नमस्कार मेरा नाम है माला राज और आप देखना शुरू कर चुके हैं समाचार सार जिसमे हम दिखाते हैं आपको राष्ट्रीय खबरे जिनसे हो आपका सीधा सरोकार. कल का कार्यक्रम काफी लेट हो गया था उम्मीद है आज एडिटर साहेब सही समय पर वीडियो लगा देंगे देखते है  बहरहाल बढ़ते हैं कार्यकर्म की और

ये एपिसोड 24 है तारीख है 01 अगस्त  2023 बढ़ते है खबरों की और

सबसे पहले आज 1 अगस्त 2023 के मुख्य समाचार

  1. सरकारी कर्मचारियों के लिए आई बड़ी खुशखबरी, इस साल के अंत तक 2000 कर्मचारियों का होगा Promotion, मंत्री ने की घोषणा
  2. चार लोगों की हत्या का आरोपी आरपीएफ कांस्टेबल चेतन सिंह 7 अगस्त तक पुलिस हिरासत में भेजा गया
  3. नशा मुक्त भारत बनाने पर NCB का जोर, ऐसे भारत का हो निर्माण जहां युवा न हो नशे का आदि
  4. कुड्डालोर में उपभोक्ता फोरम ने जौहरी को अनुचित व्यापार प्रथाओं के लिए ग्राहक को मुआवजा देने के लिए ₹50,000 का भुगतान करने का आदेश दिया
  5. Manipur violence: सुस्त जांच, कोई कानून-व्यवस्था नहीं बची, SC का आदेश, DGP कोर्ट में पेश हों
  6. टी.एन. के लिए POCSO अधिनियम के मामलों पर SoP बाल अधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि पुलिस कर्मियों को अद्यतन और दुरुस्त करने की जरूरत है
  7. Kashmir मुद्दा झट से सुलझ सकता है अगर मोदी हमारे फॉर्मूले को मान लेंः Mehbooba Mufti
  8. Mumbai Train Shootout को Congress और AIMIM ने दिया साम्प्रदायिक रंग, घटना को बताया BJP की नफरती विचारधारा का परिणामअब समाचार विस्तार से

 

  1. काफी समय से पदोन्नति के इंतजार में बैठे सरकारी कर्मचारियों को अब इसके लिए लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। सरकारी कर्मचारियों को जल्द ही प्रमोशन की सौगात केंद्र सरकार देने वाली है। इसकी जानकारी खुद केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने दी है।

नयी दिल्ली। सरकारी कर्मचारियों के लिए बेहद ही शानदार खुशखबरी आई है। काफी समय से पदोन्नति के इंतजार में बैठे सरकारी कर्मचारियों को अब इसके लिए लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। सरकारी कर्मचारियों को जल्द ही प्रमोशन की सौगात केंद्र सरकार देने वाली है।

इसकी जानकारी खुद केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने दी है। सोमवार को केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि सहायक अनुभाग अधिकारी (एएसओ) और अन्य ग्रेडों में लगभग 2,000 पदोन्नति प्रक्रिया में हैं। इस दिशा में काफी काम हो चुका है और साल के अंत तक इस दिशा में काम पूरा हो जाएगा। इस साल के अंत तक इस प्रक्रिया के पूरा होने की संभावना है।

बता दें कि जितेंद्र सिंह ने ये बातें केंद्रीय सचिवालय कर्मचारियों के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक के दौरान कही है। इस बैठक में केंद्रीय सचिवालय सेवा (सीएसएस) फोरम के प्रतिनिधि और सीमित विभागीय प्रतिस्पर्धी परीक्षा (एलडीसीई) के सीधी भर्ती वाले कर्मचारी शामिल थे। ये बैठक दिल्ली में हुई थी जहां तीनों प्रतिनिधिमंडल ने संयुक्त रूप से मंत्री के साथ मुलाकात की थी। कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि पिछले साल बड़े पैमाने पर गभग नौ हजार पदोन्नतियां की गई थी और उससे पहले कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) तीन वर्षों में चार हजार पदोन्नतियां दे चुका है।

मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस बात को लेकर बहुत गंभीर हैं कि मेहनती और अच्छा काम करने वाले अधिकारियों को काम के अनुकूल माहौल के साथ-साथ समय पर सेवा लाभ भी प्रदान किया जाए ताकि वे राष्ट्र निर्माण में अपना सर्वश्रेष्ठ देने के लिए हमेशा तत्पर रहें। कार्मिक मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में मंत्री के हवाले से कहा गया है कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली सरकार कर्मचारियों को प्रेरित करने के लिए बड़े पैमाने पर पदोन्नति दे रही है ताकि लंबे समय तक ठहराव की समस्या को दूर किया जा सके। बयान के मुताबिक, एएसओ और अन्य ग्रेडों में अन्य 2,000 पदोन्नतियां प्रक्रिया में है और उम्मीद है कि इस साल के अंत तक उन्हें पदोन्नत कर दिया जाएगा।

2. मजिस्ट्रेट अदालत ने मंगलवार को ट्रेन में अपने वरिष्ठ और तीन यात्रियों की हत्या के आरोपी रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के कांस्टेबल चेतन सिंह को 7 अगस्त तक पुलिस हिरासत में भेज दिया। 31 जुलाई को, 33 वर्षीय श्री सिंह ने आरपीएफ सहायक उप-निरीक्षक टीका राम मीना (58) और तीन यात्रियों – अब्दुल कादिरभाई मोहम्मद हुसैन भानपुरवाला (62), अख्तर अब्बास अली (48), और सदर मोहम्मद हुसैन (48) की गोली मारकर हत्या कर दी। वह सुबह करीब 5 बजे जयपुर-मुंबई सेंट्रल एक्सप्रेस पर अपने स्वचालित हथियार का इस्तेमाल कर रहा था। उसे मंगलवार दोपहर बोरीवली पुलिस ने पेश किया।

