हैदराबाद सड़क हादसे में शिक्षिका की मौत


प्रगतिशील विचारक और लेखिका के. शरीफा ने कहा कि कर्नाटक सरकार के ओबीसी श्रेणी के तहत मुसलमानों के लिए आरक्षण को समाप्त करने और दो प्रमुख समुदायों – वोक्कालिगा और लिंगायत के बीच कोटा वितरित करने के फैसले से मुस्लिम लड़कियां विशेष रूप से प्रतिकूल रूप से प्रभावित होंगी।

अखिल भारतीय छात्र संघ (आइसा) द्वारा आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा, “मुस्लिम लड़कियां अच्छी शिक्षा प्राप्त करने के लिए सभी बाधाओं से लड़ रही हैं और आईएएस/केएएस अधिकारी बनने के लिए अच्छी तरह से पढ़ रही हैं और अपने लिए पेशेवर करियर बना रही हैं। . अब, आरक्षण को खत्म करना और उन्हें ईडब्ल्यूएस कोटे के तहत लाना इन मुस्लिम लड़कियों के लिए शैक्षणिक मौत है।”

ऑल इंडिया लॉयर्स एसोसिएशन फॉर जस्टिस की अधिवक्ता और राष्ट्रीय अध्यक्ष मैत्रेयी कृष्णन ने कहा कि ओबीसी श्रेणी के तहत मुस्लिमों को आरक्षण प्रदान करने के लिए वैज्ञानिक मूल्यांकन के बावजूद, जैसा कि हवानूर आयोग की रिपोर्ट, चिनप्पा रेड्डी की रिपोर्ट और बाद में सच्चर समिति की रिपोर्ट में सिफारिश की गई थी। राज्य सरकार ने आरक्षण नीति को विकृत करने वाले आरक्षण को एकतरफा समाप्त कर दिया है। “सरकार के इस कदम से अल्पसंख्यकों और उत्पीड़ितों की असमानता और भेद्यता समान रूप से बढ़ेगी। यह न केवल मुस्लिम समुदाय का मुद्दा है, बल्कि भारतीय संविधान पर भी हमला है।

AISA के सैयद जुनैद ने कहा, “सरकार की हालिया कार्रवाई सामाजिक न्याय पर हमला है, लेकिन दमनकारी और बहिष्करण NEP 2020 की निरंतरता में भी है, कर्नाटक में पीएचडी छात्रों की अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति में कमी और मौलाना को बंद करना पिछड़े वर्गों को और हाशिए पर डालने और समान और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक उनकी पहुंच को नष्ट करने के लिए केंद्र में आजाद नेशनल फैलोशिप।

By MINIMETRO LIVE

Minimetro Live जनता की समस्या को उठाता है और उसे सरकार तक पहुचाता है , उसके बाद सरकार ने जनता की समस्या पर क्या कारवाई की इस बात को हम जनता तक पहुचाते हैं । हम किसे के दबाब में काम नहीं करते, यह कलम और माइक का कोई मालिक नहीं, हम सिर्फ आपकी बात करते हैं, जनकल्याण ही हमारा एक मात्र उद्देश्य है, निष्पक्षता को कायम रखने के लिए हमने पौराणिक गुरुकुल परम्परा को पुनः जीवित करने का संकल्प लिया है। आपको याद होगा कृष्ण और सुदामा की कहानी जिसमे वो दोनों गुरुकुल के लिए भीख मांगा करते थे आखिर ऐसा क्यों था ? तो आइए समझते हैं, वो ज़माना था राजतंत्र का अगर गुरुकुल चंदे, दान, या डोनेशन पर चलती तो जो दान देता उसका प्रभुत्व उस गुरुकुल पर होता, मसलन कोई राजा का बेटा है तो राजा गुरुकुल को निर्देश देते की मेरे बेटे को बेहतर शिक्षा दो जिससे कि भेद भाव उत्तपन होता इसी भेद भाव को खत्म करने के लिए सभी गुरुकुल में पढ़ने वाले बच्चे भीख मांगा करते थे | अब भीख पर किसी का क्या अधिकार ? आज के दौर में मीडिया संस्थान भी प्रभुत्व मे आ गई कोई सत्ता पक्ष की तरफदारी करता है वही कोई विपक्ष की, इसका मूल कारण है पैसा और प्रभुत्व , इन्ही सब से बचने के लिए और निष्पक्षता को कायम रखने के लिए हमने गुरुकुल परम्परा को अपनाया है । इस देश के अंतिम व्यक्ति की आवाज और कठिनाई को सरकार तक पहुचाने का भी संकल्प लिया है इसलिए आपलोग निष्पक्ष पत्रकारिता को समर्थन करने के लिए हमे भीख दें 9308563506 पर Pay TM, Google Pay, phone pay भी कर सकते हैं हमारा @upi handle है 9308563506@paytm मम भिक्षाम देहि

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