हाँ हक़ीक़त है ये, मज़ाक जैसी लगती है
हाँ हक़ीक़त है ये , मज़ाक जैसी लगती है, भीड़ में भी , तन्हाईयों की महफिल सजती है, कैसी है…
खबर और साहित्य
हाँ हक़ीक़त है ये , मज़ाक जैसी लगती है, भीड़ में भी , तन्हाईयों की महफिल सजती है, कैसी है…
कभी कभी इंसान सही और गलत के तराजू में भटक जाता है और फिर सोचता है कि सही के साथ…