रिपोर्ट के अनुसार, वैज्ञानिकों का मानना है कि अंतरिक्ष में कोई इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करना मुश्किल और महंगा है। भविष्य में अंतरिक्ष निर्माण के मामले में आसान मटीरियल पर भरोसा करना होगा। मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों को लगता है कि ‘स्टारक्रीट’ इसका समाधान हो सकता है। इस कंक्रीट को बनाने के लिए वैज्ञानिकों ने मंगल ग्रह में पाई जाने वाली मिट्टी का नकली वर्जन तैयार किया। फिर उसमें आलू में पाए जाने वाले स्टार्च और चुटकी भर नमक को मिलाया गया।
वैज्ञानिकों का दावा है कि उन्होंने जो कंक्रीट या कहें ईंट तैयार की, वह आम कंक्रीट से दोगुनी मजबूत है। यह मंगल ग्रह पर निर्माण के लिए बेहतर है। वैज्ञानिकों का आर्टिकल ओपन इंजीनियरिंग में पब्लिश हुआ है। रिसर्च टीम ने बताया है कि आलू में पाया जाने वाला स्टार्च, मंगल ग्रह की नकली धूल के साथ मिलाने पर कंक्रीट को मजबूती देता है। यह सामान्य कंक्रीट से दोगुना और चांद की धूल से बनाई गईं कंक्रीट से कई गुना मजबूत है।
वैज्ञानिकों ने अपनी कैलकुलेशन में पाया कि 25 किलो डीहाइड्रेटेड आलू में 500 किलो ‘स्टारक्रीट’ बनाने के लिए पर्याप्त स्टार्च होता है। यानी उससे लगभग 213 से ज्यादा ईंट बन सकती हैं। वैज्ञानिकों की टीम अब इस ईंट को हकीकत बनाना चाहती है, मतलब उसके उत्पादन को आमलीजामा पहनाना चाहती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि ऐसी ईंट अगर पृथ्वी पर भी इस्तेमाल की जाए, तो कार्बन उत्सर्जन में कमी लाई जा सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्लोबल CO2 उत्सर्जन में सीमेंट और कंक्रीट का योगदान लगभग 8% है। सामान्य ईंट बनाने में जहां बहुत अधिक तापमान का इस्तेमाल होता है, वहीं ‘स्टारक्रीट’ को ओवन के टेंपरेचर पर तैयार किया जा सकता है।
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