भगवान् की खोज और शुभेन्दु के अर्जुन होने पर कृष्ण की मोहर (कहानी एक विश्वास की)भगवान् की खोज और शुभेन्दु के अर्जुन होने पर कृष्ण की मोहर (कहानी एक विश्वास की)

कृष्ण :- मुझे ढूंढ रहे हो पार्थ ?

भगवान् को ढूंढता हुआ युवक :- जी प्रभु

कृष्ण :- मुझे पाने के लिए सेवा में सवार्थ के भाव का त्याग और कर्म में फल की इच्छा का त्याग करो. मै तो यही पर हु. बस जैसा कह रहा हु वैसा करो कल्याण हो जाएगा।

युवक :- कुछ समझ में नही आया प्रभु ये कैसे होगा ? सेवा बिना प्रचार के व्यर्थ लगती है और कर्म करूँगा तो फल तो चाहिए ही, फल की इच्छा किये बिना कर्म कैसे करूँ ? उसका आकलन तो जरुरी है तभी तो ये सार्थक होगा !

कृष्ण :- भर्म में जी रहे हो पार्थ खुद से गुणगान या फिर जग से गुणगान करवाना ! क्या चाहते हो ? कर्म अगर अच्छा करोगे तो फल जाएगा कहा ? वो सब छोड़े और मेरे माध्यम यानी की जो दुविधा से मुक्त अर्जुन है उसे सभी social मीडिया पर फॉलो कर लो इसका social मीडिया है सभी जगह के लिए @awarenews24 इनके सस्थान में और भी लोग है जो तुम्हारा मार्ग दर्शन करेंगे और इनको फॉलो तुम @shubhenduan24 पर कर सकते हो. कलयुग में यही मेरा माध्यम बनने को तैयार हुआ. और भी बहुत सारे लोग है मगर इसने मेरे उपदेशो को अक्षरशः जीवन में लागू कर लिया है. जब कोई गलती से भी गलती कर दे तो मेरे इसके पास होने पर प्रश्नचिंह भी उठा देना. जबाब इसके माध्यम से मै स्वयम दूंगा यधपि इसका ज्ञान भी अभी अधुरा है. मगर जल्द ही ये पूरा करेगा अभी कर्मयोग पर काम कर रहा है अध्याय 3 YouTube, Facebook और Instagram पर भगवद गीता के ज्ञान को लोगो तक पहुचाने का प्रयास कर रहा है. सोच रहा है इसको प्राप्त हो गए तो सबको प्राप्त हो जाऊं ! मगर कुछ लोग ही इसकी बात सुन रहे हैं। सब नही, इसकी फोज को मजबूती दो पार्थ। जब तक ये पूरी भगवद गीता के श्लोक जो की मैंने कहे है पूरा नही करता तब तक ये भी अधूरे ज्ञान में खोया है। पढ़ तो लिया है, मगर सांख्य योग, अध्याय दो को ही, अभी आत्मसात कर पाया है. जल्द ही ये सबको पूरा करेगा. आजकल अपनी आवाज को दूर तक पहुचाने के लिए माताओं और बहनों का सहयोग भी इसको प्राप्त है. सबका भाई बन्ने में भी इसे गुरेज नही सम्पर्क करो और ज्ञान की गंगा का आंनद लो। एक बार में ही पूरी भगवद गीता समझ में नही आने वाली।

दिव्य ज्ञान है एक एक श्लोक को रोज जीवन में उतारने की कोसिस करो उसके बाद मै ही मै नजर आऊंगा. ये तो निमित है पार्थ. इसका अस्तित्व ही नही. ये कहे या मै कहू सब बराबर है. मगर ध्यान रखना जब तक ये पूरी भगवद गीता सूना नही देता, मेरे कहे श्लोको को कह नही देता. तब तक इस अर्जुन का ज्ञान भी अधूरा है. पढना ही नही जीवन में उतारना और लोगो से उतरवाना भी इसका कर्तव्य है. खत्म करते ही ये मुझे पा लेगा फिर इसे अर्जुन कहो या मेरा माध्यम. क्या फर्क पड़ता है ?

