शुक्र ग्रह हमारे सौरमंडल का दूसरा ग्रह है। उससे पहले बुध का नंबर आता है, जबकि पृथ्वी तीसरे नंबर पर है। शुक्र को पृथ्वी का सिस्टर प्लैनेट माना जाता है, हालांकि मौजूदा वातावरण में यहां जीवन का संभव होना मुमकिन नहीं है। शुक्र ग्रह के वातावरण का औसत तापमान 462 डिग्री सेल्सियस है। पृथ्वी के मुकाबले यह अत्यधिक गुना ज्यादा है। शुक्र ग्रह पर जो बादल बनते हैं, वह सल्फ्यूरिक एसिड की बारिश करते हैं। इस वजह से इस ग्रह पर जीवन संभव नहीं है।
स्टडी कहती है कि शुक्र ग्रह पर ये स्थितियां बहुत ज्यादा ज्वालामुखी विस्फोटों के कारण पैदा हुईं। वैज्ञानिकों का मानना है कि ज्वालामुखी विस्फोटों ने शुक्र ग्रह को एक गीले और समशीतोष्ण ग्रह से गर्म और शुष्क ग्रह में बदल दिया। नासा के गोडार्ड इंस्टीट्यूट फॉर स्पेस स्टडीज (Goddard Institute for Space Studies) के डॉ माइकल जे वे (Dr. Michael J. Way) ने कहा कि हम अभी तक सुनिश्चित नहीं हैं कि ऐसी घटनाएं कितनी बार हुईं। शुक्र ग्रह को और करीब से समझने के लिए नासा ने DAVINCI मिशन की योजना बनाई है, जिसे साल 2029 से पहले लॉन्च किया जाना है।
कई वैज्ञानिक शुक्र ग्रह पर मिशन लॉन्च करने की वकालत करते रहे हैं। उनका मानना है कि मंगल के मुकाबले शुक्र ग्रह ऐसी रिसर्च के लिए बेहतर उम्मीदवार हो सकता है। कुछ महीनों पहले पेरिस में इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉटिकल कांग्रेस (IAC) में प्रस्तुत एक रिपोर्ट में विशेषज्ञों ने मंगल के बजाए शुक्र ग्रह के लिए एक मिशन लॉन्च करने का आह्वान किया था। जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के डॉ नोम इजेनबर्ग और ‘वीनस फ्लाईबी’ के समर्थकों का कहना था कि शुक्र ग्रह को हमेशा ही अनदेखा किया जाता है, क्योंकि वहां का वातावरण बेहद कठिन है। विशेषज्ञों का कहना है कि वर्तमान में नासा, चंद्रमा से मंगल ग्रह के रास्ते को आदर्श मानकर चल रही है, जबकि हम उसी रूट पर एक लक्ष्य शुक्र ग्रह के लिए भी बना रहे हैं।
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