श्री सिंह की ओर से पेश अधिवक्ता अमित मिश्रे ने कहा कि उनकी तबीयत ठीक नहीं है और वह मानसिक रूप से अस्वस्थ हैं। अभियोजन पक्ष ने 14 दिनों की पुलिस हिरासत की मांग की। हालाँकि, मजिस्ट्रेट ने कांस्टेबल को सात दिनों की पुलिस हिरासत में भेज दिया।

श्री सिंह को सरकारी रेलवे पुलिस कर्मियों ने गिरफ्तार कर लिया और उनका हथियार जब्त कर लिया, जब यात्रियों द्वारा चेन खींचने के बाद मीरा रोड और दहिसर स्टेशनों के बीच ट्रेन रुकने पर वह भागने की कोशिश कर रहे थे।

श्री सिंह ने कथित तौर पर अपने स्वचालित हथियार से 12 राउंड गोलियां चलाईं और घटना के बाद जीआरपी ने हथियार से आठ गोलियां बरामद कीं। उसने वरिष्ठ पुलिसकर्मी और कोच बी5 में एक यात्री, बी6 में एक अन्य यात्री और बी5 और बी6 कोच के बीच पेंट्री कार में एक यात्री की हत्या कर दी।

श्री सिंह उत्तर प्रदेश के हाथरस के रहने वाले हैं और पिछले मार्च में उन्हें भावनगर डिवीजन से मुंबई स्थानांतरित कर दिया गया था। वह हाल ही में हाथरस गए थे और 17 जुलाई को ड्यूटी पर लौटे थे। उन्हें भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या की सजा) और भारतीय हथियार अधिनियम और भारतीय रेलवे अधिनियम की धाराओं के तहत गिरफ्तार किया गया था।

टीका राम मीणा राजस्थान के सवाई माधोपुर के रहने वाले थे और उनकी सेवानिवृत्ति 2025 में होने वाली थी। उनके परिवार में उनकी पत्नी, एक 25 वर्षीय बेटा और 18 और 20 साल की दो बेटियां हैं।

31 जुलाई की शाम, तथ्य-जांच वेबसाइट AltNews के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर ने अपने व्यक्तिगत एक्स (पूर्व में ट्विटर) हैंडल से एक वीडियो पोस्ट किया जिसमें कथित तौर पर श्री सिंह हत्याओं को उचित ठहराते हुए और कुछ सांप्रदायिक टिप्पणियां करते हुए दिखाई दे रहे थे। हालाँकि, रेल मंत्रालय के कार्यकारी निदेशक (सूचना एवं प्रचार) शिवाजी सुतार ने कहा, “स्थान और प्रामाणिकता स्थापित नहीं की जा सकती। मामले की जांच चल रही है

3. डिजिटल प्लेटफार्मों, डार्क नेट और डार्क वेब का उपयोग करके युवा तकनीक से प्रेम करने वाली पीढ़ी के ड्रग्स की तस्करी में शामिल होने की प्रवृत्ति उभरी है और क्रिप्टो मुद्राओं और आभासी पहचान का उपयोग समाज के लिए एक खतरनाक अवधारणा है।

माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के ड्रग फ्री इंडिया (नशा मुक्त भारत) के विजन के अनुसरण में और हाल ही में उत्तरी क्षेत्रीय सम्मेलन के दौरान माननीय केंद्रीय गृह मंत्री के दिशा-निर्देशों पर कार्रवाई करते हुए जांच के दौरान ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर तक पूरे नेटवर्क को ध्वस्त करते हुए, एनसीबी, दिल्ली क्षेत्रीय इकाई ने डार्कनेट पर ज़म्बाडा कार्टेल के लोकप्रिय नाम से चलाये जा रहे सबसे बड़े एलएसडी कार्टेल को ध्वस्त किया है।

 माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 30.07.2023 को अपने नवीनतम “मन की बात” में नशा मुक्त भारत के विजन की पुष्टि की है और हमारे युवाओं की रक्षा के लिए ड्रग  के दुरुपयोग के खतरे को रोकने में प्रवर्तन एजेंसियों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया है। सरकार का उद्देश्य ऐसे भारत का निर्माण करना है  जहां एक भी युवा नशे का आदी न हो।

 एनसीबी ने एक बड़ी सफलता हासिल करते हुए भारत के सबसे बड़े डार्कनेट एलएसडी कार्टेल “जम्बाडा कार्टेल” को ध्वस्त किया है।

 एनसीबी ने तीन महीने के भीतर डार्कनेट पर दो बड़े भारतीय एलएसडी कार्टेल को ध्वस्त किया है।

 जम्बाडा कार्टेल डार्कनेट पर एकमात्र भारतीय एलएसडी कार्टेल है जिसे अवैध तस्करों और उपभोक्तायों द्वारा 5 स्टार रेटिंग दी गई है।

 ज़म्बाडा कार्टेल का इरादा भारत में पहला एलएसडी आउटलेट खोलने का था, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय सुविधाओं के आदान प्रदान के साथ एक लाख एलएसडी ब्लॉट्स का न्यूनतम स्टॉक होता ।

 एनसीबी, दिल्ली क्षेत्रीय इकाई द्वारा अब तक कुल 6 मामले दर्ज किए गए हैं। ड्रग्स के आयात और इसके अखिल भारतीय वितरण में शामिल 22 भारतीयों को गिरफ्तार किया गया है।

 आरोपित व्यक्तियों के पास से 29,013 एलएसडी ब्लोट्स  (जोकि अपने आप में एक रिकॉर्ड है),  472 ग्राम एमडीएमए पाउडर और 51.38 लाख रुपये की ड्रग मनी जब्त की गई।

 एलएसडी की वाणिज्यिक मात्रा लगभग 6 ब्लॉट्स है। इन मामलों में लगभग 5000 गुना वाणिज्यिक मात्रा में एलएसडी जब्त किया गया।

 शिक्षित युवा और तकनीक की समझ रखने वाले पेशेवरों/छात्रों की भागीदारी। एनसीआर, हैदराबाद और बेंगलुरु के प्रोफेशनल मुख्य निशाने पर थे।

 वर्चुअल पहचान और क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग।

काम करने के तरीके

1. सोशल मीडिया साइटों के माध्यम से संपर्क करना ।

2. डिलीवरी मोड – मुख्य रूप से नकली पते / मोबाइल नंबरों पर कूरियर का भेजा जाना ।

3. भुगतान केवल क्रिप्टोकरेंसी और उनके रूपांतरण के माध्यम से प्राप्त किए जाते है ।

4. विक्रेताओं और खरीदारों के बीच कोई मौखिक संचार नहीं किया गया।

 डार्कनेट पर सक्रिय एलएसडी कार्टेल के खिलाफ कार्रवाई करते हुए एनसीबी ने तीन प्रमुख एलएसडी कार्टेल की पहचान की है, जिनका कारोबार  देश भर में फैला हुआ था।

 इन कार्टेल के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए दिल्ली क्षेत्रीय इकाई द्वारा विशेष टीमों का गठन किया गया। गहन साइबर गश्त और तकनीक के साथ- साथ  फील्ड निगरानी के बाद, 19 अप्रैल 2023 को एक ऑपरेशन शुरू किया गया था, जिसके परिणामस्वरूप लगभग 15,000 एलएसडी ब्लॉट्स (वाणिज्यिक मात्रा के 2500 गुना से अधिक), 44 ग्राम एमडीएमए और 24.65 लाख रुपये की ड्रग मनी की जब्ती/ फ्रीज के साथ देश में दूसरे सबसे बड़े डार्कनेट एलएसडी कार्टेल को ध्वस्त करने में पहली सफलता मिली।

 निरंतर अभियानों में यह पता चला कि डार्कनेट पर एलएसडी में काम करने वाला सबसे बड़ा कार्टेल यानी ज़म्बाडा कार्टेल दिल्ली एनसीआर से संचालित होता है। ग्राउंड सर्विलांस द्वारा उत्पन्न सुरागों को आगे बढ़ाते हुए और तकनीकी निगरानी की अतिरिक्त सहायता से, इस कार्टेल के दो ग्राउंड ऑपरेटरों की पहचान की गई। एनसीबी की टीमों द्वारा उन पर दिन-रात नजर रखी गई, जिससे इस कार्टेल के मास्टरमाइंड का बल्लभगढ़ (फरीदाबाद) में होने का पता चला। तत्पश्चात इन व्यक्तियों के परिसरों में कई छापे मारे गए, जिसके परिणामस्वरूप 13,863 एलएसडी ब्लॉट्स, 428 ग्राम एमडीएमए और 26.73 लाख ड्रग मनी जब्त/फ्रीज की गई।

 एनसीबी, दिल्ली क्षेत्रीय इकाई द्वारा इन एलएसडी कार्टेलों के खिलाफ अब तक कुल 6 मामले दर्ज किए गए हैं। हमने ड्रग्स के आयात और इसके अखिल भारतीय वितरण में शामिल 22 भारतीयों को गिरफ्तार किया है।

 इन 6 मामलों से आरोपी व्यक्तियों से 29,013 एलएसडी ब्लॉट्स, 472 ग्राम एमडीएमए पाउडर और 51.38 लाख रुपये की ड्रग मनी जब्त/फ्रीज की गई है।

 तीसरे सबसे बड़े डार्कनेट एलएसडी कार्टेल के खिलाफ ऑपरेशन अभी भी जारी है।

 डार्कनेट पर कार्टेल द्वारा बेची गई ड्रग  की क्षमता और उनकी ग्राहक सेवा के आधार पर 1 स्टार से 5 स्टार के पैमाने पर रेट किया जाता है।

 जम्बाडा कार्टेल 5 स्टार रेटिंग के साथ देश का एकमात्र कार्टेल था।

 यह व्यापार की मात्रा और आपूर्ति श्रृंखला के आधार पर एलएसडी का सबसे बड़ा कार्टेल है।

 इस कार्टेल में 21-25 वर्ष के आयु वर्ग के युवा शिक्षित पुरुष शामिल हैं।

 तेजी से पैसा और डार्कनेट ऑपरेशंस की गुमनामी ने इन युवाओं को ड्रग डीलिंग में धकेल दिया।

 ओटीटी प्लेटफार्मों पर विभिन्न वेब श्रृंखलाओं ने उनके संचालन के तरीके को प्रेरित किया।

 उन्होंने इस कार्टेल का नाम “इस्माइल-मार्लो ज़म्बाडा गार्सिया” से प्रेरित होकर रखा , जो एक मैक्सिकन ड्रग लॉर्ड है और मेक्सिको के 37 सबसे वांछित ड्रग लॉर्ड्स की सूची में अंतिम शेष भगोड़ा है और उस पर $ 15,000,000 अमरीकी डालर तक का इनाम है।

 हैदराबाद पुलिस ने सितंबर 2022 में आठ लोगों को गिरफ्तार किया था और उस मामले में जम्बाडा  कार्टेल का नाम सामने आया था। जम्बाडा  कार्टेल ने इस घटना के बाद डार्कनेट पर घोषणा की थी कि वह सुरक्षित हैं और वह कभी नहीं पकड़ा जाएगा और बिना किसी हिचकिचाहट के काम करता रहेगा।

