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विजय दिवस की बधाईयों के साथ चलते हैं बांग्लादेश लिबरेशन वाॅर सन् 1971की ओर,साथ ही जानते हैं कि कैंसे पाकिस्तान के साथ आधी दुनिया की शक्तियों ने भारत के सामने घुटने टेके था?

लेखक – डॉ. आनंद सिंह राणा, विभागाध्यक्ष इतिहास विभाग श्रीजानकीरमण महाविद्यालय जबलपुर

यह युद्ध प्रारंभ तो हुआ था, बांग्लादेश लिबरेशन वाॅर के रुप में परंतु अमेरिका के हस्तक्षेप से विश्व व्यापी बन गया। भारत और रुस एक साथ हो गए और व्यूह रचना के वास्तुकार जनरल सेम मानेकशॉ, ले. ज. जगजीत सिंह अरोड़ा, जे.एफ .आर. जैकब, सुजान सिंह, एडमिरल कुरुविल्ला,रामनाथ काव (राॅ प्रमुख), लियोनिद ब्रेझनेव (रशियन प्रेसीडेंट) विरुद्ध पाकिस्तान, संयुक्त राज्य अमेरिका, इंग्लैंड की ओर से क्रमशः याहया खान, ले. ज. नियाजी, रिचर्ड निक्सन (अमेरिकी प्रेसीडेंट), हीथ (इंग्लैंड प्रधानमंत्री)थे। यह युद्ध 3 दिसंबर से 16 दिसंबर कुल 13 दिनों तक चला। अब विस्तार से आगे बढ़ते हैं कि कैंसे पाकिस्तान के साथ आधी दुनिया पराजित हुई? कैंसे आई. एन. एस. राजपूत ने आई. एन. एस. विक्रांत का स्वरुप लेकर पाकिस्तानी की गाजी पनडुब्बी पर काल की तरह टूटा और ध्वस्त किया? कैंसे पाकिस्तान की आधी नेवी समाप्त हुए? कैंसे एयरफोर्स ने 7 पाकिस्तानी एयर बेस और करांची एयर बेस को ध्वस्त कर आपरेशन चंगेज खान के धुर्रे उड़ा दिए ? गन बोट डिप्लोमेसी(यू. एस. ए. एवं यू. के.) क्या है? ब्लिट्जक्रीग स्ट्रेटजी क्या थी?

मार्च 1971 के आते-आते पूर्वी पाकिस्तान में पश्चिमी पाकिस्तान की ओर से 30 लाख लोगों को मार दिया गया और 2 करोड़ शरणार्थियों के आगमन की स्थिति बन गई, और वे भारत में प्रवेश करने लगे। तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने 25 अप्रैल 1971 को आपात बैठक बुलाई। अंततः तत्काल आक्रमण का निर्णय लिया गया परंतु जनरल सेम मानेकशॉ ने असहमति व्यक्त की। इस बात को लेकर यद्यपि श्रीमती इंदिरा गांधी और सेम में मतभेद हुए परंतु जब सेम ने वस्तु स्थिति स्पष्ट की तो श्रीमती गांधी सहमत हुईं। सेम ने कहा कि “मानसून आते ही नदियों में बाढ़ जैंसे स्थिति बनेगी वायुसेना भी ठीक तरह से सहायता नहीं कर सकेगी और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि चीन, ऐंसे मौके पर पाकिस्तान का सहयोग निश्चित करेगा और हम हार जायेंगे”। इसलिए दिसंबर में हमला किया जाये उत्तर – पूर्व में बर्फ जम जायेगी और चीन का सहयोग नहीं मिलेगा। पाकिस्तान की गुप्तचर व्यवस्था ये जानने में असफल रहीं कि भारत ने पश्चिमी और पूर्वी मोर्चों पर पूरी तैयारी कर ली है। 4 दिसंबर को सेम ने पाकिस्तान पर आक्रमण की तैयारी कर ली। पाकिस्तान ने उतावलेपन 3 दिसंबर को अमृतसर एयर बेस समेत अन्य एयर बेस को निशाना बनाते हुए आक्रमण कर दिया और सन् 1971 का बांग्लादेश लिबरेशन वाॅर प्रारंभ हो गया। पाकिस्तान ने इस एयर अटैक को आपरेशन “चंगेज खान” नाम दिया। भारत ने जवाब आपरेशन कैक्टस – लिली और सर्चलाइट के अंतर्गत दिया, पाकिस्तान के 7 एयर बेस उड़ाये और कराची बेस को ध्वस्त कर आपरेशन चंगेज खान की कमर तोड़ दी। पाकिस्तान ने अमेरिका से 10 वर्ष के लिए उधार ली पनडुब्बी पी. एन. एस. गाजी को भारत के जहाजी बेड़े आई. एन. एस. विक्रांत को नष्ट करने के लिए लिए भेजा। तब आई. एन. एस. राजपूत को विक्रांत का स्वरुप देकर आगे बढ़ाया गया।

आखिरकार राजपूत ने गाजी को खोज लिया और पनडुब्बी पर काल की तरह टूटा पनडुब्बी स्वाहा हो गयी।आपरेशन ट्राइडेंट और आपरेशन पायथन के अंतर्गत एडमिरल कुरुविल्ला और वाइस एडमिरल कोहली के नेतृत्व में नेवी ने कहर बरपाया, 10 पाकिस्तानी युद्धपोत दफन कर कराची बेस के चिथड़े उड़ा दिए। पाकिस्तान की आधी जल सेना तबाह हो गयी। थल सेना ने पश्चिमी मोर्चे पर भयंकर कहर बरपाया। लोंगोंवाल का प्रसिद्ध युद्ध हुआ। सेना ने पाकिस्तान में 5795 वर्ग मील कब्जा कर लिया (आजाद कश्मीर, सिंध और पंजाब) बाद में उनको वापस किया। यह तत्कालीन सरकार ने गलत किया क्योंकि यह सही समय था कश्मीर समस्या को हल करने का। अब चलते हैं पूर्वी पाकिस्तान जहाँ पूर्वी कमान के ले. ज. जगजीत सिंह अरोड़ा ने मोर्चा संभाला था। आपरेशन जैकपाट के साथ ब्लिट्जक्रीग वाॅर स्ट्रेटजी (द्वितीय विश्व युद्ध में जर्मनी ने इसका प्रयोग किया था) का प्रयोग किया गया। पाकिस्तानी सेना त्राहि माम करने लगी, और 16 दिसंबर 1971 को द्वितीय विश्व युद्ध के उपरांत विश्व का सबसे बड़ा आत्मसमर्पण पाकिस्तानी ले.ज. नियाजी ने 93 हजार सैनिकों के साथ किया।लेफ्टिनेंट जनरल नियाजी के साथ 7 बड़े सेनानायक युद्धबंदी के रुप में जबलपुर लाए गए जिनके भाग्य का निर्णय बाद में हुआ। अब “गन बोट डिप्लोमेसी” की चर्चा कर ली जाए। अमेरिका ने सुरक्षा परिषद में भारत के विरुद्ध प्रश्न उठाया पर रुस ने कामयाब नहीं होने दिया। फलतः कुंठित होकर भारत को भयाक्रांत करने के लिए अमेरिका ने अपना 7वाँ जहाजी बेड़ा और इंग्लैंड ने ईगल भेजा परंतु रुसी कमांडर ब्लादिमीर ने 10 वीं आपरेटिव नेवल ग्रुप के साथ परमाणु पनडुब्बियों से घेर लिया और धमकाया की वापस लौट जाओ नहीं तो डुबा देंगे। अमेरिका और इंग्लैंड अपनी फजीहत कराकर अपना कृष्ण मुख लेकर वापस लौट गये, और इस तरह आधी दुनिया की पराजय के उपरांत भारत 6वीं विश्व शक्ति के रूप में सामने आया।

By MINIMETRO LIVE

Minimetro Live जनता की समस्या को उठाता है और उसे सरकार तक पहुचाता है , उसके बाद सरकार ने जनता की समस्या पर क्या कारवाई की इस बात को हम जनता तक पहुचाते हैं । हम किसे के दबाब में काम नहीं करते, यह कलम और माइक का कोई मालिक नहीं, हम सिर्फ आपकी बात करते हैं, जनकल्याण ही हमारा एक मात्र उद्देश्य है, निष्पक्षता को कायम रखने के लिए हमने पौराणिक गुरुकुल परम्परा को पुनः जीवित करने का संकल्प लिया है। आपको याद होगा कृष्ण और सुदामा की कहानी जिसमे वो दोनों गुरुकुल के लिए भीख मांगा करते थे आखिर ऐसा क्यों था ? तो आइए समझते हैं, वो ज़माना था राजतंत्र का अगर गुरुकुल चंदे, दान, या डोनेशन पर चलती तो जो दान देता उसका प्रभुत्व उस गुरुकुल पर होता, मसलन कोई राजा का बेटा है तो राजा गुरुकुल को निर्देश देते की मेरे बेटे को बेहतर शिक्षा दो जिससे कि भेद भाव उत्तपन होता इसी भेद भाव को खत्म करने के लिए सभी गुरुकुल में पढ़ने वाले बच्चे भीख मांगा करते थे | अब भीख पर किसी का क्या अधिकार ? आज के दौर में मीडिया संस्थान भी प्रभुत्व मे आ गई कोई सत्ता पक्ष की तरफदारी करता है वही कोई विपक्ष की, इसका मूल कारण है पैसा और प्रभुत्व , इन्ही सब से बचने के लिए और निष्पक्षता को कायम रखने के लिए हमने गुरुकुल परम्परा को अपनाया है । इस देश के अंतिम व्यक्ति की आवाज और कठिनाई को सरकार तक पहुचाने का भी संकल्प लिया है इसलिए आपलोग निष्पक्ष पत्रकारिता को समर्थन करने के लिए हमे भीख दें 9308563506 पर Pay TM, Google Pay, phone pay भी कर सकते हैं हमारा @upi handle है 9308563506@paytm मम भिक्षाम देहि

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