जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना, 01 सितम्बर ::

जब दम्पती गर्भधारण का प्रयास करते हैं लेकिन सफलता नहीं मिलती और उपचार भी असफल हो जाते हैं तो वे संतान सुख की उम्मीद छोड़ने लगते हैं। ऐसे में उनके परिवार पूरा करने की उम्मीद को आईवीएफ जैसी तकनीकों से साकार किया जा सकता है। देश की सबसे बड़ी फर्टिलिटी चैन इन्दिरा आईवीएफ की निःसंतानता को समाप्त करने की पहल रंग ला रही है। ग्रुप ने देश के विभिन्न शहरों में निःसंतानता के उपचार के लिए हॉस्पिटल्स शुरू किये, इनमें इन्दिरा आईवीएफ पटना ने सफलतापूर्वक अपने दस साल पूरे कर लिये हैं। यहां से इलाज प्राप्त करके 10000 से अधिक दम्पतियों को आईवीएफ में सफलता मिली है। स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में यहां 8 दिवसीय विशाल कार्यक्रमों का आयोजन 1 से 7 सितम्बर तक इन्दिरा आईवीएफ बरेली रोड पटना में किया जा रहा है। समापन 8 सितम्बर को पद्मश्री अनूप जलोटा भजन संध्या के साथ होगा, जिसमें अनूप जलोटा पटना की जनता को अपने भजनों से मंत्र मुग्ध करेंगे। कार्यक्रम में इन्दिरा आईवीएफ ग्रुप के चेयरमैन डॉ. अजय मुर्डिया भी उपस्थित रहेंगे।

प्रेस को संबोधित करते हुए इन्दिरा आईवीएफ पटना और बिहार हेड डॉ. दयानिधि ने कहा कि निःसंतानता भारत छोड़ो अभियान के तहत इन्दिरा आईवीएफ पटना हॉस्पिटल की शुरूआत की गयी थी, आमजन को निःसंतानता के कारण और उपचार विकल्पों के बारे में जागरूक करने से साथ लोगों की सोच में सकारात्मक बदलाव आया और वे उपचार के लिए आगे आने लगे। पटना हॉस्पिटल से उपचार लेकर अभी तक 10000 से ज्यादा दम्पतियों के आईवीएफ सक्सेजफुल हो चुके हैं ।

बिहार में ग्रुप के 10 हॉस्पिटल्स पटना, मुजफ्फरपुर, मोतीहारी, सहरसा, बेगुसराय, भागलपुर, कंकडबाग, गया, दरभंगा, पूर्णिया संचालित हैं जहां से 15000 से अधिक दम्पतियों को लाभ हो चुका है।

इन्दिरा आईवीएफ ग्रुप के देश-विदेश में 150 से अधिक हॉस्पिटल्स से उपचार लेकर अभी तक एक लाख पचास हजार से दम्पतियों को सफल आईवीएफ हो चुके हैं।

इन्दिरा आईवीएफ पटना हॉस्पिटल के दस वर्ष पूरे होने पर 1 से 7 सितम्बर तक सांस्कृतिक व सामाजिक सरोकार के कार्यक्रम अस्पताल परिसर में आयोजित किये जाएंगे। इन कार्यक्रमों में निःसंतानता के प्रति जागरूकता के लिए भी पहल की जाएगी। इसके बाद 8 सितम्बर को पद्मश्री अनूप जलोटा की मधुर आवाज में श्रीकृष्ण ममोरियल हॉस्पिटल में भजन संध्या आयोजित की जाएगी।

डॉ. सुनीता कुमारी ने बताया कि बिहार में लोगों में निःसंतानता को लेकर जागरूकता का अभाव था। 10 वर्ष पूर्व जब हमारे हॉस्पिटल की शुरूआत हुई तब हमें लोगों को जागरूक करने के लिए काफी प्रयास करने पड़े। समय के साथ लोगां ने निःसंतानता को शारीरिक बीमारी के रूप में स्वीकार किया और इलाज के लिए आगे आने लगे। जब मरीज हमारे पास आता है तो हमारी पूरी टीम का प्रयास रहता है कि उसे समस्या के अनुरूप उचित उपचार मुहैया करवाया जाए ताकि उन्हें सफलता मिल सके।
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