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नई दिल्ली।
दुनिया मंगल और चांद पर कॉलोनी बनाने की तैयारी में है, और हम अब भी “स्वदेशी अपनाओ” का राग अलाप रहे हैं। वाह! क्या शानदार टाइम मशीन है हमारे पास—सीधा 1991 से भी पहले ले जाती है।

याद है न वो साल, जब हमारी अर्थव्यवस्था एक पुराने पंखे की तरह हांफ रही थी? तब डॉ. मनमोहन सिंह ने ग्लोबलाइजेशन का बटन दबाया, विदेशी निवेश आया, और देश ने थोड़ा चैन की सांस ली। लेकिन लगता है कुछ लोगों को उस हवा से एलर्जी है।

स्वदेशी: नाम बड़ा, काम छोटा

आजकल सुझाव मिलते हैं—“विदेशी छोड़ो, अपना बनाओ।” बढ़िया! लेकिन जब अपना इथेनॉल पेट्रोल से महंगा हो, तो कौन खरीदेगा?
बाजार का सीधा नियम है: अगर आपका सामान बढ़िया और सस्ता नहीं, तो ग्राहक “जय स्वदेशी” बोलकर भी अमेज़न से विदेशी ब्रांड ही ऑर्डर करेगा।

मेक इन इंडिया का ‘शेर’ और हकीकत

सरकार का “मेक इन इंडिया” वाकई अच्छी पहल थी। पर शेर अब थोड़ी ज्यादा डाइटिंग कर चुका है—कहने को शेर, पर दिखता गीदड़ सा।

बाबा बनाम ब्रांड

और हां, पतंजलि का नाम सुनते ही कुछ लोग आंखें घुमा देते हैं। मगर मान लीजिए—रामदेव जी ने “स्वदेशी” के दम पर नहीं, बल्कि प्रोडक्ट की क्वालिटी और सही कीमत पर झंडा गाड़ा है। वरना सिर्फ नारा लगाकर कोई टूथपेस्ट बाज़ार का राजा नहीं बनता।

निष्कर्ष (तंज़ का तड़का)

तो प्यारे देशवासियो, अगर घर का खाना स्वादिष्ट नहीं है, तो हम भी रेस्टोरेंट जाएंगे—चाहे वहां का शेफ विदेशी ही क्यों न हो।
दुनिया से मुकाबला करना है तो नारे नहीं, दमदार प्रोडक्ट बनाइए।
बाकी, आप चाहें तो स्वदेशी घड़ी पहन कर विदेशी कार में बैठकर “विदेशी का बहिष्कार” का नारा जरूर लगाइए।

विडियो

गोलोब्लिजेशन के इस युग में स्वदेशी का नारा देना मेरे विचार से पूर्णतः मूर्खतापूर्ण है । इससे पहले देश इस तरह की नीतियों का खामियाजा भुगत चुका है । उस समय जब इन्हीं नीतियों की वजह से देश की अर्थव्यवस्था चरमराने लगी तब डॉ मनमोहन सिंह ने ग्लोबलाइजेशन पॉलिसी को भारत में इंट्रोड्यूस किया इससे बाहर से निवेश आया बाहरी बाजार हमारे लिए खुला और बाहरी बाजारों के लिए हम भी खुले । देश को इस ग्लोबलाइजेशन के जमाने में जरूरत है ऐसे प्रोडक्ट बनाने की जो की ग्लोबल प्रोडक्ट से लोहा ले सके कम कीमत पर , हमे ऐसे सामनों का निर्माण और निर्यात करना होगा जो देश के बाहरी बाजार से कंपीट करे हमें go ग्लोबल का नारा देना चाहिए न कि स्वदेशी इस्तेमाल करने का स्वदेशी एक झूठ है एक मिथ है मेरे विचार से ध्यान रहे हम सिर्फ अपने विचार व्यक्त कर रहे हैं जिसका आधार फैक्ट है । बाद बाकी मेक इन इंडिया सरकार का बहुत ही बेहतर कदम था मगर उसका शेर अब बबर नहीं शायद गीदड़ हो चुका है । हमको इथेनॉल बनाना चाहिए मगर उसकी कीमत अगर पेट्रोल से भी अधिक है तो उसका कोई फायदा नहीं । ठीक यही सिद्धांत हर प्रोडक्ट पर लागू होता है । हमारे यहां जो भी बने वो दुनिया से बेहतर बने तो लोगों खुद ब खुद स्वदेशी इस्तेमाल करेंगे प्रतिस्पर्धा ही समय की मांग है बाजार को खोलना ही समय की मांग है इसका क्लासिक उदाहरण है बाबा रामदेव के प्रोडक्ट जिसने अपने उच्च गुणवत्ता के दम पर भारत से लेकर विदेशी बाजारों में भी अपना झंडा गारा है । आप भले ही बाब को ट्रॉल करें मगर प्रोडक्ट में दम है इसलिए वो मार्केट लीडर बनने में कामयाब हुए है सिर्फ स्वदेशी के दम पर नहीं स्वदेशी एक जुमला हो सकता है मगर आपका औरों से बेहतर प्रोडक्ट और उसकी कीमत ही आपके पैर बाजार में मजबूत करेगी । बाद बाकी मोदी जी की घड़ी मोदी जी की कार और न जाने क्या क्या विदेशी है ये आपको पता ही होगा बहरहाल वैश्विक बाजार हो या घरेलू बाजार हमें बेहतर प्रोडक्ट बनाने होंगे जो कि अंतराष्ट्रीय मानकों पर खड़ा उतरे साथ ही प्रोडक्ट की कीमत जो विदेशी प्रोडक्ट है उससे कम और बेहतर हो तभी लोग उसका इस्तेमाल करेंगे नहीं तो घर में अगर खाना बढ़िया नहीं बना हो तो हम तो भाई साहब रेस्टोरेंट का रुख करते हैं आप अपना देख लीजिए हम तो यही करेंगे
धन्यवाद।

