आईआईटी पटना के ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट सेल की 2023 कांफ्लुएंस द्वारा आयोजित एक सेमिनर में देहात के सह-संस्थापक आदर्श श्रीवास्तव ने अपनी यात्रा के माध्यम से भारत के कृषि क्षेत्र में आई तकनीकी क्रांति के बारे में बताया। यह आयोजन “कांफ्लुएंस 2023: ए लीडर्स इनसाइट्स ” शृंखला में एक कीनोट टॉक था जिसमें देहात के सह-संस्थापक ने बताया कि नेतृत्व अगर झुकने को तैयार न हो तो कैसे बदलाव लाये जा सकते हैं।
इस सत्र का केंद्र बिंदु “कृषि व्यवस्था में तकनीक के माध्यम से खाइयों को पाटना” था.
कृषि तकनीकों पर काम करने वाली इस कंपनी को आज कृषक उम्मीद की एक किरण के रूप में देखते हैं, जो उनकी रोजमर्रा की दिक्कतों को उचित मूल्य की तकनीकों के ज़रिये सुलझाती है। कार्यक्रम का आरंभ पारम्परिक दीप प्रज्वलन से हुआ जिसके बाद आदर्श श्रीवास्तव के के अनुभव का प्रतिभागियों ने लाभ उठाया। अंत में प्रश्नोत्तर का एक सत्र रखा गया जिसमें छात्रों एवं अन्य प्रतिभागियों के प्रश्नों का भी उन्होंने उत्तर दिया।
कई गणमान्य अतिथियों के साथ ए डीन प्रशासनिक प एवं सीसी हेड प्रो. सोमनाथ त्रिपाठी, केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के एचओडी, डॉ. जोस वी पराम्बिल , पीआईसी टीपीसी डॉ अश्वनी असम एवम् टीपीओ कृपाशंकर सिंह इस आयोजन में मौजूद रहे। बीटेक, एमटेक, और एमएससी के कई छात्र भी आयोजन में शामिल हुए। अकादमिक एवं शिक्षा जगत के प्रतिभागियों के अलावा कृषि क्षेत्र के बदलावों और तकनीकों में रूचि रखने वाले कई हितधारक भी आयोजन में उपस्थित थे।
आदर्श श्रीवास्तव ने अपने भाषण में बताया कि कैसे असफलताओं की ही सीढ़ी बनाकर कोई स्टार्टअप एक नयी राह पर चलता है। लगन हो तो सफलता पायी जा सकती है। शुरूआती दौर में देहात को भी कई चुनौतियों और असफलताओं का सामना करना पड़ा था। कृषि क्षेत्र की कई व्यवस्थाओं में देहात के कार्य ने आमूलचूल परिवर्तन ला दिया है। किसानों को एक प्लेटफार्म देने से कृषि को जो मदद मिली उससे कंपनी को भी लाभ मिला। किसी भी क्षेत्र में समेकित विकास के लिए सबसे निचले पायदान जो यहाँ कृषक थे, उन्हें तकनीक से जोड़ने पर बदलाव लाये जा सकते हैं, इस बात पर उन्होंने बल दिया।
देहात की कहानी हार न मानने की कहानी भी है। आदर्श श्रीवास्तव ने बताया कि आरंभ में निवेशकों को लगता था कि कृषि फायदे का काम नहीं है और इससे उन्हें अपेक्षित लाभ नहीं मिल पायेगा। इसके कारण उन्हें 85 से अधिक बार निवेशकों की ना सुननी पड़ी। अंत में कहीं 86वें निवेशक से भेंट होने पर कंपनी की योजना में निवेश आरंभ हुआ। लगन और हौसला न छोड़ने के महात्व को उन्होंने रेखांकित किया। डीहाट की कहानी ये भी बताती है कि किसानों को तकनीक से जोड़ना कैसे जमीनी स्तर पर बदलाव लाता है।
बातचीत के दौरान आदर्श श्रीवास्तव ने बताया कि कृषि के क्षेत्र में अभी भी अपार संभावनाएं हैं और नयी कंपनियों के लिए इस क्षेत्र में प्रयाप्त जगह अभी भी खाली है। तकनीकों का विकास आम आदमी की जरूरत के लिए हो, इस बात से प्रतिभागियों ने भी सहमती जताई। देहात ने किसानों की मदद से जमीनी स्तर पर जो बदलाव लाये, उन्हें बारे में बात करते हुए आदर्श श्रीवास्तव ने कहा कि इसका स्केल अभी बढ़ाया जा सकता है। निकट भविष्य में इस क्षेत्र में और भी विस्तार होंगे।
लगन और नए अविष्कार, नवाचार की बातें प्रतिभागियों को काफी रुचिकर लगीं। प्रतिभागियों ने जोर शोर से अंत की चर्चा में भाग लिया और उनके प्रश्नों के आदर्श श्रीवास्तव ने संतोषजनक उत्तर देकर प्रतिभागियों को संतुष्ट किया।
देहात की यात्रा ये याद दिलाती है कि कोई भी नया सफ़र चुनौतियों से विहीन हो, ऐसी अपेक्षा नहीं की जानी चाहिये। ऐसी दर्जनों समस्याओं से निपटने के लिए लगन आवश्यक है, बदलावों और नवाचार की आवश्यकताओं को भी देहात की यात्रा से समझा जा सकता है।
देहात की यात्रा की कहानी बताती है कि जब तकनीक और नवाचार का प्रयोग किसी अच्छे उद्देश्य के लिए हो, तो खाइयों को पाटने, कतार में सबसे पीछे खड़े लोगों की मदद, वंचितों का सशक्तिकरण, सबकुछ साथ साथ चलकर कई क्षेत्रों में परिवर्तन अपनेआप ही ले आता है।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट सेल द्वारा अयोजित कॉनफ्लूएंस 2023 में छात्रों को विभिन्न सेक्टर के इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स के ज्ञान एवम् अनुभव का बेहतर लाभ मिल रहा है. आने वाले सप्ताह में भी इस प्रकार के कई विशेषज्ञ अंपने अनुभवों से आईआईटी पटना के छात्रों का मार्गदर्शन करेंगे.