 वह Dr. Seuss अका डीएस और टीएस (Tribe Seuss) और गामा गोबलिन के नाम से एक डार्कनेट ऑपरेटर के साथ निकट संपर्क में था, जो दुनिया भर में एलएसडी के सबसे बड़े स्रोत है।

 ज़म्बाडा का इरादा Dr. Seuss का इंडिया आउटलेट खोलने का था, जिसमें उसे  1,00,000 एलएसडी ब्लॉट्स का न्यूनतम स्टॉक बनाए रखना था। Dr. Seuss (Tribe Seuss) के यूके, यूएसए, दक्षिण अफ्रीका, कनाडा, रूस, स्पेन, पुर्तगाल, ग्रीस और तुर्किए  में आउटलेट हैं।

 उन्होंने पहले से ही इस उद्देश्य के लिए लोगों की भर्ती शुरू कर दी थी और पहले से ही लॉजिस्टिक्स  और स्थान का निर्धारण  कर लिया  था।

 कार्टेल का काम विभिन्न क्रिप्टो वॉलेट में ड्रग्स की आय एकत्र करना था और फिर इसे क्रिप्टोकरेंसी की विभिन्न परतों में स्थानांतरित करना था ताकि अंत में उनके बैंक खातों में धन प्राप्त किया जा सके।

 एनसीबी ड्रग्स के स्रोतों की पहचान करने और उन्हें गिरफ्तार करने के लिए विभिन्न विदेशी कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ काम करना शुरू कर चुकी है।

 एलएसडी (लिसर्जिक एसिड डायथाइलमाइड) एक हेलुसीनोजेनिक दवा है। हॉलुसिनोजेन्स लोगों को अपने आसपास की दुनिया को समझने के तरीके को बदलता हैं। इसे एसिड, ब्लोट्स, स्टैम्प आदि के रूप में भी जाना जाता है। एलएसडी गंधहीन, रंगहीन और बेस्वाद है। इसे कागज के छोटे वर्गों पर चित्रित किया जा सकता है जिसे लोग चाटते हैं या निगलते हैं। एलएसडी जगह, दूरी और समय की इंद्रियों को बदलने का कारण बनता है। लोग कह सकते हैं कि वे रंगों को “सुनते” हैं  या ध्वनि “देखते” हैं, और उनमें भ्रमित करने वाली और असरदार  भावनाएं हैं।

 कई उपयोगकर्ता इसके सफल उपयोग को “एसिड ट्रिप” के रूप में संदर्भित करते हैं। एलएसडी “विचलता ” का कारण भी बन सकता है -जब उपयोगकर्ता आतंक,भ्रम,उदासी और डरावनी छवियों का अनुभव करते हैं। पहले उपयोग के साथ बुरी प्रतिक्रियाएं हो सकती हैं और एक उपयोगकर्ता को बाद में फ्लैशबैक हो सकता है,ड्रग बंद होने के बाद भी विचलता की भावनाओं का अनुभव हो सकता है।

 क्योंकि एलएसडी निर्णय और व्यवहार को भी प्रभावित करता है, उपयोगकर्ता खुद को खतरनाक स्थिति में पा सकते हैं। शारीरिक परिवर्तनों में हृदय गति और रक्तचाप में वृद्धि, मांसपेशियों में बदलाव और झटके, फैली हुई पुतलियां, पसीना, नींद न आना और भूख में कमी शामिल हैं।

 

 डिजिटल प्लेटफार्मों, डार्क नेट और डार्क वेब का उपयोग करके युवा तकनीक से  प्रेम करने वाली  पीढ़ी के ड्रग्स की तस्करी में शामिल होने की प्रवृत्ति उभरी है और क्रिप्टो मुद्राओं और आभासी पहचान का उपयोग समाज के लिए एक खतरनाक अवधारणा है। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो एक संगठन के रूप में डिजिटल प्लेटफॉर्म के दुरुपयोग के खतरे को रोकने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है। डार्क नेट के माध्यम से ड्रग्स की तस्करी के खतरे को कम करने के लिए एनसीबी ने डार्कथॉन का आयोजन किया था, जिसका उद्देश्य डार्क-नेट को क्रैक करने के समाधान खोजने वाले बुद्धिमान युवाओं  को पुरस्कृत करना था।

 एनसीबी द्वारा सहयोगी डीएलईए (ड्रग लॉ एनफोर्समेंट एजेंसियां) के लिए विभिन्न क्षमता निर्माण कार्यक्रम भी आयोजित किए गए हैं ताकि एकजुट प्रयास के साथ सामूहिक रूप से इस चुनौती से निपटा जा सके। एनसीबी ने नियमित अंतराल पर कूरियर और भारतीय डाक के लिए संवेदीकरण कार्यक्रम भी आयोजित किए हैं। कूरियर और डाक के माध्यम से ड्रग्स की तस्करी से निपटने के लिए क्या करें और क्या न करें/दिशा-निर्देश भी कूरियर एजेंसियों को परिचालित किए गए हैं।

4. कुड्डालोर जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने मंगलवार को कुड्डालोर स्थित एक जौहरी को अनुचित व्यापार प्रथाओं और सेवाओं में कमी के लिए एक उपभोक्ता को ₹50,000 का भुगतान करने का निर्देश दिया।

अपनी याचिका में, कुड्डालोर के 58 वर्षीय शिक्षक पुष्पराज ने कहा कि वह श्री वल्ली विलास, कुड्डालोर द्वारा शुरू की गई एक जमा योजना ‘स्वर्ण विरुचगम’ में शामिल हो गए हैं। योजना के तहत, जौहरी ने एक निर्धारित अवधि के लिए आवधिक जमा इस वादे के साथ स्वीकार किया कि सोने की एक समान मात्रा ग्राहक के खाते में जमा की जाएगी, जिसका उपयोग बाद में सजावटी आभूषण खरीदने के लिए किया जा सकता है। जौहरी ने यह भी विज्ञापन दिया कि योजना के तहत खरीदे गए सोने में ‘बर्बाद शुल्क’ और ‘बनाने का शुल्क’ दोनों शामिल नहीं होंगे।

हालाँकि, याचिकाकर्ता ने उपभोक्ता विवाद आयोग को बताया कि खरीदारी के समय, श्री वल्ली विलास ने ‘वैल्यू एडिशन’ नामक एक घटक जोड़ा था, जो उन्होंने कहा, बर्बादी शुल्क और मेकिंग चार्ज के अलावा कुछ नहीं था, जो योजना की शर्तों के खिलाफ था। .

