बंगाल की तरह ही 19वीं सदी के शुरुआत में सूडान में मुस्लिम सिर्फ 20% थे। ज्यादातर आदिवासी थे जो जंगलों में रहते थे, खानाबदोश जीवन जीते थे। यही हाल अफ्रीका के दूसरे तमाम देशों जैसे नाइजीरिया, इथोपिया, घाना, सेनेगल, अल्जीरिया, लीबिया का भी था।
फिर सऊदी अरब का एक एमडी डॉक्टर डॉक्टर अब्दुल रहमान अल सुमैत इस्लाम को फैलाने के लिए अफ्रीका गया। उसने स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित अफ्रीका में जगह-जगह हॉस्पिटल और क्लीनिक खोलें और बदले में उसने ईसाई मिशनरियों के तर्ज पर धर्मांतरण का पूरा गैंग चलाया।
डॉक्टर अब्दुल रहमान अल सुमैंत को सऊदी अरब की दोनों ताकतवर परिवार यानी सऊद परिवार और वहाब परिवार ने पूरी मदद किया खूब पैसे भेजे गए।उसने इन पैसों के सहारे मुल्ला मदरसा मस्जिदों का नेटवर्क खड़ा किया। सिर्फ 70 सालों में अफ्रीका के तमाम देशों के आदिवासियों को इलाज की आड़ में मुसलमान बना दिया गया। जन्नत और 72 हूरों का झांसा भोले भाले आदिवासियों की पीढ़ियों के जीवन का नर्क साबित हुआ।
यानी जो काम मदर टेरेसा भारत में करती थी, वही काम डॉक्टर अब्दुल रहमान अल सुमैंत ने किया। आज इस्लामिक देशों में डॉक्टर अब्दुल रहमान अल सुमैंत को सबसे पूजनीय माना जाता है। तमाम इस्लामिक देशों ने अपने यहां के सभी सर्वोच्च सम्मान से उसे नवाजा।क्योंकि उसने अफ्रीका में इस्लाम को फैला दिया।
जैसा कि हमेशा होता है सूडान में जब तक ईसाई बहुमत में थे, तब तक सूडान में एकदम शांति थी। लोकतंत्र था। फिर जैसे ही मुसलमानो की संख्या एक प्रतिशत ज्यादा हुई उन्होंने किताब का आदेश मानना शुरू कर दिया। मारकाट, दंगा, लूटमार, जेहाद, काफिरों का अंत करना शुरू कर दिया। फिर सूडान गृह युद्ध की आग में जलने लगा।अंत में 9 जून 2011 को संयुक्त राष्ट्र संघ की देखरेख में ईसाइयों को एक हिस्से में बसा दिया गया और एक नया देश बना दिया गया। जिसका नाम था रखा गया साउथ सूडान उसकी राजधानी जुबा बना दी गई।मुसलमानों को नॉर्थ एरिया में बसा दिया गया और उसका नाम सुडान ही रखा गया।
भारत का भी बंटवारा धार्मिक आधार पर हुआ था। लेकिन हिंदुओं को धोखा देने के लिए। महात्मा गांधी और नेहरू के अबूझ नेतृत्व की आड़ लेकर बचे हुए भारत से सौ साल के अंदर हिंदुओं को समाप्त करने की साजिश चली गई। यानी उस वक्त 9% की आबादी ही वह 30% भूभाग ले कई शेष 15% यहीं रोक लिए गए। यह कह दिया गया कि जो मुसलमान पाकिस्तान जाना चाहता है वह जाए जो नहीं जाना चाहता है वह नहीं जाए। इस तरह से मुसलमानों ने एक साजिश के तहत अपने एक भाई को पाकिस्तान भेज दिया और खुद यहां रह गए जिससे भूमि और संपत्ति का बंटवारा भी नहीं हुआ और देश के टुकड़े ले गए।
जैसा कि इस्लाम में होता है कि पहले वह दूसरे धर्म के लोगों के पास विक्टिम कार्ड के साथ जगह मांगेंगे, थोड़ा बढ़ते ही लड़ना शुरू कर देंगे। मिश्र(इजिप्ट) सूर्योपासको का देश था ऐसे ही खत्म किया। इसी रणनीति से ईरान और इराक में पारसियों को खत्म कर दिया,यहूदियों यजीदीयों से उनकी जमीन छीनकर उनको वहां से खत्म कर दिया, पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिंदुओं को खत्म कर दिया, अरब, अफगानिस्तान,मंगोलिया, चीन के यूनान प्रांत में बौद्धों को खत्म कर दिया, उज्बेकिस्तान में बौध्दों को खत्म कर दिया आखिर में अफगानिस्तान में इन्होंने हिंदुओं सिखों और बौद्धों को पूरी तरह खत्म कर दिया। तजाकिस्तान में बुद्ध धर्म का पूरी तरह से खात्मा कर दिया। सारे उदाहरण एक ही पैटर्न के हैं।केवल आंकड़े लेकर स्टडी करिए।
