गौरतलब है कि सूर्य ग्रहण तब होता है जब सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी पूरी तरह या आंशिक रूप से एक सीध में आ जाते हैं। वो किस तरह से सीध में आते हैं, उसी के आधार पर ग्रहण का अनूठा दृश्य उभरता है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार, सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच से गुजरता है। इससे पृथ्वी पर एक छाया पड़ती है जो कुछ क्षेत्रों में सूर्य के प्रकाश को पूरी तरह या आंशिक रूप से रोक देती है।
हाइब्रिड सूर्य ग्रहण थोड़ा अलग होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि पृथ्वी की सतह घुमावदार है। कभी-कभी एक ग्रहण वलयाकार (annular) और पूर्ण ग्रहण के बीच शिफ्ट हो सकता है, क्योंकि चंद्रमा की छाया दुनियाभर से गुजर रही होती है, इसलिए इसे हाइब्रिड सूर्य ग्रहण कहते हैं। आसान भाषा में समझें तो यह आंशिक, पूर्ण और वलयाकार सूर्य ग्रहण का मिश्रण होता है और कुछ सेकंड के लिए नजर आता है।
Sky.org के अनुसार, हाइब्रिड सूर्य ग्रहण 20 अप्रैल को लगेगा। भारतीय समय के अनुसार, यह ग्रहण सुबह 07:06 बजे से 12:29 बजे तक प्रभावी होगा। हालांकि भारत में यह नहीं दिखाई देगा। यह ग्रहण पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया, पूर्वी तिमोर और पूर्वी इंडोनेशिया से दिखाई देगा। भारत के अलावा अमेरिका से भी इस ग्रहण को देखा नहीं जा सकेगा। इन इलाकों में कुछ लोगों को पूर्ण सूर्यग्रहण दिखाई देगा, जबकि कई लोगों को ‘रिंग ऑफ फायर’ यानी वलयाकार ग्रहण दिखाई देगा। कई लोग आशिंक सूर्य ग्रहण देख पाएंगे। कहा जा रहा है कि ऐसी खगोलीय घटना 100 साल में एक बार होती है।