By Aware News 24

100 खबरे भले ही छुट जाए, एक भी फेक न्यूज़ नही प्रसारित होना चाहिए। बिजली, पानी, स्वास्थ्य और शिक्षा से संबंधित समाचारों को कवर करना हमारी पहली प्राथमिकता है। हम जनता की समस्या को उठाता है और उसे सरकार तक पहुचाते है, उसके बाद सरकार ने समस्या पर क्या कारवाई की इस बात को हम जनता तक पहुचाते हैं। हम किसे के दबाब मे काम नही करते यह कलम और माइक का कोई मालिक नही, हम सिर्फ आपकी बात करते हैं। निष्पक्षता को कायम रखने के लिए हमने पौराणिक गुरुकुल परम्परा को पुनः जीवित करने का संकल्प लिया है। आपको याद होगा कृष्ण और सुदामा की कहानी जिसमे वो दोनों गुरुकुल के लिए भीख मांगा करते थे। आखिर ऐसा क्यों था? तो आइए समझते हैं, वो ज़माना था राजतंत्र का, अगर गुरुकुल चंदे, दान, या डोनेशन पर चलती तो, जो दान देता है उसका संस्थान पर प्रभुत्व होता। मसलन कोई राजा का बेटा है तो राजा गुरुकुल को निर्देश देते की मेरे बेटे को बेहतर शिक्षा दो, जिससे कि भेद-भाव उत्तपन होता इसी भेद भाव को खत्म करने के लिए सभी गुरुकुल मे पढ़ने वाले बच्चे भीख मांगा करते थे। अब भीख पर किसी का क्या अधिकार ! इसलिए हमने भी किसी के प्रभुत्व मे आने के बजाय, जनता के प्रभुत्व मे आना उचित समझा इसलिए भिक्षाम देहि । इस देश के अंतिम व्यक्ति की आवाज और कठिनाई को सरकार तक पहुचाने का भी संकल्प लिया है इसलिए आपलोग निष्पक्ष पत्रकारिता को समर्थन करने के लिए हमे भीख दें 9308563506 पर Pay TM, Google Pay, phone pay भी कर सकते हैं हमारा @upi handle है 9308563506@paytm भिक्षाम देहि। हमें आप सभी सोशल मीडिया पर @awarenews24 के नाम से खोज सकते हैं फिर भी आपके सहूलियत के लिय लिंक निचे दिया जा रहा है। Aware News 24 channel other Links:- Follow us on: https://www.instagram.com/awarenews24/ Like Aware News 24 on Facebook: https://www.facebook.com/awarenews24/ Follow Aware News 24 on Twitter: https://www.twitter.com/awarenews24 Youtube पर Subscribe करें :- https://www.youtube.com/awarenews24 web:- https://www.awarenews24.com web:- http://minimetrolive.com For advertisements e-mail us at: awarenews24@awarenews24.com Editor Desk links Twitter:- https://twitter.com/shubhenduan24 Instagram :- https://www.instagram.com/shubhenduan24 Facebook:- https://www.facebook.com/shubhenduan24

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