उत्तर प्रदेश में चुनाव ड्यूटी के दौरान अधिकारियों और कर्मचारियों पर बढ़ते मानसिक प्रेशर की वजह से आत्महत्या जैसे गंभीर मामले सामने आ रहे हैं।
यह केवल एक प्रशासनिक समस्या नहीं, बल्कि एक मानवीय त्रासदी है।
चुनाव आयोग को अब समय के साथ चलते हुए प्रक्रिया को और अधिक डिजिटल और व्यवस्थित करना चाहिए, ताकि बूथ लेवल स्टाफ, शिक्षकों और अधिकारियों पर अनावश्यक प्रेशर न पड़े।
इस वीडियो में मैंने बताया है कि:
चुनाव ड्यूटी में इतना ज़्यादा तनाव क्यों बढ़ जाता है
सिस्टम की कमज़ोरियाँ कहाँ हैं
डिजिटलाइजेशन से किस तरह प्रेशर कम हो सकता है
और कैसे मानव-संवेदनाएँ प्रशासनिक प्रक्रिया से गायब होती जा रही हैं
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