तो ये कहानी है राजा साहब की जिसमें आपको पता ही है कि एक राजा साहब थे। तो हुआ यूँ कि राजा साहब एक दिन अपने बगीचे में टहल रहे थे कि उन्हें बन्दर का एक बच्चा दिखा। बच्चा शायद झुण्ड से बिछड़ गया था। राजा साहब को दया आई और उन्होंने बन्दर के बच्चे को कुछ फल दे दिए। बन्दर का बच्चा राजा के बगीचे में रहने लगा, राजा का पालतू हो गया। महल था तो कई सैनिक-अंगरक्षक भी वहाँ थे। वो अभ्यास करते तो उनकी देखा-देखी बन्दर का बच्चा भी तलवार भांजने लगा। ये राजा साहब के लिए नया कौतुक हो गया!
थोड़े दिन में बन्दर जब ढंग से तलवार भांजने लगा तो राजा साहब ने उसे सचमुच की तलवार दिलवा दी। सिपाहियों-दरबारियों ने कहा कि ये सुरक्षित नहीं, लेकिन राजा साहब मान जाते तो राजा कैसे रहते? थोड़े दिन में सबके मना करने पर भी राजा साहब ने बन्दर को अपना अंगरक्षक नियुक्त कर लिया। अब चौबीसों घंटे तलवार लिए बन्दर उनके आस पास मंडराता और ज्यादा नजदीक आने का प्रयास करने वालों को बन्दर-घुड़की देता रहता। राजा साहब को उसके करतब देखने में बड़ा आनंद आता।

एक दिन राजा साहब दोपहर की झपकी ले रहे थे और बन्दर तलवार टाँगे पहरे पर नियुक्त था। इतने में कहीं से एक मक्खी चली आई। राजा साहब की नींद में खलल न पड़े इसलिए बन्दर ने मक्खी को भगाने का प्रयास आरंभ किया। दो चार बार उसने पंखे से मक्खी को उड़ाया। मगर मक्खी तो मक्खी थी। जबतक नाक पर नहीं बैठती तबतक मानती कैसे? एक दो बार नाक से मक्खी उड़ा कर बन्दर चिढ़ गया। उसने मक्खी का वध कर देने की ठानी। बस फिर क्या था! बन्दर ने निकाली तलवार और खचाक! राजा साहब की नाक कट गयी…
यूपी की हालिया राजनीति में भी राजा साहब की नाक का कटना दिख जायेगा। शुरू शुरू में तो ट्रोल के करतब देखना बड़ा मजेदार लगता है। वो आपके विरोधियों को “बिफिटिंग रिप्लाई” दे देता है। विपक्षियों का मुंह बंद करवा देता है। लेकिन “पॉवर टेंड्स टू करप्ट” वाले नियम से सत्ता से इतनी नजदीकी से भी लोग भ्रष्ट होते हैं और कुछ तो पहले से ही भ्रष्ट होते हैं। जबतक सत्ता सुंदरी का साथ था तो नेता जी के पिताजी कह देते थे “लड़कों से गलतियाँ हो जाती हैं”। नेताजी से कोई महिला पत्रकार के तौर पर बलात्कार पर सवाल पूछती थी तो नेताजी हँसते हुए कह देते थे “आपके साथ तो नहीं हुआ न?”
अब न सत्ता है, न लोग मुंह दबाकर समाजवादी गालियाँ खाने को तैयार बैठे हैं। ऐसे में राजा साहब के पालतू बन्दर ने राजा साहब की नाक काट ली है! “बन्दर के हाथ में उस्तरा” कहावत ही होती है राजा साहब, समझना चाहिए था कि खड़ी नाक कट भी सकती है!

By anandkumar

आनंद ने कंप्यूटर साइंस में डिग्री हासिल की है और मास्टर स्तर पर मार्केटिंग और मीडिया मैनेजमेंट की पढ़ाई की है। उन्होंने बाजार और सामाजिक अनुसंधान में एक दशक से अधिक समय तक काम किया। दोनों काम के दायित्वों के कारण और व्यक्तिगत रूचि के लिए भी, उन्होंने पूरे भारत में यात्राएं की हैं। वर्तमान में, वह भारत के 500+ में घूमने, अथवा काम के सिलसिले में जा चुके हैं। पिछले कुछ वर्षों से, वह पटना, बिहार में स्थित है, और इन दिनों संस्कृत विषय से स्नातक (शास्त्री) की पढ़ाई पूरी कर रहें है। एक सामग्री लेखक के रूप में, उनके पास OpIndia, IChowk, और कई अन्य वेबसाइटों और ब्लॉगों पर कई लेख हैं। भगवद् गीता पर उनकी पहली पुस्तक "गीतायन" अमेज़न पर बेस्ट सेलर रह चुकी है।

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