नहीं, मेरी कथा का न तो आचार या खाने पकाने से कोई लेना देना है, न ही हम मौत का जिक्र करके कोई मानवीय संवेदनाओं या फलसफे-दर्शनशास्त्र की बातें करने वाले हैं। हम जो बताने वाले हैं, वो तो कॉर्पोरेट जगत का चुटकुला है! आप सोचेंगे कि फिर आचारवाली क्यों? वो इसलिए क्योंकि मानव संसाधन यानि एचआर वाले विभाग को अक्सर अचार ही बुलाया जाता है। इस विभाग में स्त्रियों की गिनती अधिक होने से इस अचार नाम का कोई लेना देना नहीं है। ये नाम इसलिए है क्योंकि एक तो एचआर सुनने में आचार से मिलता जुलता है। दूसरा कि आचार पका-पकाया होता है, उसमें खरीदकर सब्जी पकाने जैसा कुछ करना नहीं पड़ता और पता नहीं क्यों लोग मानते हैं कि एचआर वाले कुछ करते-धरते नहीं।

 

खैर, हम थे चुटकुले पर और हमारे चुटकुले की अचारवाली, मेरा मतलब एक एचआर वाली की मौत हो जाती है। विदेशों से उपजा चुटकुला है तो मरने वाली एचआर वाली क्रिस्चियन भी थी। मरकर ऊपर पहुंची तो वहाँ सैंट पीटर मरने वालों का स्वर्ग-नरक जाने का हिसाब किताब लगाते परेशान हो रहे होते हैं। एचआर वाली उनके पास पहुंची तो वो बोले मैं तुम्हें स्वर्ग भेजूं कि नरक, यही सोचता परेशान हो रहा था। क्या है कि तुमने कई लोगों को नौकरियां दी, जिससे उनके परिवार का खर्च चला, ये काफी पुण्य था। लेकिन, किन्तु, परन्तु तुमने नौकरी में काम की घंटे, वर्क-लाइफ बैलेंस इत्यादि मामलों में जो उनका बुरी तरह शोषण करने वाली स्थितियां पैदा कि, उनका पाप भी बहुत है। सो तुम्हारे स्वर्ग जाने और नरक जाने का हिसाब बिलकुल बराबर बैठता है।

 

 

थोड़ा सोच-विचारकर सैंट पीटर बोले, ऐसा करते हैं, तुम खुद दोनों जगहें देख लो। फिर तुम्हें जो पसंद आये, वहीँ रह जाना। बस शर्त ये है कि चुनाव एक ही बार कर सकोगी, चुनाव बदला नहीं जा सकता। एचआर वाली सैंट पीटर के साथ चल पड़ी। पहले दोनों लोग स्वर्ग में पहुंचे। वहाँ सभी सुखी थे, संतूर, सितार, हार्प, वीणा जैसे धीमे वाद्ययंत्र बज रहे थे। किसी को कहीं जाने की जल्दी नहीं थी, कोई शोर शराबा नहीं था। सब कूल टाइप मुस्कुरा रही थी, कोई हंगामा नहीं। एचआर वाली ने कॉर्पोरेट में नौकरी करते वर्षों से ऐसी जगह देखी नहीं थी, वो काफी प्रभावित तो हुई लेकिन उसने कहा चलिए एक बार नरक भी देख लेते हैं।

 

दोनों नरक पहुंचे तो वहाँ मायामी बीच टाइप माहौल था। स्वर्ग के पूरे कपड़ों वाले कुछ ठन्डे से मौसम की तुलना में यहाँ शॉर्ट्स वाली गर्मी थी। लोग इधर उधर लाउड म्यूजिक में कूद फांद रहे थे, नाच गा रहे थे। हंगामा मचा था, पूरी पार्टी चल रही थी। स्वर्ग के बोरिंग से माहौल की तुलना में एचआर वाली को नरक कहीं ज्यादा हप्पेनिंग लगा। वो बोली मैं तो यहीं रहूंगी! सैंट पीटर ने याद दिलाया कि तुम फैसला बदल नहीं पाओगी। एचआर वाली अड़ गयी और सैंट पीटर उसे नरक में छोड़कर आ गए। कुछ दिन बाद किसी काम से सैंट पीटर फिर से नरक से गुजरे तो चिल्ला कर एचआर वाली ने उन्हें आवाज लगाईं। सैंट पीटर पास गए तो देखा शैतान के चेलों ने एचआर वाली को कांटे वाली जंजीरों से जकड़ कर उसे आग पर रोस्ट करने चढ़ाया हुआ था!

