पटना/भोपाल, संवाददाता। पर्यावरण लेडी ऑफ बिहार डा. नम्रता आनंद की संस्था दीदीजी फाउंडेशन को लगातार मध्यप्रदेश से आमंत्रण मिल रहा था सम्मान और और संस्थागत इंट्रैक्शन के लिए। इसी इंट्रैक्शन को स्वीकार कर पर्यावरण लेडी ऑफ बिहार डा. नम्रता आनंद पहुंची भोपाल और वहां सम्मान कार्यक्रम के बाद उन्होंने स्थानीय संस्था एकेएस, न्यू अहिंसा निकेतन और सामाजिक कल्याण समिति, भोपाल के मिल कर पौधरोपन के नए कैम्पेन की शुरुआत की। यह कैम्पेन नम्रता आनंद के पटना वापसी के बाद भी भोपाल में चलता रहेगा। खास बात यह है कि भोपाल में पौधारोपण का ऐसा कैम्पेन सालों भर चलाया जाता है। इस कार्य में कॉलेज के छात्र छात्राओँ का लगातार सहयोग मिलता रहता है।

इस पौधारोपण कार्यक्रम में संस्था एकेएस की वालेंटियर सुदेशना मिश्रा, अनंतिका मिश्रा और कृति मिश्रा के सहयोग से डा. नम्रता आनंद और डा.राजीव जैन ने पौधारोपण किया। गौरतलब है कि दोनो संस्थाएं दीदी जी फाउंडेशन और न्यू अहिंसा निकेतन शैक्षणिक एवं सामाजिक कल्याण समिति, भोपाल बक्सवाहा बचाओ अभियान और पर्यावरण से भी जुड़ी हैं। इसलिए अपने हर कार्यक्रम में पोधारोपण कर लोगों को जागरूक करती हैं और पर्यावरण बचाने का संदेश देती हैं। मौके पर डा. नम्रता आनंद ने कहा कि हमें हरियाली चाहिए,हमें आक्सीजन चाहिए। इसके लिए हमें पेड़ लगाने की जरूरत है पर्यावरण बचाने की जरुरत है।

अंत में डा.राजीव जैन ने दीदीजी फाऊंडेशन की संस्थापक अध्यक्ष और पर्यावरण लेडी ऑफ बिहार के नाम से चर्चित डा. नम्रता आनंद और सभी आए हुए अतिथियों और नागरिकों का आभार वयक्त किया और उन्हें धन्यवाद दिया।

By anandkumar

आनंद ने कंप्यूटर साइंस में डिग्री हासिल की है और मास्टर स्तर पर मार्केटिंग और मीडिया मैनेजमेंट की पढ़ाई की है। उन्होंने बाजार और सामाजिक अनुसंधान में एक दशक से अधिक समय तक काम किया। दोनों काम के दायित्वों के कारण और व्यक्तिगत रूचि के लिए भी, उन्होंने पूरे भारत में यात्राएं की हैं। वर्तमान में, वह भारत के 500+ में घूमने, अथवा काम के सिलसिले में जा चुके हैं। पिछले कुछ वर्षों से, वह पटना, बिहार में स्थित है, और इन दिनों संस्कृत विषय से स्नातक (शास्त्री) की पढ़ाई पूरी कर रहें है। एक सामग्री लेखक के रूप में, उनके पास OpIndia, IChowk, और कई अन्य वेबसाइटों और ब्लॉगों पर कई लेख हैं। भगवद् गीता पर उनकी पहली पुस्तक "गीतायन" अमेज़न पर बेस्ट सेलर रह चुकी है।

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