-भारत सरकार सारा खर्च कर रही है वहन, गैर सरकारी संगठन भी करती है सहायता
-बिहार-झारखंड के बच्चों की दिव्यांगता दूर करने का चल रहा अभियान

मुजफ्फरपुर। मूक-बधिर बच्चा के इलाज में पैसा का अभाव अब बिल्कुल बाधक नहीं है। भारत सरकार ऐसे बच्चों की दिव्यांगता दूर करने के लिए विशेष फंड निर्धारित की है। ऐसे बच्चों का इलाज पूर्णत: मुफ्त में संभव है। यह कहना है ईएनटी एवं कॉकलीयर प्रत्यारोपण विशेषज्ञ डॉ. अभिनीत लाल का। डॉ. अभिनीत के अनुसार केंद्र सरकार ने ऐसे बच्चों के लिए एडीआईपी (असिस्टेंस टू डिसएबल्ड परशन्स फॉर परचेज या फिर फिटिंग दि एड्स एंड एप्लायांसेज) के तहत पूरी तरह से नि:शुल्क इलाज का प्रावधान किया है। एक गैर सरकारी संस्था ‘हंस’ भी मूक-बधिर बच्चों के इलाज के लिए बिहार और झारखंड में कार्य कर रही है। ‘हंस’ ऐसे बच्चे के इलाज के लिए अपनी तरफ से साढ़े पांच लाख रुपये की मदद करती है। ना के बराबर राशि अभिभावक को खर्च करनी पड़ती है। डॉ. अभिनीत लाल कहते हैं कि ऐसे बच्चों का ऑपरेशन हमलोग पटना में करते हैं। यहीं उनके कान में डिवाइस(कॉकलीयर) का प्रत्यारोपण करते हैं और फिर थेरेपी चलता है। लेकिन जरूरी है कि बच्चा चार वर्ष से अधिक उम्र का न हो। ऑपरेशन से पहले की सारी प्रक्रिया हमलोग ही पूरी करते हैं। अभिभावक को कुछ नहीं करना होता है। इसके लिए कोई भी मुझसे दूरभाष 0612-2557103, 7260015122 और 7250429222 पर संपर्क कर सकते हैं। डॉ.अभिनीत के अुनसार बिहार-झारखंड में मूक-बधिर बच्चों की दिव्यांगता दूर करने का अभियान चल रहा है, जिसका मैं भागीदार हूं। ऐसे लोग पटना के बोरिंग रोड चौराहा स्थित मां भगवती कॉम्पलेक्स के पीछे परिधान इयर क्लीनिक में भी मुझसे संपर्क कर सकते हैं।

ऑपरेशन के बाद दो साल तक दी जाती है ट्रेनिंग:
आपरेशन के 2 साल तक बच्चे को विशेष थेरेपी दी जाती है। डॉक्टर अभिनीत ने बताया कि सही समय पर ऑपरेशन तो महत्वपूर्ण है ही, लेकिन उसके बाद थेरेपी के लिए माता-पिता का सहयोग कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है। जिसे हम ऑडेटरी वर्बल ट्रेनिंग कहते हैं। उन्होंने इसमें आनेवाली खर्च के बारे में बताया कि इसके इलाज में वैसे तो इंप्लांट का खर्ज 6.5 लाख रुपये आता है और सर्जरी करने में 1 लाख का खर्च होते हैं। कुल मिलाकर 7.5 लाख रुपये लग जाते हैं, लेकिन अभी हमलोग केंद्र सरकार व निजी संस्थानों के सहयोग से समूचे बिहार और झारखंड राज्य में मूक बधिर बच्चे का ट्रीटमेंट बिल्कुल नि:शुल्क कर रहे हैं।
चार वर्ष के बाद के इस समस्या का इलाज संभव नहीं:
डॉ. अभिनीत ने बताया कि चूंकि बच्चे का ब्रेन चार वर्ष के डेवलप हो जाता है और उसके बाद इंप्लांट लगाने का कोई फायदा नहीं होगा। इसलिए ये महत्वपूर्ण हो जाता है कि अगर कोई बच्चा एक से डेढ़ वर्ष तक कुछ नहीं सुन रहा है या नहीं बोल पा रहा है तो मां-बाप को उसे इलाज के लिए तत्काल रूप से आगे आना चाहिए। अक्सर परिवार के लोग ये सोचकर इंतजार करते हैं कि अभी छोटा बच्चा है जैसे-जैसे बड़ा होगा, वो बोलना शुरू करेगा। लेकिन तबतक काफी देर हो जाती है। इसलिए सही समय पर बहरेपन का पहचान और इलाज शुरू कराना आवश्यक हो जाता है।

By anandkumar

आनंद ने कंप्यूटर साइंस में डिग्री हासिल की है और मास्टर स्तर पर मार्केटिंग और मीडिया मैनेजमेंट की पढ़ाई की है। उन्होंने बाजार और सामाजिक अनुसंधान में एक दशक से अधिक समय तक काम किया। दोनों काम के दायित्वों के कारण और व्यक्तिगत रूचि के लिए भी, उन्होंने पूरे भारत में यात्राएं की हैं। वर्तमान में, वह भारत के 500+ में घूमने, अथवा काम के सिलसिले में जा चुके हैं। पिछले कुछ वर्षों से, वह पटना, बिहार में स्थित है, और इन दिनों संस्कृत विषय से स्नातक (शास्त्री) की पढ़ाई पूरी कर रहें है। एक सामग्री लेखक के रूप में, उनके पास OpIndia, IChowk, और कई अन्य वेबसाइटों और ब्लॉगों पर कई लेख हैं। भगवद् गीता पर उनकी पहली पुस्तक "गीतायन" अमेज़न पर बेस्ट सेलर रह चुकी है।

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