यह सब सूडान में नहीं हो पाया। ईसाई समझ गए, अगर इनके साथ रहे तो यह पूरी तरह हमको खा जाएंगे। तो दक्षिण सूडान में इन्होंने एक भी मुसलमान को रहने का अधिकार नहीं दिया। बंटवारा तो बंटवारा। उन्होंने इस्लामी इतिहास से सीखा। दक्षिण सूडान गरीब है लेकिन बचा हुआ है। वहां मुसलमान को वह नहीं आने देते। क्योंकि ईसाई उनके सारी चाल समझता है। हम हिंदू नहीं समझते या समझते हुए भी शुतुरमुर्गी नीति का सहारा लेते हैं।
जैसा कि हमेशा से होता रहा है पूरी तरह दारुल ए इस्लाम काबिज हो जाने के बाद यह आपस में लड़ते हैं। क्योंकि इन्हें मारकाट हिंसा और लड़ने के लिए कुछ चाहिए।यह जींस और संस्कार में आ जाता है। पाकिस्तान में इन्होंने पहले शियाओं के साथ लड़ाई की, फिर शिया अपनी पहचान छुपा कर रहने लगे। अहमदियाओं का महाविनाश शिया और सुन्नी दोनों करते हैं।
पाकिस्तान में अहमदिया यानी कादियानी शब्द एक भयंकर गाली मानी जाती है। अगर सिर्फ अफवाह फैल जाए कि फलाना शख्स कादियानी यानी अहमदिया है तो सिर्फ 5 मिनट में एक भारी भीड़ उसका सड़क पर कत्लेआम कर देती है। जैसा कि 2014 में एक डॉक्टर के साथ हुआ। अफवाह फैला दी गई डॉक्टर कादियानी है यानी अहमदिया है फिर एक भारी भीड़ ने उस डॉक्टर को उसके क्लीनिक से खींच कर पीट-पीटकर मार डाली। कहने का मतलब है यह है कि दारुल ए इस्लाम के बाद भी इनको शांति नहीं मिलती।जब तक खून खच्चर न हो ठीक से हजम नहीं होता।
अब सूडान में सिर्फ मुस्लिम बचे हैं। क्योंकि लड़ने के लिए ईसाई दूसरे देश चले गए,l तब यह आपस में लड़ रहे हैं। मार काट कर रहे हैं, पूरे देश को बर्बाद कर रहे हैं। दो मुस्लिम जनरल एक दूसरे के दुश्मन बन गए। एक जनरल सेना को नियंत्रित कर रहा है। दूसरा जनरल अर्धसैनिक बलों को नियंत्रित कर रहा है। दोनों के पास लड़ाकू विमान तो और भारी हथियार है और एक जनरल रूस के साथ है, दूसरा जनरल अमेरिका के साथ है।
यह केवल सूडान की ही स्थिति नहीं है यह तो एक उदाहरण है। तकरीबन 57 देशो का भूखंड इनके कब्जे में है यानी दारुल ए इस्लाम बना लिया गया है। उन सभी के सभी भूखंडों में ही सेम इसी पैटर्न पर काबिज हुए जेहादी आपस में इसी तरह एक दूसरे को मार रहे मतलब कल्ले ए गारत कर रहे हैं। खैर हमें क्या हम तो दूर खड़े होकर तमाशा देखेंगे।

By anandkumar

आनंद ने कंप्यूटर साइंस में डिग्री हासिल की है और मास्टर स्तर पर मार्केटिंग और मीडिया मैनेजमेंट की पढ़ाई की है। उन्होंने बाजार और सामाजिक अनुसंधान में एक दशक से अधिक समय तक काम किया। दोनों काम के दायित्वों के कारण और व्यक्तिगत रूचि के लिए भी, उन्होंने पूरे भारत में यात्राएं की हैं। वर्तमान में, वह भारत के 500+ में घूमने, अथवा काम के सिलसिले में जा चुके हैं। पिछले कुछ वर्षों से, वह पटना, बिहार में स्थित है, और इन दिनों संस्कृत विषय से स्नातक (शास्त्री) की पढ़ाई पूरी कर रहें है। एक सामग्री लेखक के रूप में, उनके पास OpIndia, IChowk, और कई अन्य वेबसाइटों और ब्लॉगों पर कई लेख हैं। भगवद् गीता पर उनकी पहली पुस्तक "गीतायन" अमेज़न पर बेस्ट सेलर रह चुकी है।

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