एक नई स्‍टडी में अनुमान लगाया गया है कि चंद्रमा का निर्माण हजारों-लाखों वर्षों में नहीं, बल्कि एक विशानकारी टक्‍कर के बाद तुरंत हुआ होगा। एक हाई रेजॉलूशन सुपरकंप्यूटर सिम्‍युलेशन पर आधारित परिकल्पना से पता चलता है कि चंद्रमा का निर्माण धीमी और क्रमिक प्रक्रिया नहीं हो सकता। चंद्रमा का निर्माण कुछ ही घंटों के भीतर हुआ होगा। वैज्ञानिकों के निष्कर्ष ‘द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लेटर्स’ में प्रकाशित हुए हैं। 1970 के दशक से ही खगोलविद यह सोचते आ रहे हैं कि चंद्रमा का निर्माण पृथ्वी और थिया (Theia) नाम के एक प्रोटोप्लैनेट के बीच टकराव से हुआ हो सकता है। हालांकि खगोलिवदों ने अबतक यह माना है कि पृथ्‍वी और थिया के बीच टक्‍कर से मलबे का एक विशाल क्षेत्र बना होगा, जिससे चंद्रमा का निर्माण हजारों वर्षों में हुआ होगा। लेकिन नई स्‍टडी कुछ और कहती है। 

इंग्लैंड की डरहम यूनिवर्सिटी के कम्प्यूटेशनल ब्रह्मांड विज्ञानी ‘जैकब केगेरिस’ ने लाइव साइंस को बताया कि यह अनुमान लगाना बहुत कठिन है कि ऐसी टक्‍कर को सिम्‍युलेट करने के लिए कितने रेजॉलूशन की जरूरत है। आपको तब तक टेस्‍ट करना होगा, जब रेजॉलूशन बढ़ाने से रिजल्‍ट में फर्क आना बंद नहीं हो जाता। 

स्‍टडी के दौरान वैज्ञानिकों ने एसपीएच विद इंटर-डिपेंडेंट फाइन-ग्रेन्ड टास्किंग (स्विफ्ट) नाम के एक कंप्यूटर प्रोग्राम का रुख किया। इस प्रोग्राम को चलाने के लिए एक सुपरकंप्यूटर का इस्‍तेमाल किया गया। इस दौरान हाई-रेजॉलूशन सिम्‍युलेशन ने शोधकर्ताओं को सुझाव दिया कि पृथ्‍वी और थिया की टक्‍कर के बाद पृथ्‍वी से निकले टुकड़ों और थिया के टूटे टुकड़ों से कुछ घंटों में ही चंद्रमा का निर्माण हो गया। कंप्‍यूटर मॉडल अपनी जगह है, लेकिन हकीकत में चंद्रमा कैसे और कितने वक्‍त में बना इसका पता वहां खुदाई करके चल सकता है। नासा के आगमी मिशन इस दिशा में अहम जानकारी जुटा सकते हैं। 

चंद्रमा के निर्माण के बारे में पहला सुराग जुलाई 1969 में अपोलो 11 मिशन की वापसी के बाद मिला। इस मिशन के जरिए नासा के अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग और बज एल्ड्रिन 21.6 किलोग्राम सैंपल्‍स को चंद्रमा से लेकर आए थे। ये सैंपल लगभग 4.5 अरब साल पुराने थे। वहीं, कुछ अन्‍य सबूत भी यह बताते हैं कि पृथ्‍वी का यह सबसे बड़ा प्राकृतिक उपग्रह, पृथ्वी और एक ग्रह के बीच हिंसक टक्कर से पैदा हुआ है। हालांकि यह ब्रह्मांडीय टक्‍कर कैसे हुई होगी, बहस का विषय है। 
पारंपरिक परिकल्पना से पता चलता है कि जैसे ही थिया और पृथ्वी की टक्‍कर हुई, थिया के लाखों टुकड़े हो गए। यह तैरते हुए मलबे में बदल गया। थिया के टूटे हुए अवशेष कुछ वाष्पीकृत चट्टानों और हमारे ग्रह के मेंटल से निकली गैस के साथ धीरे-धीरे एक डिस्क में मिल गए। इसी के चारों ओर चंद्रमा का पिघला हुआ क्षेत्र बना, जो लाखों साल में जमकर ठंडा हो गया। हालांकि इस थ्‍योरी पर सवाल उठते रहे हैं। पूछा जाता है कि अगर चंद्रमा ज्यादातर थिया से बना है, तो इसकी कई चट्टानें पृथ्वी की तरह क्‍यों हैं। वहीं, कई वैज्ञानिक यह मानते हैं कि थिया के मुकाबले चंद्रमा के निर्माण में पृथ्वी की वाष्पीकृत चट्टानें ज्‍यादा शामिल हैं। हालांकि यह विचार भी कई सवाल खड़े करता है। बहरहाल, नई स्‍टडी ने इन बहस और सवालों को और तेज कर दिया है, जो कहती है कि चंद्रमा का निर्माण कुछ ही घंटों में हुआ हो सकता है। 
 

लेटेस्ट टेक न्यूज़, स्मार्टफोन रिव्यू और लोकप्रिय मोबाइल पर मिलने वाले एक्सक्लूसिव ऑफर के लिए गैजेट्स 360 एंड्रॉयड ऐप डाउनलोड करें और हमें गूगल समाचार पर फॉलो करें।

संबंधित ख़बरें



Source link

By MINIMETRO LIVE

Minimetro Live जनता की समस्या को उठाता है और उसे सरकार तक पहुचाता है , उसके बाद सरकार ने जनता की समस्या पर क्या कारवाई की इस बात को हम जनता तक पहुचाते हैं । हम किसे के दबाब में काम नहीं करते, यह कलम और माइक का कोई मालिक नहीं, हम सिर्फ आपकी बात करते हैं, जनकल्याण ही हमारा एक मात्र उद्देश्य है, निष्पक्षता को कायम रखने के लिए हमने पौराणिक गुरुकुल परम्परा को पुनः जीवित करने का संकल्प लिया है। आपको याद होगा कृष्ण और सुदामा की कहानी जिसमे वो दोनों गुरुकुल के लिए भीख मांगा करते थे आखिर ऐसा क्यों था ? तो आइए समझते हैं, वो ज़माना था राजतंत्र का अगर गुरुकुल चंदे, दान, या डोनेशन पर चलती तो जो दान देता उसका प्रभुत्व उस गुरुकुल पर होता, मसलन कोई राजा का बेटा है तो राजा गुरुकुल को निर्देश देते की मेरे बेटे को बेहतर शिक्षा दो जिससे कि भेद भाव उत्तपन होता इसी भेद भाव को खत्म करने के लिए सभी गुरुकुल में पढ़ने वाले बच्चे भीख मांगा करते थे | अब भीख पर किसी का क्या अधिकार ? आज के दौर में मीडिया संस्थान भी प्रभुत्व मे आ गई कोई सत्ता पक्ष की तरफदारी करता है वही कोई विपक्ष की, इसका मूल कारण है पैसा और प्रभुत्व , इन्ही सब से बचने के लिए और निष्पक्षता को कायम रखने के लिए हमने गुरुकुल परम्परा को अपनाया है । इस देश के अंतिम व्यक्ति की आवाज और कठिनाई को सरकार तक पहुचाने का भी संकल्प लिया है इसलिए आपलोग निष्पक्ष पत्रकारिता को समर्थन करने के लिए हमे भीख दें 9308563506 पर Pay TM, Google Pay, phone pay भी कर सकते हैं हमारा @upi handle है 9308563506@paytm मम भिक्षाम देहि

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *