पटना, 2 जून: राज्य में अपनी तरह की नयी पहल के तहत कल यूनिसेफ एवं बिहार पुलिस अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में नवनियुक्त 150 प्रोबेशनरी महिला सब-इंस्पेक्टर्स का बाल संरक्षण एवं महिला सुरक्षा पर उन्मुखीकरण किया गया। यह पहला अवसर है जब यूनिसेफ ने पुलिस के नियमित पाठ्यक्रम में बाल संरक्षण और लैंगिक मुद्दों को संस्थागत बनाने के लिए पुलिस अकादमी के साथ हाथ मिलाया है। राजगीर स्थित बिहार पुलिस अकादमी परिसर में आयोजित इस प्रशिक्षण कार्यशाला में बाल अधिकारों और प्रमुख बाल संरक्षण कानूनों के अलावा, सभी प्रतिभागियों को उनके संपर्क में आने वाले बच्चों और महिलाओं के अधिकारों को बढ़ावा देने में पुलिस की विशिष्ट भूमिका के बारे में संवेदीकरण किया गया।

बिहार पुलिस अकादमी के सहायक निदेशक अरविंद कुमार पांडे ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि है कि नए भर्ती किए गए महिला पुलिस अधिकारियों को यूनिसेफ के सहयोग से बाल संरक्षण और बाल अधिकार के क्षेत्र में उचित और प्रभावी ढंग से काम करने के लिए संवेदनशील बनाने और प्रेरित करने में काफ़ी मदद मिलेगी। इस प्रशिक्षण से प्रत्येक सब इंस्पेक्टर को बच्चों से संबंधित कानूनों को सही ढंग से लागू करने हेतु आवश्यक ज्ञान और कौशल हासिल होगा। पुलिसकर्मियों के क्षमता निर्माण से आम लोगों के बीच पुलिस की छवि सुधारने में मदद मिलेगी। एक सब इंस्पेक्टर पर लगभग 2 लाख आबादी की ज़िम्मेदारी होती है, इसे देखते हुए सभी 150 प्रतिभागी अधिकारियों द्वारा सम्मिलित रूप से बिहार के 38 जिलों में लगभग 3 करोड़ की आबादी को बेहतर सेवाएं दी जाएंगी।

9a594b4e-ddb8-4af1-8cb4-f102e3738f7fबिहार पुलिस अकादमी और यूनिसेफ द्वारा बाल संरक्षण एवं महिला सुरक्षा पर नवनियुक्त महिला सब-इंस्पेक्टर्स का उन्मुखीकरण

यूनिसेफ बिहार की राज्य प्रमुख नफीसा बिंते शफीक ने अपने संबोधन में कहा कि बिहार पुलिस अकादमी के साथ यूनिसेफ की साझेदारी बेहद महत्वपूर्ण है। युवा महिला पुलिस अधिकारियों के नए कैडर पर निवेश बच्चों, किशोर-किशोरियों और महिलाओं के अधिकारों और सुरक्षा के मुद्दों को पर्याप्त रूप से संबोधित करने में विशेष रूप से कारगर होगा। पीएसआई रैंक की 150 युवा महिला पुलिस अधिकारियों के साथ ट्रेनिंग की शुरुआत एक लिटमस टेस्ट जैसा है। इस पहले बैच से मिले फीडबैक और सुझावों के साथ हम आगे के बैचों के लिए ट्रेनिंग सत्र तैयार करेंगे। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम को संस्थागत बनाने की योजना के साथ साथ पुलिस के नियमित पाठ्यक्रम में भी इसे शामिल करने का प्रयास किया जाएगा। ज़्यादा से ज़्यादा महिला पुलिस अधिकारियों के सेवा में आने से किशोरियों और महिलाओं में सुरक्षा की भावना बढ़ेगी। हमें उम्मीद है कि ये युवा महिला पुलिसकर्मी अन्य महिलाओं और लड़कियों के लिए रोल मॉडल के रूप में काम करेंगी। बिहार पुलिस अकादमी के निदेशक भृगु श्रीनिवासन के कुशल नेतृत्व में इस पहल के उद्देश्यों के सफल क्रियान्वयन को लेकर हम पूरी तरह से आशान्वित हैं।

यूनिसेफ बिहार की बाल संरक्षण अधिकारी गार्गी साहा ने कहा कि बच्चों और महिलाओं के खिलाफ किसी भी अपराध की रोकथाम का पहला ज़िम्मा पुलिस का होता है। बिहार जैसे 46% से ज़्यादा युवा आबादी वाले राज्य में उनकी ज़िम्मेदारी और भी बढ़ जाती है। ग्रामीण क्षेत्रों और अति पिछड़े इलाकों में काम करने के दौरान हमें बड़ी संख्या में किशोर लड़कियों का पुलिस बल में शामिल होने का रुझान देखने को मिला है जो निश्चित तौर पर स्वागत योग्य बदलाव है।

जुवेनाइल जस्टिस एक्ट और पॉक्सो एक्ट (POCSO) जैसे प्रमुख बाल संरक्षण कानूनों के तहत पुलिस की भूमिका पर सत्र लेते हुए सुश्री साहा ने इन कानूनों के तहत बच्चों से संबंधित मामले के निपटान की प्रक्रियाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने सामुदायिक पुलिसिंग में पुलिस की भूमिका और विशेष रूप से यौन शोषण व उसके विभिन्न पहलुओं की समुचित रिपोर्टिंग से जुड़ी बाधाओं को दूर करने पर भी जोर दिया। केस स्टडी और व्यावहारिक उदाहरणों के ज़रिए बचाव, प्राथमिकी दर्ज करने, यौन शोषण की शिकार पीड़िता के बयान की रिकॉर्डिंग, मुआवजे का प्रावधान आदि से संबंधित तकनीकी पहलुओं के बारे में भी विस्तार से चर्चा की गयी।

यूनिसेफ दिल्ली से आई रिसोर्स पर्सन, सुश्री माधुरी और अंतर्राष्ट्रीय सलाहकार बिमल रावल ने “लिंग और मानवाधिकार” पर सत्र लिया। इसमें उन्होंने संरचनात्मक बाधाओं, पितृसत्तात्मक मानदंडों एवं समाजीकरण प्रक्रिया से प्रभावित होकर उपजे व्यक्तिगत पूर्वाग्रहों के बारे में विस्तार से चर्चा की और उनसे कारगर ढंग से निपटने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला। साथ ही, महिला पुलिसकर्मी लड़कियों, महिलाओं और बच्चों के लिए सुरक्षित माहौल तैयार करने की दिशा में कैसे काम कर सकती हैं, इस बारे में भी बताया गया।

अरविंद कुमार पांडे ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए आशा जतायी कि यह साझेदारी बिहार में बच्चों और किशोरों के सर्वोत्तम हित को सुनिश्चित करने में मील का पत्थर साबित होगी।

By anandkumar

आनंद ने कंप्यूटर साइंस में डिग्री हासिल की है और मास्टर स्तर पर मार्केटिंग और मीडिया मैनेजमेंट की पढ़ाई की है। उन्होंने बाजार और सामाजिक अनुसंधान में एक दशक से अधिक समय तक काम किया। दोनों काम के दायित्वों के कारण और व्यक्तिगत रूचि के लिए भी, उन्होंने पूरे भारत में यात्राएं की हैं। वर्तमान में, वह भारत के 500+ में घूमने, अथवा काम के सिलसिले में जा चुके हैं। पिछले कुछ वर्षों से, वह पटना, बिहार में स्थित है, और इन दिनों संस्कृत विषय से स्नातक (शास्त्री) की पढ़ाई पूरी कर रहें है। एक सामग्री लेखक के रूप में, उनके पास OpIndia, IChowk, और कई अन्य वेबसाइटों और ब्लॉगों पर कई लेख हैं। भगवद् गीता पर उनकी पहली पुस्तक "गीतायन" अमेज़न पर बेस्ट सेलर रह चुकी है।

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