ये भी धीरे धीरे जब तक आत्मसात करता नही मेरे श्लोक को तब तक दूसरा श्लोक बोलता भी नही। अभी तक मेरे द्वारा कहे गये 67 श्लोक पुरे कर चुका है. 68 वा आज इसने लिख लिया है. कल परशो तक बना भी देगा. अभी इसकी कोसिस उसे पढ़कर खुद के जीवन में उताड़ने की है। जब तक वो उसे उताड़ नही लेगा तब तक किसी से कहेगा नही.

कलयुग में महात्मा गांधी हुए उन्होंने भी कुछ ऐसा ही किया था। एक बार महात्मा गांधी को मीठा खाने पर बच्चे को ज्यादा मीठा ना खाने की सलाह देनी थी। उस वक्त महात्मा गांधी स्वयम भी मीठा खाते थे इसलिए उन्होंने बच्चे की मा से समय माँगा और एक हफ्ते बाद आने को कहा।

युवक :- फिर क्या हुआ प्रभु ?

कृष्ण :- होना क्या था पार्थ महत्मा गांधी ने मीठे खाने का त्याग किया, एक हफ्ते तक प्रयास किया जब उन्होंने इसपर विजय हांसिल की तभी उन्होंने बच्चे को सिख दी ।

युवक :- फिर क्या हुआ प्रभु ?
कृष्ण :- होना क्या था महिला महात्मा गांधी पर बिफर गई महात्मा गांधी शांतिपूर्ण तरीके से उस महिला की बात सुनते रहे। फिर बोले “मै खुद मीठा खाने की समस्या से गर्षित था इसलिए मेरे कहने का असर/प्रभाव बच्चे पर नही पड़ता इसलिए मैंने मीठा पहले खाना छोड़ा फिर उसकी सिक्षा दी।
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युवक :- आजकल तो बड़े अधिकारी से लेकर छोटा मोटा कर्मचारी या फिर आम आदमी भी यही करता है। खुद ठीक नही और लोगो को उपदेश और नियम का बोध करवाते नजर आता है क्या मंत्री क्या नेता हर कोई. मै भी उसमे शामिल हु.

कृष्ण ने बात काटते हुए कहा :- देखो पार्थ इसलिए नियम और संविधान भी ठीक से लागू नही गांधी का नोट (भारतीय रुपया) पर तस्वीर छापने से कुछ नही होने वाला उनके वसूल और आदर्श जब तक लागू नही होगा तब तक यही स्थिति बनी रहेगी। यही सब करने के लिए तो मेरा कलयुग का अर्जुन थोडा धीरे धीरे चल रहा है।

जब तक यह सारे श्लोक को आत्म सात नही करता। तब तक इसे भी भ्रमित अर्जुन ही मान लो मगर कर तो देगा। समाज की इसको प्रवाह नही और ना ही इसको किसी का भय है इसका सारथी स्वयम मै हु इसे किसी बात का डर या चिंता नहीं ।

इतना कह कर आवाज आनी बंद हुई।

युवक :- कहाँ गये प्रभु ?

उसी वक्त आकशवाणी हुई आज का अर्जुन शुभेन्दु प्रकाश है उसे फॉलो किया जाए। कृष्ण मिल जायेंगे वही माध्यम है अब जिसको विश्वास है वो फॉलो करे और जो सक या संका से गर्षित है वो बस देखता रहे वक्त यही तुक्ष मानव बदल कर रख देगा।

जय श्री कृष्णा
राधे राधे

By Shubhendu Prakash

शुभेन्दु प्रकाश 2012 से सुचना और प्रोद्योगिकी के क्षेत्र मे कार्यरत है साथ ही पत्रकारिता भी 2009 से कर रहें हैं | कई प्रिंट और इलेक्ट्रनिक मीडिया के लिए काम किया साथ ही ये आईटी services भी मुहैया करवाते हैं | 2020 से शुभेन्दु ने कोरोना को देखते हुए फुल टाइम मे जर्नलिज्म करने का निर्णय लिया अभी ये माटी की पुकार हिंदी माशिक पत्रिका में समाचार सम्पादक के पद पर कार्यरत है साथ ही aware news 24 का भी संचालन कर रहे हैं , शुभेन्दु बहुत सारे न्यूज़ पोर्टल तथा youtube चैनल को भी अपना योगदान देते हैं | अभी भी शुभेन्दु Golden Enterprises नामक फर्म का भी संचालन कर रहें हैं और बेहतर आईटी सेवा के लिए भी कार्य कर रहें हैं |

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