जौहरी ने दावा किया कि ‘मूल्य संवर्धन’ केवल वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की गणना के उद्देश्य से जोड़ा गया था और उन्होंने कहा कि योजना के तहत वादे के अनुसार बाद में शुल्क बंद कर दिया गया था।

आयोग ने माना कि ‘अपव्यय’ या ‘बनाने’ के आरोपों को अनिवार्य करने वाला कोई कानून या नियम या विनियमन नहीं था। बल्कि आभूषणों पर किए गए काम के आधार पर शुल्क लगाना ज्वैलर्स का विवेकाधिकार था।

“इस तर्क के अनुसार, बर्बादी या तो 0% (कोई बर्बादी नहीं) या कोई भी प्रतिशत हो सकती है जो पूरी तरह से उनके द्वारा निर्धारित विवेक के अंतर्गत है। यदि बर्बादी 0% पर तय की जाती है, तो बर्बादी पर जीएसटी इकट्ठा करने के लिए जौहरी की आवश्यकता या कर्तव्य बिल्कुल भी उत्पन्न नहीं होगा, ”आयोग ने कहा।

आयोग ने पाया कि जौहरी ने विज्ञापन दिया था कि वे योजना के तहत नामांकित ग्राहकों से बर्बादी का शुल्क नहीं लेंगे, लेकिन यह कहकर ‘मूल्यवर्धन’ शुल्क शामिल नहीं कर सके कि यह केवल कर उद्देश्यों के लिए किया गया है।

अध्यक्ष और न्यायाधीश डी. गोपीनाथ की अध्यक्षता वाले आयोग ने श्री वल्ली विलास को अनुचित व्यापार प्रथाओं और सेवाओं में कमी के लिए उत्तरदायी ठहराया और जौहरी को याचिकाकर्ता को ₹50,000 का भुगतान करने का निर्देश दिया। आयोग ने जौहरी को अपनी वेबसाइटों, ई-प्रकाशनों या मुद्रित रूप में स्वर्ण विरुचगम योजना के संचालन, प्रचार, विज्ञापन या विपणन को बंद करने का भी निर्देश दिया।

5. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने बताया कि जांच उल्लेखनीय रूप से सुस्त रही है, गिरफ्तारी या ठोस नतीजों के मामले में बहुत कम या कोई प्रगति नहीं हुई है। इसके अलावा, उन्होंने काफी समय बीतने के बाद ही बयान दर्ज करने की संबंधित प्रवृत्ति पर प्रकाश डाला, जिससे एकत्र किए गए सबूतों की विश्वसनीयता पर संदेह पैदा हो गया।

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को जांच की “सुस्त” गति और मणिपुर में मौजूदा कानून व्यवस्था की स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त की। भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ ने टिप्पणी की कि जांच में प्रगति की कमी के कारण काफी समय बीत जाने के बावजूद कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि इसके परिणामस्वरूप, कानूनी प्रणाली की प्रभावकारिता में जनता का विश्वास कम हो गया है और संवैधानिक तंत्र की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो गए हैं।

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने बताया कि जांच उल्लेखनीय रूप से सुस्त रही है, गिरफ्तारी या ठोस नतीजों के मामले में बहुत कम या कोई प्रगति नहीं हुई है। इसके अलावा, उन्होंने काफी समय बीतने के बाद ही बयान दर्ज करने की संबंधित प्रवृत्ति पर प्रकाश डाला, जिससे एकत्र किए गए सबूतों की विश्वसनीयता पर संदेह पैदा हो गया। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई सोमवार 7 अगस्त) के लिए तय की और मणिपुर के डीजीपी को व्यक्तिगत रूप से पेश होकर सवालों के जवाब देने को कहा।

6. POCSO (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण) अधिनियम, 2012 के तहत मामलों से निपटने के लिए तमिल में जारी एक हालिया मानक संचालन प्रक्रिया (SoP) और चेकलिस्ट के बारे में चिंताएं उठाई गई हैं, जिसे सभी महिला पुलिस स्टेशन (AWPS) कर्मियों के बीच प्रसारित किया गया था।  बाल अधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि परिपत्र के कुछ खंडों में अतिरिक्त विवरण की आवश्यकता है, और अद्यतन POCSO नियमों के संदर्भ में सुधार किए जाने की आवश्यकता है, क्योंकि इससे पुलिस कर्मियों के बीच भ्रम पैदा हो सकता है जो SoP और चेकलिस्ट का उपयोग करेंगे।

शिकायत दर्ज करने के बारे में अपने पहले खंड में, परिपत्र में कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति (बच्चों सहित) जिसे अपराध होने की आशंका है या ऐसे अपराध के बारे में पता है जो किया गया है, उसे विशेष किशोर पुलिस इकाई (एसजेपीयू) को जानकारी प्रदान करनी चाहिए। ) या स्थानीय पुलिस। जबकि सर्कुलर में कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति जो किसी मामले की रिपोर्ट या रिकॉर्ड नहीं करेगा, उसे अधिनियम की धारा 21 के अनुसार दंडित किया जाएगा, लेकिन यह उल्लेख करने में विफल रहता है कि यह बच्चों पर लागू नहीं होता है।

