Yearender 2022 : एलियंस और UFO से जुड़ी वो खबरें, जो इस साल रहीं चर्चा में, जानें

साल 2022 विदा ले रहा है। विज्ञान के नजरिए से यह वर्ष कई मायनों में महत्‍वपूर्ण रहा, खासतौर पर एलियंस से जुड़ी जानकारियों को लेकर। एक के बाद एक सामने आए वाकयों ने दुनिया को हैरान किया। अमेरिका में सरकारी स्‍तर पर UFO को लेकर पहली सार्वजनिक सुनवाई की गई। नासा ने एक कमिटी बनाई जो अनआइडेंटिफाइड फ्लाइंग ऑब्‍जेक्‍ट्स को लेकर एक रिपोर्ट तैयार करेगी। एलियंस और UFO से जुड़ी साल 2022 की कुछ प्रमुख घटनाओं के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं। 
 

50 साल में पहली बार UFO पर सुनवाई

इस साल मई में अमेरिका में एक खास सुनवाई हुई। 50 साल में पहली बार हुई सार्वजनिक सुनवाई में टॉप अमेरिकी रक्षा अधिकारी ने बताया कि पिछले 20 साल में आकाश में उड़ने वाली अज्ञात वस्तुओं की संख्‍या बढ़ गई है। रक्षा अधिकारी ने यह जानकारी अमेरिकी सांसदों को दी। बताया कि कुल मिलाकर 400 UFO देखे गए हैं और यह आंकड़ा पहले से दोगुना हो गया है। हालांकि पेंटागन के अधिकारियों ने यह साफ किया कि किसी तरह की अलौकिक उत्पत्ति का सबूत उनके सामने नहीं आया है।
 

UFO के मामलों की जांच के लिए नासा ने बनाई टीम

अमेरिका में हुई सुनवाई के बाद इसी साल अक्‍टूबर में 16 लोगों की एक टीम का ऐलान किया। यह टीम आकाश में होने वाली घटनाओं की जांच कर रही है। टीम के पास 9 महीने हैं। इस दौरान पुराने ऑब्‍जर्वेशंस को रिव्‍यू किया जाएगा। स्‍टडी से यह निर्धारित नहीं किया जाएगा कि UFO पर पिछली रिपोर्ट वैध थी या नहीं। स्‍टडी से यह समझने की कोशिश की जाएगी कि भविष्‍य में होने वाली घटनाओं को समझने के लिए किन बातों को ध्‍यान में रखने की जरूरत होगी। 
 

टॉप साइंटिस्‍ट ने कहा- UFO पर सच छुपा रहीं सरकारें

वहीं, दुनिया के एक टॉप साइंटिस्‍ट ने दावा किया कि सरकारें दशकों से पृथ्वी पर संदिग्ध UFO के दौरे को छुपा रही हैं। उन्‍होंने माना कि UFO आते हैं और सरकारों को इसके बारे में जानकारी है। नोबेल प्राइज के लिए नामित प्रोफेसर गैरी नोलन (Garry Nolan) ने कहा कि वह “जानते हैं” कि अथॉरिटीज ने ‘एक्टिव कवर-अप’ किया है। गैरी नोलन, स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के इम्यूनोलॉजिस्ट हैं। उनका मानना है कि अमेरिकी सरकार के परग्रही (extraterrestrial) सीक्रेट्स को नई सार्वजनिक सुनवाई में व्यापक रूप से उजागर किया जाएगा।
 

चीनी वैज्ञानिकों से एलियंस ने किया कॉन्‍टैक्‍ट!

दुनियाभर में खबरों ने जोर पकड़ा कि चीन ने एक विदेशी सभ्‍यता के संकेत प्राप्‍त किए हो सकते हैं। चीन की सरकार के समर्थन वाले ‘साइंस एंड टेक्नोलॉजी डेली’ की एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई। रिपोर्ट में एक्स्ट्रटरेस्ट्रीअल सिव‍िलाइजेशन सर्च टीम के चीफ साइंटिस्‍ट झांग टोनजी का हवाला दिया गया। झांग टोनजी ने कहा कि उनकी टीम ने साल 2020 में पहेलीनुमा संकेतों वाले सिग्‍नलों के 2 सेट देखे थे। इन सिग्‍नलों को साल 2019 में FAST टेलिस्‍कोप ने कैप्‍चर किया था। हालांकि झांग ने यह संभावना भी जताई है कि ये सिग्नल रेडियो इंटरफेरेंस की वजह से भी हो सकते हैं। बाद में ‘साइंस एंड टेक्नोलॉजी डेली’ ने रिपोर्ट को वेबसाइट से हटा लिया था। 
 

यूक्रेन युद्ध में कूदे एलियंस! 

