रिपोर्टर बनने के लिए सहनशीलता सालिंता और हाजरी-जबाबी का होना महत्वपूर्ण है, पत्रकार बनने के लिए विश्लेषण , वर्तमान और भूतकाल में जो हो रहा है और हों चुका और जो होनेवाला है उसकी ठीक ठीक जानकारी और उसपर एक सटीक और निष्पक्ष दृष्टिकोण का रखना।
बाद बांकी सोशल मीडिया के माइक के लाल बनने के लिए आपको सिर्फ दौड़ने ठीक से आना चाहिए। जहां तहां जिस तीस ऑफिस में घुसकर अधिकारियों और अफसरों से दो हाथ करने आना चाहिए 😁 , आप नेता और मसीहा के भूमिका में दिखने चाहिए।
जिससे की लोगों को लगे की वाह वाह यही आज का अर्जुन,
ये चंद्रशेखर आजाद आज हमको अंग्रेजो से आजाद करवा ही देगा 😀
यूनिवर्सिटी कैंपस में घुस जाइए सेशन सबको मालूम है लेट है, ये भी मालूम है यूनिवर्सिटी सरकार और राज्यपाल के हाथों में हैं मगर सवाल हम वाइस चांसलर से पूछेंगे, सवाल ही नही पूछना है मार-पीट उठा पटक सब करना पड़ेगा तब न छात्र और पब्लिक को ये विश्वास और भरोसा होगा की देखो मसीहा आया है ।
किसी सरकारी ऑफिस में घुस जाइए एक दम से वहा के अधिकारी का तबादला क्यों नही हुआ उससे मुहा ठेठी कीजिए। अब क्यों नही हुआ ये तो सरकार तय करती है या नही हुआ तो नही हुआ रिपोर्ट हम करेंगे।
लेकिन नही हम नाटक करेंगे माइक के लाल बनेंगे पूरा डिस्को डांस होगा तब जाकर जनता को भरोसा होगा की देखो मसीहा आया फिर लाइक और फॉलो और सब्सक्राइब की झड़ी लगेगी फिर हमारे पास पब्लिक है ।
मजाक मत समझ लीजिएगा इसमें टेढ़ा सड़क दिखाने से नाले में सड़क या सड़क पर नाला दिखाने से कोई बदलाव आए या न आए। मार खाने का डर पीटने का डर लगा रहता है । 😁😁
आसान तीनो में से कुछ भी नही है । सफलता माइक के लाल बनने में जल्दी से मिल जाएगी पत्रकारिता को देख लीजिए एक अखबार है “आज” दैनिक है फिर भी पाठक कितना है 😭 ज्ञान किसी को नही चाहिए, न समाधान चाहिए 😁 फिर चाहिए क्या 😘 ? खबर में मजा आना चाहिए व्यंग कटाक्ष ये सब विलुप्त प्रजाति हो चुका है।
पत्रकारिता से अब व्यंग गायब हो चुका है इसको स्टैंडअप कॉमेडियन लोग ज़िंदा रखने की कोशिश कर रहे हैं ।
व्यंगकार आपको जितने भी बड़े मीडिया हाउस है उनमें एक भी शो डेली का व्यंग पर नही आता और नही क्यों आता है ? क्योंकि सवाल आप सत्ता से करेंगे तो व्यंग भी आप सत्ता पक्ष पर ही न लिखना पड़ेगा ! पत्रकारिता के मूल सिद्धांतों में है सवाल आप सत्ता पक्ष से करेंगे मगर सिंपल टमटार के दाम बढ़ गए इसपर जवाब क्या मिलता है ! तिहार जेल आप भी गए थे भूल गए क्या !😁
तो main स्ट्रीम मीडिया की एक बड़ी दिक्कत यह भी है या तो पैसा लीजिए या फिर घर जाइए 😭
ऐसे माहौल में कांग्रेस पार्टी का ये कहना की पत्रकार बिक गए ये गलत बात है 😭 व्यंग तंज और कटाक्ष अंतिम बार आपने टीवी पर कब सुना था ?
अरे दिमाग पर जोड़ डालिए एक सो सॉरी आता भी है तो कितने देर का और उसमे दिखाते क्या है ! विपक्ष की गलती ! कभी कभी सत्ता पक्ष पर भी आता है ! मगर बचाकर ,
चलिए केंद्र में तो आ भी जाता है थोड़ा बहुत राज्य स्तरीय चैनल पर ध्यान लगाइए आ ही नहीं सकता फिर पत्रकार और पत्रकारिता बची है क्या ! सोचिएगा 😭
वैसे ये आज नही हुआ है ये समस्या हमेशा से है ऐसे में अगर कोई अधिकारी से आपके हक का सवाल पूछेगा चाहे वो कहीं भी पूछे आप उस व्यक्ति के कृतज्ञ तो हो ही जाते हैं । बहरहाल अपनी आलोचना अपना अवलोकन सरकार को खुद ही करना चाहिए मगर मोदी जी कहते तो है की हमारे भी अंदर कुछ कमी होंगी मगर क्या कमी है ये कभी नही बताया 😁 तो रिपोर्टर बहुत कम सब्दो में आप समझ गए होंगे किन गुणों से आप ऊंच गुणवक्ता को प्राप्त कर सकते !
पत्रकार भी बुझ गए होंगे और माइक के लाल में वो कौन सी क्वालिटी है जो उसे शिखर पर ले जायेगी ? ये भी शायद समझ ही गए होंगे बहरहाल सोचिए की क्या देखा जाए ! फिलहाल हम चले नहाने आप सोचते रहिए हरे कृष्णा राधे राधे ।
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