📍 भोपाल, बुधवार, 3 जुलाई 2025 ::
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने मध्य प्रदेश के दामोह जिले में एक फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट द्वारा की गई गंभीर लापरवाही और धोखाधड़ी की जांच पर कड़ी नाराजगी जताई है। रिपोर्ट में पुलिस जांच को “अपूर्ण, लचर और विसंगतियों से भरी” बताया गया है।
🔍 क्या है मामला?
आरोपी नरेंद्र विक्रमादित्य यादव, ने ब्रिटेन के डॉ एन. जॉन कैमम की पहचान चुराकर उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज का फर्जी दावा करते हुए वर्षों तक बिना MBBS डिग्री के गंभीर सर्जरी की।
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इलाज के दौरान कम से कम 7 मरीजों की मौत हुई।
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आरोपी को अप्रैल 2025 में यूपी से गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेजा गया।
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NHRC ने कहा, “यह सिर्फ मेडिकल नेग्लिजेंस नहीं, बल्कि जानबूझकर हत्या जैसा अपराध है।”
⚠️ पुलिस पर NHRC की नाराज़गी
NHRC ने कहा:
“पुलिस ने हत्या, धोखाधड़ी और जालसाजी जैसे गंभीर धाराओं के बजाय हल्के आरोप लगाए। जांच की शुरुआत भी बहुत देर से की गई।”
🏥 अस्पताल प्रबंधन और CMHO की भूमिका
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CMHO दामोह ने डॉक्टर की डिग्री और लाइसेंस को सत्यापित करने का कोई प्रयास नहीं किया।
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मिशन अस्पताल दामोह ने डॉ अखिलेश दुबे की साख का दुरुपयोग कर कैथ लैब का लाइसेंस लिया — जबकि उनका इससे कोई लेना-देना नहीं था।
💰 आयुष्मान भारत योजना का दुरुपयोग
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NHRC ने अस्पताल पर फर्जी बिल बनाकर सरकारी बीमा योजना का फायदा उठाने का आरोप लगाया।
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मरीजों से ₹2.15 लाख तक की रकम वसूलने, फिर पैसा न लौटाने की पुष्टि हुई।
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कार्ड होने के बावजूद परिजनों को भारी राशि देने के लिए मजबूर किया गया।
🔴 NHRC के निर्देश
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सभी पीड़ितों के लिए अलग-अलग FIR दर्ज करने का आदेश।
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मृतकों के परिजनों को मुआवजा देने की सिफारिश।
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अस्पताल लाइसेंस की पुन: समीक्षा और CMHO की भूमिका की जांच की मांग।