इस साल आई एक खबर ने दुनियाभर के देशों, वैज्ञानिकों को हैरान कर दिया था। जानकारी सीधे यूक्रेन की नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज की एस्ट्रोनॉमिकल ऑब्जर्वेटरी से आई थी। इसमें कहा गया था कि यूक्रेन के कीव में कई UFO (यूएफओ) और UAP देखे जा रहे हैं। अमेरिकी खुफिया एजेंसी के सोर्सेज ने इस ऑब्‍जेक्‍ट को सैन्य उपकरण बताया। जानेमाने खगोलशास्त्री एवी लोएब (Avi Loeb) ने भी इन बातों पर विश्‍वास नहीं करने की सलाह दी। 
 

एलियंस का कॉल आए, तो क्‍या कहना है?

एलियंस से संपर्क होने पर क्‍या करना होगा? वैज्ञानिकों ने साल 2022 में इस सवाल का जवाब तलाशना शुरू कर दिया। 35 साल में पहली बार पॉलिसी एक्‍सपर्ट्स की टीम और साइंटिस्‍ट एकसाथ आए। सभी मिलकर ‘एलियन-कॉन्‍टैक्‍ट प्रोटोकॉल’ (alien contact protocol) का एक सेट स्थापित करने पर काम कर रहे हैं, ताकि ET (Extra Terrestrial) के अचानक सामने आने पर उन्‍हें रेस्‍पॉन्‍ड किया जा सके। 

 

By MINIMETRO LIVE

Minimetro Live जनता की समस्या को उठाता है और उसे सरकार तक पहुचाता है , उसके बाद सरकार ने जनता की समस्या पर क्या कारवाई की इस बात को हम जनता तक पहुचाते हैं । हम किसे के दबाब में काम नहीं करते, यह कलम और माइक का कोई मालिक नहीं, हम सिर्फ आपकी बात करते हैं, जनकल्याण ही हमारा एक मात्र उद्देश्य है, निष्पक्षता को कायम रखने के लिए हमने पौराणिक गुरुकुल परम्परा को पुनः जीवित करने का संकल्प लिया है। आपको याद होगा कृष्ण और सुदामा की कहानी जिसमे वो दोनों गुरुकुल के लिए भीख मांगा करते थे आखिर ऐसा क्यों था ? तो आइए समझते हैं, वो ज़माना था राजतंत्र का अगर गुरुकुल चंदे, दान, या डोनेशन पर चलती तो जो दान देता उसका प्रभुत्व उस गुरुकुल पर होता, मसलन कोई राजा का बेटा है तो राजा गुरुकुल को निर्देश देते की मेरे बेटे को बेहतर शिक्षा दो जिससे कि भेद भाव उत्तपन होता इसी भेद भाव को खत्म करने के लिए सभी गुरुकुल में पढ़ने वाले बच्चे भीख मांगा करते थे | अब भीख पर किसी का क्या अधिकार ? आज के दौर में मीडिया संस्थान भी प्रभुत्व मे आ गई कोई सत्ता पक्ष की तरफदारी करता है वही कोई विपक्ष की, इसका मूल कारण है पैसा और प्रभुत्व , इन्ही सब से बचने के लिए और निष्पक्षता को कायम रखने के लिए हमने गुरुकुल परम्परा को अपनाया है । इस देश के अंतिम व्यक्ति की आवाज और कठिनाई को सरकार तक पहुचाने का भी संकल्प लिया है इसलिए आपलोग निष्पक्ष पत्रकारिता को समर्थन करने के लिए हमे भीख दें 9308563506 पर Pay TM, Google Pay, phone pay भी कर सकते हैं हमारा @upi handle है 9308563506@paytm मम भिक्षाम देहि

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