“बच्चों की सुरक्षा के बारे में एक अनुभाग में, परिपत्र उन अपराधों के बारे में बात करता है जो बच्चे के साथ एक ही या साझा घर में रहने वाले व्यक्ति द्वारा किए गए हैं या प्रयास किए गए हैं या किए जाने की संभावना है, या ऐसे उदाहरण जहां बच्चा किसी बच्चे में रह रहा है देखभाल संस्थान और माता-पिता के समर्थन के बिना है, या बच्चा बिना किसी घर और माता-पिता के समर्थन के पाया गया है। इन मामलों में, संबंधित एसजेपीयू या स्थानीय पुलिस को बच्चे को बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के समक्ष पेश करना चाहिए। जबकि सर्कुलर इसके लिए 2020 POCSO नियमों का संदर्भ देता है, यह गलती से धारा 4(3) को निर्दिष्ट करता है, जो 2020 के नियमों की धारा 4(4) के बजाय 2012 के नियमों से है, ”एक बाल अधिकार कार्यकर्ता ने कहा।

“हालांकि यह एसओपी और चेकलिस्ट मार्गदर्शन प्रदान करने का प्रयास करती है, यह संभवतः अधिक भ्रम पैदा कर सकती है, यह देखते हुए कि ये मामले कितने जटिल हैं। उन्होंने कहा, “मानव और यौन हिंसा से जुड़े मामलों को संबोधित करने के लिए इसे और अधिक विस्तृत और परिदृश्य-उन्मुख होना चाहिए।”

परिपत्र अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी), महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध की ओर से है, और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को इसे प्रसारित करने के साथ-साथ सभी एडब्ल्यूपीएस को प्रशिक्षण देने और बाद में एक अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है।

पीड़ित मुआवजे पर प्रकाश डालते हुए, परिपत्र में कहा गया है कि इसके लिए जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) से संपर्क किया जाना चाहिए। हालाँकि, इस साल फरवरी में मद्रास उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल द्वारा POCSO अधिनियम 2012 के तहत जीवित बचे बच्चों/पीड़ितों के लिए अंतरिम मुआवजे की प्राप्ति, प्रसंस्करण और वितरण के बारे में जारी SoP में DLSA का उल्लेख नहीं है।

मद्रास उच्च न्यायालय में प्रैक्टिस करने वाली वकील दीपिका मुरली ने कहा कि POCSO मामलों को संभालने में कई हितधारक शामिल होने के कारण, इस परिपत्र में देखी गई ऐसी गलतियाँ प्रक्रिया को जटिल बना सकती हैं और और भी अधिक भ्रम पैदा कर सकती हैं। “पीड़ित पर ध्यान केंद्रित रखते हुए प्रक्रिया को निर्बाध रूप से आगे बढ़ाना होगा। इस तरह का संचार केंद्र सरकार के नवीनतम नियमों के अनुरूप होना चाहिए: इस मामले में, 2012 के नियमों के बजाय 2020 POCSO नियमों को संदर्भित करने की आवश्यकता है जिन्हें बहुत स्पष्ट रूप से बदल दिया गया है, ”उसने कहा।

7. महबूबा मुफ्ती ने कहा, ”जब (2014 के विधानसभा चुनाव में) मुफ्ती साहब के पास 28 सीट थीं, तो उन्होंने मोदी से मुलाकात की और सरकार गठन के लिए अपनी शर्तों की सूची उन्हें सौंपी। उन्होंने (केंद्र की) भाजपा सरकार से आश्वासन मांगा कि (अनुच्छेद) 370 को नहीं छुआ जाएगा।”

अनुच्छेद 370 को हटाये जाने के मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ में सुनवाई से पहले कश्मीरी नेताओं के बयानों का सिलसिला शुरू हो गया है। दशकों तक जम्मू-कश्मीर पर राज करने वाले राजनीतिक दल 370 के फायदे गिनाने में जुटे हुए हैं और इसके इतिहास के साथ अपने जुड़ाव संबंधी अनुभवों को भी साझा कर रहे हैं। हम आपको बता दें कि पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने दावा किया है कि पार्टी के संस्थापक मुफ्ती मोहम्मद सईद ने 2015 में जम्मू-कश्मीर में सरकार गठन के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सामने एक शर्त रखी थी और यह आश्वासन मांगा था कि केंद्र सरकार संविधान का अनुच्छेद 370 निरस्त नहीं करेगी। पीडीपी के 24वें स्थापना दिवस पर श्रीनगर में सभा को संबोधित करते हुए महबूबा मुफ्ती ने कहा कि उनके पिता सईद सत्ता के भूखे नहीं थे और जम्मू-कश्मीर को उसकी समस्याओं व संकटों से मुक्ति दिलाना चाहते थे।