 

सैंट पीटर को पास आया देख कर एचआर वाली चीखी, ये क्या है? देखिये क्या-क्या होता है मेरे साथ! आप जिस नरक में ले कर आये थे वो तो ऐसा नहीं था? सैंट पीटर ने शैतान के चेलों पर सवालिया निगाह डाली। शैतान के चेले बोले, ये तो एचआर वाली है, इसे तो इसका अच्छा-ख़ासा अनुभव है! जो नरक इसने आते समय देखा था वो तो ओरिएंटेशन-ट्रेनिंग थी, अब ये फ्लोर पर है।

 

तो मामला पंजाब का भी कुछ ऐसा ही है। चुनावों के समय जो सब्जबाग उन्हें दिखाए गए, उसमें सभी महिलाओं को बिना कुछ किये हजार रुपये का वादा था। मुफ्त बिजली-पानी की उम्मीदें भी उन्होंने लगाई होंगी। जब आम आदमी पार्टी की सरकार बन गयी तो पता चला कि मुफ्त बाँट-बाँट कर सरकार के पास तो पैसे ही नहीं बचे हैं। सरकार बनते ही “मोदी जी बचा लो” करते हुए भगवंत मान सीधा प्रधानमंत्री से सालाना हजारों करोड़ मांगने पहुँच गए। कल तक केजरीवाल बता रहे थे कि करोड़ों का इंतजाम तो उनके पास पहले से ही है। अब इतना मांग रहे हैं जितना बिहार जैसा गरीब कहलाने वाला राज्य भी नहीं मांगता।

 

इससे भी मजेदार स्थिति तो हमारे अन्नदाता कहलाने वाले किसानों की हुई है। दिल्ली के बाहर जब बॉर्डर पिकनिक मनाने यही लोग बैठे थे तो जमकर 26 जनवरी को अराजकता फैलाई थी। खूब तोड़-फोड़ और हिंसा करने पर भी इनमें से कोई गिरफ्तार तक नहीं हुआ। उल्टा योगेन्द्र ‘सलीम’ यादव से लेकर टिकैत तक और केजरीवाल से लेकर सिसोदिया तक सबने कहा कि अन्नदाता किसान मर रहा है जी! केंद्र सरकार कुछ करती क्यों नहीं जी! अब जब पंजाब पुलिस सीधे आम आदमी पार्टी के हाथ में है, तो इन्हें असली रंग दिखा। लाम्बी में किसान कपास की फसल को कीड़ों से हुए नुकसान का मुआवजा मांगने बैठे थे कि पंजाब की आम आदमी पार्टी की पुलिस ने धर के कूट दिया। सात अन्नदाता अब अस्पताल में कुटाई के बाद भर्ती हैं।

 

बाकी जैसा कि एक शेर में कहते हैं, इल्तजा ए इश्क है, रोता है क्या? आगे आगे देखिये, होता है क्या! पंजाब के अन्नदाता किसानों को आम आदमी पार्टी की नयी सरकार मुबारक हो!

By anandkumar

आनंद ने कंप्यूटर साइंस में डिग्री हासिल की है और मास्टर स्तर पर मार्केटिंग और मीडिया मैनेजमेंट की पढ़ाई की है। उन्होंने बाजार और सामाजिक अनुसंधान में एक दशक से अधिक समय तक काम किया। दोनों काम के दायित्वों के कारण और व्यक्तिगत रूचि के लिए भी, उन्होंने पूरे भारत में यात्राएं की हैं। वर्तमान में, वह भारत के 500+ में घूमने, अथवा काम के सिलसिले में जा चुके हैं। पिछले कुछ वर्षों से, वह पटना, बिहार में स्थित है, और इन दिनों संस्कृत विषय से स्नातक (शास्त्री) की पढ़ाई पूरी कर रहें है। एक सामग्री लेखक के रूप में, उनके पास OpIndia, IChowk, और कई अन्य वेबसाइटों और ब्लॉगों पर कई लेख हैं। भगवद् गीता पर उनकी पहली पुस्तक "गीतायन" अमेज़न पर बेस्ट सेलर रह चुकी है।

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