कोविड से भी ज्यादा खतरनाक है कैंसर : डॉ पंकज चतुर्वेदी

तम्बाकू छोड़े, विजेता बने – डॉ रविकांत सिंह
हमारे लिए हर दिन तम्बाकू निषेध दिवस है – डॉ रविकांत सिंह
कोविड से भी ज्यादा खतरनाक है कैंसर – डॉ पंकज चतुर्वेदी
कोविड से मरने वालों की संख्या 2% है वहीं तम्बाकू सेवन से मरने वालों की संख्या 30% है

विश्व तम्बाकू निषेध दिवस के पूर्व मौके पर दिनांक 30 मई (रविवार) 12:00pm वर्चुअल प्रेस कांफ्रेंस के दौरान डॉ पंकज चतुर्वेदी ने कहा कि होमी भाभा कैंसर अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र ने तम्बाकू निषेध के लिए शुरू से प्रतिबद्ध रहा है। हम चाहते है कि आने वाले समय में टाटा मेमोरियल सेंटर में मुजफ्फरपुर और बिहार से लोग इलाज के लिए नहीं आये। तम्बाकू के रोकथाम के लिए हमसब 2 स्तरों पर काम कर रहे है एक तो सरकारों और संस्थाओं के साथ मिलकर दूसरा समाज मे जागरूकता अभियान चलाकर। उन्होंने कहा कि हम कैंसर स्क्रीनिंग और जागरूकता अभियान को 16 जिलों में शुरुआत की है। 40% कैंसर सिर्फ तम्बाकू के सेवन से होता है। बिहार में सबसे ज्यादा मुंह का कैंसर होता है जिसमें 90% कैंसर तम्बाकू आदि के सेवन से होता है।

तम्बाकू का सेवन करने वाला सिर्फ अपना नहीं आने वाली नस्लों को भी खराब कर देता है। अगर कोई गर्भवती महिलाएं तम्बाकू का सेवन करती है इससे उनके होने वाले बच्चे पर बुरा प्रभाव पड़ता है जैसे जन्म के समय ही मृत्यु हो जाना, बच्चे का सही तरीके से विकास नहीं होना, कम वजन का बच्चा होना या कोई गम्भीर बीमारी से ग्रसित होना। इसीलिए तम्बाकू का सेवन सभीलोग अबिलम्ब छोड़े।
इसके लिए हमने बिहार में पहली बार जनसंख्या आधारित कैंसर रजिस्ट्री की शुरुआत की उसमें हमें यह ज्ञात हुआ कि बिहार में मुँह का कैंसर सर्वाधिक है।
होमी भाभा कैंसर हॉस्पिटल एवं अनुसंधान केंद्र के प्रभारी डॉ रविकांत सिंह ने इसी बात को आगे बढ़ाते हुए बताया कि हमलोग का स्लोगन ही है कि “तम्बाकू छोड़ें, विजेता बने।” आज हर तम्बाकू उत्पाद पर यह जरूर लिखा रहता है कि तम्बाकू स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है लेकिन फिर भी लोग इसका सेवन कर रहे है उसमें से कई लोग कहते है कि इसकी लत लग गयी है जो नहीं छूट रही है उनके लिए यह है कि प्रयास जारी रखें तम्बाकू सेवन छोड़ना नामुमकिन नहीं है। भारत सरकार ने इसके लिए एक हेल्पलाइन नो. भी जारी किया है वह है 1800-11-2356 इस नो. पर फोन करने पर विशेषज्ञ के द्वारा जबतक तम्बाकू नहीं छूटता तबतक काउंसिल की जाती है।

वही होमी भाभा कैंसर अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र में कार्यरत डॉ बुरहान ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि ज्यादातर लोग तम्बाकू का सेवन 17 उम्र से लेकर 22 उम्र तक के लोग ही शुरू करते है। ज्यादातर सेवन साथियों के दबाव के कारण ही शुरू होती है। जिससे उनके परिवार की आर्थिक स्थिति भी खराब हो जाती है। मुंह के कैंसर से ग्रसित 70 से 80 % लोगों की मृत्यु हो जाती है।
डॉ बुरहान ने कहा कि अभीतक मैंने 40 से ज्यादा सर्जरी की है जिसमें से 90% सर्जरी मुंह के कैंसर के ही थे।

वही डॉ गूँजेश ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि बिहार में कैंसर के 3-4 अस्पताल है। लेकिन कोविड में समय उनमें कैंसर का इलाज बंद हो गया जबकि इस बीच होमी भाभा कैंसर अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र ने 1250 मरीज को देखा है जिसमें से 150 नए मरीज है और 20 से ऊपर बड़ी सर्जरी की गई है। अगर हमलोग कम उम्र और वयस्कों में तम्बाकू जागरूकता अभियान चलाएंगे तो इसका फायदा मिलेगा। जागरूकता के कारण लोग अगर जल्दी स्क्रीनिंग कराते है तो उसमें से 70% कैंसर के मामले कम हो सकते है।
इस कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन डॉ रविकांत सिंह ने किया और उपस्थित अथितियों और पत्रकारों का अभिनन्दन किया। उन्होंने कहा कि पत्रकार ही हमारे सन्देश को लोगों के बीच ले जाएंगे इसीलिए आपलोगों का विशेष आभार।

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By anandkumar

आनंद ने कंप्यूटर साइंस में डिग्री हासिल की है और मास्टर स्तर पर मार्केटिंग और मीडिया मैनेजमेंट की पढ़ाई की है। उन्होंने बाजार और सामाजिक अनुसंधान में एक दशक से अधिक समय तक काम किया। दोनों काम के दायित्वों के कारण और व्यक्तिगत रूचि के लिए भी, उन्होंने पूरे भारत में यात्राएं की हैं। वर्तमान में, वह भारत के 500+ में घूमने, अथवा काम के सिलसिले में जा चुके हैं। पिछले कुछ वर्षों से, वह पटना, बिहार में स्थित है, और इन दिनों संस्कृत विषय से स्नातक (शास्त्री) की पढ़ाई पूरी कर रहें है। एक सामग्री लेखक के रूप में, उनके पास OpIndia, IChowk, और कई अन्य वेबसाइटों और ब्लॉगों पर कई लेख हैं। भगवद् गीता पर उनकी पहली पुस्तक "गीतायन" अमेज़न पर बेस्ट सेलर रह चुकी है।

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