उन्होंने कहा, ”जब (2014 के विधानसभा चुनाव में) मुफ्ती साहब के पास 28 सीट थीं, तो उन्होंने मोदी से मुलाकात की और सरकार गठन के लिए अपनी शर्तों की सूची उन्हें सौंपी। उन्होंने (केंद्र की) भाजपा सरकार से आश्वासन मांगा कि (अनुच्छेद) 370 को नहीं छुआ जाएगा। उन्होंने उनके हाथ बांध दिए। वह सत्ता के पीछे नहीं भागते थे, वरना वह (जम्मू-कश्मीर में गठबंधन) सरकार बनाने के लिए तीन महीने नहीं लगाते।” महबूबा मुफ्ती ने कहा, “भाजपा हमें बांटना चाहती है। हम ऐसा नहीं होने देंगे…अगर हम सभी–हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, गुज्जर, पहाड़ी–एकजुट रहें, तो भाजपा को हरा सकते हैं।” महबूबा मुफ्ती ने भाजपा से पूछा कि जम्मू-कश्मीर से संबंधित विशेष संवैधानिक प्रावधानों को खत्म करके उसे क्या हासिल हुआ? उन्होंने कहा, “आपने कश्मीर में क्या हासिल किया है? जवाहरलाल नेहरू लाल चौक आए थे और हजारों कश्मीरियों की उपस्थिति में राष्ट्र ध्वज फहराया था। आज, आप तिरंगा फहराते हैं और वहां कोई कश्मीरी नहीं होता, केवल सुरक्षाकर्मी होते हैं।”

पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा कि मैं दिल्ली को बताना चाहती हूं कि हम जम्मू-कश्मीर मुद्दे की समस्या नहीं बल्कि समाधान का हिस्सा बनना चाहते हैं। उन्होंने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा, ‘आप लोगों को चुप करा रहे हैं, उन्हें धमका रहे हैं और फिर क्षेत्र में शांति का दावा कर रहे हैं। यदि आप वास्तव में कश्मीर क्षेत्र में शांतिपूर्ण स्थिति बनाना चाहते हैं, तो कश्मीर मुद्दे पर वाजपेयी की नीति अपनाएं।

8. इस मामले को सांप्रदायिक रंग देते हुए कांग्रेस के संचार विभाग के प्रभारी जयराम रमेश ने कहा, ‘‘आरपीएफ कांस्टेबल द्वारा की गई नृशंस हत्याएं समाचार मीडिया और सोशल मीडिया के अति-आवेशित और अत्यधिक ध्रुवीकृत माहौल का परिणाम है।”

जयपुर-मुंबई सेंट्रल एक्सप्रेस में सोमवार को हुई एक आरपीएफ कांस्टेबल की ओर से की गयी फायरिंग की घटना को कांग्रेस और एआईएमआईएम जैसे कुछ दल सांप्रदायिक रंग देने में लगे हुए हैं। हम आपको बता दें कि कांस्टेबल चेतन सिंह की ओर से की गयी फायरिंग में एक एएसआई और तीन यात्रियों की मृत्यु हो गयी थी। मारे गये अधिकारी की पहचान एस्कॉर्ट ड्यूटी प्रभारी एएसआई टीका राम मीणा के रूप में हुई है और मृत यात्रियों की पहचान पालघर के नालासोपारा के अब्दुल कादरभाई मोहम्मद हुसैन भानपुरवाला (48), बिहार के मधुबनी के असगर अब्बास अली (48) और सदर मोहम्मद हुसैन के रूप में हुई है।

रेलवे पुलिस का बयान

इस घटना का एक वीडियो भी वायरल हो रहा है जिसमें आरोपी कांस्टेबल कथित तौर पर शवों के पास मौजूद दिखा है और वह हत्याओं को स्पष्ट रूप से उचित ठहरा रहा है। इस बारे में पूछे जाने पर राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) के आयुक्त रवींद्र शिस्वे ने मीडियाकर्मियों को बताया है कि घटना के पीछे का सटीक कारण अभी तक पता नहीं चला है और जांच जारी है। उन्होंने कहा, ‘‘पुलिस एस्कॉर्ट दल में शामिल यात्रियों और आरपीएफ कर्मियों व पेंट्री कार के कर्मचारियों से पूछताछ कर रही है।’’ शिस्वे ने कहा कि वायरल वीडियो क्लिप की अन्य सामग्रियों के साथ जांच की जा रही है। शिस्वे ने कहा, “किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचना और इस स्तर पर, कुछ भी टिप्पणी करना या जांच के बारे में कोई विवरण साझा करना जल्दबाजी होगी।”

कांग्रेस का बयान

उधर, इस मामले को सांप्रदायिक रंग देते हुए कांग्रेस के संचार विभाग के प्रभारी जयराम रमेश ने कहा, ‘‘आरपीएफ कांस्टेबल द्वारा की गई नृशंस हत्याएं समाचार मीडिया और सोशल मीडिया के अति-आवेशित और अत्यधिक ध्रुवीकृत माहौल का परिणाम है। नफरत का जिन्न अब बोतल से बाहर आ गया है और इसे वापस अंदर डालने के लिए सामूहिक प्रयास की बहुत जरूरत होगी।’’ जयराम रमेश ने ट्वीट किया, ”भारत जोड़ो यात्रा के संदेश का उद्देश्य राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की विचारधारा और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की पूर्वाग्रह और ध्रुवीकरण की राजनीति के कारण फैल रही नफरत और हिंसा को कम करना था। इसका शीर्ष नेतृत्व भारत के सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचाने में शामिल है। बड़ी संख्या में भारतीय नागरिक जल्द ही नफरत और प्रतिशोध की इस राजनीति को खारिज कर देगा।’’

ओवैसी की प्रतिक्रिया

उधर, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस घटना को लेकर ट्वीट किया, ”यह एक आतंकी हमला है जिसमें विशेष रूप से मुसलमानों को निशाना बनाया गया है। यह मुस्लिम विरोधी नफरत फैलाने वाले भाषण और इसे खत्म करने में नरेन्द्र मोदी की अनिच्छा का परिणाम है। क्या आरोपी आरपीएफ जवान भाजपा का भावी उम्मीदवार बनेगा।’’ उन्होंने पूछा, “क्या उसकी जमानत को सरकार समर्थन करेगी? क्या रिहा होने पर उसे माला पहनाई जाएगी? गलत साबित होने पर खुशी होगी।” वहीं बसपा सांसद कुंवर दानिश अली ने भी इस घटना के लिए भड़काऊ भाषणों को जिम्मेदार ठहराया है।

