पॉपुलर, शॉर्ट वीडियो प्‍लेटफॉर्म टिकटॉक (TikTok) भारत में भले बैन हो गया है, लेकिन दुनिया के कई देशों में यह युवाओं के बीच सबसे ज्‍यादा इस्‍तेमाल किया जाने वाला ऐप है। टिकटॉक ने लोकप्रियता पाई है डांस, प्रैंक, स्टंट, ट्रिक्स, चुटकुले और मनोरंजन से जुड़े कंटेंट से। हालांकि इसका कुछ कंटेंट किशोरों और युवाओं को नुकसान पहुंचा रहा है। वर्मोंट यूनिवर्सिटी के नए शोध के अनुसार, टिकटॉक में भोजन, पोषण (nutrition) और वजन से संबंधित सबसे पॉपुलर कंटेंट किशोरों और युवाओं के बीच एक हानिकारक फूड कल्‍चर को बढ़ावा देता है।  

यह स्‍टडी PLOS One में पब्लिश हुई है। इसमें कहा गया है कि टिकटॉक पर मौजूद सबसे पॉपुलर वीडियोज वजन घटाने का महिमामंडन करते हैं। इनमें वीडियोज को ऐसे प्रस्‍तुत किया जाता है कि खाना इंसान के स्‍वास्‍थ्‍य और उसे पतला करने का एक साधन है। रिसर्च में कहा गया है कि ये निष्‍कर्ष खतरनाक हैं और युवाओं में अव्यवस्थित खाने को बढ़ावा देते हैं। 

रिसर्च में शामिल रहे एसोसिएट प्रोफेसर लिजी पोप ने कहा कि हर दिन लाखों किशोरों और युवाओं को टिकटॉक पर ऐसा कंटेंट परोसा जा रहा है। यह भोजन, पोषण और स्वास्थ्य की बहुत ही अवास्तविक और गलत तस्वीर पेश करता है। वजन घटाने के फेर में फंसे लोगों के लिए टिकटॉक एक मुश्किल भरा प्‍लेटफॉर्म हो सकता है। खासतौर पर उनके लिए जो युवा हैं।  

पोषण के पैमाने पर टिकटॉक कंटेंट को परखने वाली यह पहली स्‍टडी है। रिसर्चर्स ने टिकटॉक के 10 ट्रेंडिंग हैशटैग और 100 वीडियोज का विश्‍लेषण किया, जो पोषण, भोजन और वजन से जुड़े थे। साल 2020 में जब यह स्‍टडी शुरू हुई, तब 10 ट्रेडिंग हैशटैग में हरेक को एक अरब से ज्‍यादा बार देखा गया था।  

स्‍टडी की को-ऑथर मारिसा मिनादेओ ने कहा कि वजन से जुड़े सब्‍जेक्‍ट टिकटॉक पर इस तरह पॉपुलर होना हैरान करने वाला था। अरबों लोग इस प्‍लेटफॉर्म पर वजन से जुड़ा कंटेंट देख रहे थे। वहीं, लिजी पोप ने कहा कि लोगों की ऊंचाई के हिसाब से उनका वजन अलग-अलग होता है, जबकि वीडियोज में ऐसी बातों को अनदेखा किया जाता है।

रिसर्चर्स ने जिस कंटेंट को स्‍टडी किया, वह ज्‍यादातर महिला किशोरों और युवाओं ने तैयार किया था। रिसर्च कहती है कि ये क्रिएटर खुद को एक्‍सपर्ट के रूप में पेश करते हैं, जबकि उनमें से बहुत कम क्रिएटर ही एक्‍सपर्ट वाले मानदंडों को पूरा करते हैं। 
 

By MINIMETRO LIVE

Minimetro Live जनता की समस्या को उठाता है और उसे सरकार तक पहुचाता है , उसके बाद सरकार ने जनता की समस्या पर क्या कारवाई की इस बात को हम जनता तक पहुचाते हैं । हम किसे के दबाब में काम नहीं करते, यह कलम और माइक का कोई मालिक नहीं, हम सिर्फ आपकी बात करते हैं, जनकल्याण ही हमारा एक मात्र उद्देश्य है, निष्पक्षता को कायम रखने के लिए हमने पौराणिक गुरुकुल परम्परा को पुनः जीवित करने का संकल्प लिया है। आपको याद होगा कृष्ण और सुदामा की कहानी जिसमे वो दोनों गुरुकुल के लिए भीख मांगा करते थे आखिर ऐसा क्यों था ? तो आइए समझते हैं, वो ज़माना था राजतंत्र का अगर गुरुकुल चंदे, दान, या डोनेशन पर चलती तो जो दान देता उसका प्रभुत्व उस गुरुकुल पर होता, मसलन कोई राजा का बेटा है तो राजा गुरुकुल को निर्देश देते की मेरे बेटे को बेहतर शिक्षा दो जिससे कि भेद भाव उत्तपन होता इसी भेद भाव को खत्म करने के लिए सभी गुरुकुल में पढ़ने वाले बच्चे भीख मांगा करते थे | अब भीख पर किसी का क्या अधिकार ? आज के दौर में मीडिया संस्थान भी प्रभुत्व मे आ गई कोई सत्ता पक्ष की तरफदारी करता है वही कोई विपक्ष की, इसका मूल कारण है पैसा और प्रभुत्व , इन्ही सब से बचने के लिए और निष्पक्षता को कायम रखने के लिए हमने गुरुकुल परम्परा को अपनाया है । इस देश के अंतिम व्यक्ति की आवाज और कठिनाई को सरकार तक पहुचाने का भी संकल्प लिया है इसलिए आपलोग निष्पक्ष पत्रकारिता को समर्थन करने के लिए हमे भीख दें 9308563506 पर Pay TM, Google Pay, phone pay भी कर सकते हैं हमारा @upi handle है 9308563506@paytm मम भिक्षाम देहि

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