आवंटन के साथ अतिरिक्त आवंटन की आपूर्ती भी संबंधित राज्यों को उनकी आहार वरीयता के अनुरूप ससमय की गयी.
कार्यकारी निदेशक ने कहा कि अतिरिक्त आवंटन से महामारी के कारण पैदा हुए आर्थिक गतिरोध से गरीबों के सामने जीवन यापन में आई कठिनाइयों को कुछ कम किया जा सका. किसी भी गरीब परिवार को खाद्यान्न की अनुपलब्धता के कारण संकट का सामना नहीं करना पड़ा. एफसीआई का पूर्वी अंचल अपने खाद्य योद्धाओं की पूरी टीम के साथ खाद्यान्न वितरण की चुनौती को स्वीकार करते हुए इस बड़े कार्य में जुटा रहा. इस दौरान लॉकडाउन तथा कोविड-19 गाइडलाइन का भी पालन किया गया ताकि कर्मचारी, वर्कर और अधिकारियों की भी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
बिहार में भी भारतीय खाद्य निगम निरंतर योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन के साथ खाद्यान्न अधिप्राप्ति में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी की दिशा में प्रयत्नशील है. राज्य में आठ लाख मिट्रिक टन अन्न भंडारण क्षमता के अत्याधुनिक भंडार गृहों (साइलो) का निर्माण कराया जा रहा है. कटिहार में 50 हजार मिट्रिक टन क्षमता का अत्याधुनिक भंडारण गृह (साइलो) लगभग बनकर तैयार है, जबकि बक्सर और कैमूर में अत्याधुनिक साइलो का निर्माण कार्य प्रगति पर है. डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक अफेयर्स के सहयोग से संचालित हो रही इस परियोजना में बिहार के कई अन्य जिले भी लाभान्वित होंगे. बक्सर और कैमूर जिले में चावल भंडारण क्षमता वाले बेहद अत्याधुनिक वातानुकूलित भंडारण गृह (साइलो) का निर्माण कराया जा रहा है . यह संभवतः चावल के लिए देश के पहले अत्याधुनिक भंडारण गृह होंगे. यह योजना इन तीन जिलों के अतिरिक्त छपरा, बेतिया, भागलपुर, दरभंगा, समस्तीपुर, हाजीपुर और खगड़िया जिलों में भी ली जा चुकी है।
इन तमाम प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद बिहार में भारतीय खाद्य निगम के भंडारण ग्रहों की क्षमता बढ़ 9 लाख मैट्रिक टन से बढ़कर 17 लाख मैट्रिक टन हो जाएगी जिससे किसानों द्वारा बिहार में उत्पादित अनाज अच्छी तरह से और सुरक्षित रूप से भंडारित हो पाएगा।

By anandkumar

आनंद ने कंप्यूटर साइंस में डिग्री हासिल की है और मास्टर स्तर पर मार्केटिंग और मीडिया मैनेजमेंट की पढ़ाई की है। उन्होंने बाजार और सामाजिक अनुसंधान में एक दशक से अधिक समय तक काम किया। दोनों काम के दायित्वों के कारण और व्यक्तिगत रूचि के लिए भी, उन्होंने पूरे भारत में यात्राएं की हैं। वर्तमान में, वह भारत के 500+ में घूमने, अथवा काम के सिलसिले में जा चुके हैं। पिछले कुछ वर्षों से, वह पटना, बिहार में स्थित है, और इन दिनों संस्कृत विषय से स्नातक (शास्त्री) की पढ़ाई पूरी कर रहें है। एक सामग्री लेखक के रूप में, उनके पास OpIndia, IChowk, और कई अन्य वेबसाइटों और ब्लॉगों पर कई लेख हैं। भगवद् गीता पर उनकी पहली पुस्तक "गीतायन" अमेज़न पर बेस्ट सेलर रह चुकी है।

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