चलते चलते हमारी इस ट्रैन शूट आउट या त्रासदी पर टिप्पणी सुनते जाइये

पुलिस का अमानवीय चेहरा कोई नया नहीं है और न ही इसके लिए कोई सरकार या सख्स की जम्मेदारी या जबाबदेही बनती है वास्तव में

इन घटनाओ के मूल कारणों को समझने की जरूरत है सरकारी नौकरी में बहाली के वक्त नौकरी पाने वालों की बौद्धिक और मानशिक

स्तर का मूल्यांकन और उसके लिए एक टेस्ट आयोजित करवाने की जरूरत है जिसमे की प्रश्न समाजिक घटनाओ पर आधारित हो समय समय पर आध्यातिमक शिविर और अधिकारियों और कर्मचारियों को इस बात का बोध दिलवाना की ये शक्तिया आपको जनता के सुरक्षा के लिए दी गई है न की उन पर दमन के लिए, आप जनता के नौकर है। मेरे विचार से गोवेर्मेंट ऑफ़ इंडिया का नाम बदलकर कर सर्वेंट्स ऑफ़ इंडिया रख देना चाहिए या नौकर अगर खराब लग रहा हो तो सेवक रखना चाहिए प्रधान सेवक कहने से नहीं होगा दिखना भी चाहिए की आप हमारे सेवक है राजा नहीं सरकार सब्द राजा का बोध करवाता है नाम में कुछ रक्खा नहीं मगर नाम का ही सब खेल है भारतीय परम्परा भीखमांगना सिखाती है क्या भूल गए गुरु कुल की परम्परा को वास्तव में गुरुकुल ही नहीं बचे जिसमे क्या राजा क्या रक् सब भीख माँगा हुआ करते थे भगवान् कृष्ण ने भी सुदामा संग भीख माँगा और अवेयर न्यूज़ 24 को भी भीख ही चाहिए कोई दान या सहयोग नहीं हम गर्व से कहते है भिखमंगा है लेकिन आप सिर्फ खुद को प्रधान सेवक कहते तो है मगर वास्तव में मानते हैं क्या देश के पहले प्रधान मंत्री स्व0 पंडित जवाहर लाल नेहरू जी  ने भी खुद को प्रधान सेवक कहा था और मौजूदा प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी ने भी कहा है मगर वो कागजो और दस्तावेजों में सरकार मतलब राजा बन जाता है अब राजा के सेवक भी खुद को राजा समझने लगते हैं फिर जनता पर दमन करते हैं और आज जो ट्रैन वाली घटना हो या फिर पुलिस का कोई भी अमानवीय चेहरा उन सब के लिए ये सिस्टम जिम्मेदार है हम व्यवस्था को बदलने का प्रयास करेंगे मगर इसके लिए आपके साथ और सहयोग की जरूरत पड़ेगी क्या आप देंगे हमारा साथ अगर हाँ तो चैनल को सब्सक्राइब करे बेल्ल आइकॉन को दबाये और आज अपने दबाये हमारे लिए नहीं आपकी कोई भी समस्या के लिए हमारा नंबर सार्वजनिक है समय भी बतला दिया गया है फोन करने का सुबह 8 से 10 और रात्रि के 12 से 2 नंबर है 06274 796859. खासकर पुलिस और सेना में भर्ती से पहले एक बौद्धिक क्षमता को जांचने वाला ड्रिल करना चाहिए नहीं तो ये सब घटनाएं नहीं रुकने वाली ओवैसी हो या कांग्रेस सब राजनीति में लगे है अपने पार्टी फण्ड का इस्तेमाल ये लोग चुनाव प्रचार में करेंगे जो मारे गए उनके घरो में एक ढेला में दिया क्या ? फिर कौन है अपना और कौन पराया सोचियेगा बहरहाल  ” समय आपसे विदाई लेने का हो चुका है अन्य खबरों के लिए आप हमारे वेबसाइट  website डब्लू डब्लू डॉट aware news 24 डॉट com का रुख कर सकते हैं राष्ट्रीय खबरों के बुलेटिन का सिलसिला आज यही खत्म होता है कल फिर मिलेंगे रात के 9 बजे aware news 24 के डिजिटल प्लेटफार्म पर, खबरों का सिलसिला जारी है हमारे वेबसाइट पर. भरोषा रक्खे की यहाँ पर आपको सही और सटीक खबर सुनाएंगे जो की सत्य के पक्ष में होगा।

फिर होगी मुलाक़ात जब घड़ी में बजेगे रात्री के 9 अब मुझे यानी मला राज को दे इजाजत

शुभ रात्री

By Shubhendu Prakash

शुभेन्दु प्रकाश 2012 से सुचना और प्रोद्योगिकी के क्षेत्र मे कार्यरत है साथ ही पत्रकारिता भी 2009 से कर रहें हैं | कई प्रिंट और इलेक्ट्रनिक मीडिया के लिए काम किया साथ ही ये आईटी services भी मुहैया करवाते हैं | 2020 से शुभेन्दु ने कोरोना को देखते हुए फुल टाइम मे जर्नलिज्म करने का निर्णय लिया अभी ये माटी की पुकार हिंदी माशिक पत्रिका में समाचार सम्पादक के पद पर कार्यरत है साथ ही aware news 24 का भी संचालन कर रहे हैं , शुभेन्दु बहुत सारे न्यूज़ पोर्टल तथा youtube चैनल को भी अपना योगदान देते हैं | अभी भी शुभेन्दु Golden Enterprises नामक फर्म का भी संचालन कर रहें हैं और बेहतर आईटी सेवा के लिए भी कार्य कर रहें हैं |

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