गुंटूर की घटना के लिए जगन मोहन रेड्डी की सरकार जिम्मेदार: अत्चन्नायडू


टीडीपी के प्रदेश अध्यक्ष के. अत्चन्नायडू। | फोटो साभार: विशेष व्यवस्था

तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के प्रदेश अध्यक्ष के. अत्चन्नायडू ने 1 जनवरी को गुंटूर में वुयुरू फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में हुई भगदड़ में तीन महिलाओं की मौत के लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया।

उन्होंने सुझाव दिया कि अगर सरकार कार्यक्रम स्थल पर पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करे तो इस घटना को रोका जा सकता है। जनता के कपड़े‘ और ‘ संक्रांति कनुका‘ निजी धर्मार्थ संस्था द्वारा वितरित किए गए, जिसने पुलिस से पूर्व अनुमति प्राप्त की।

सरकार ने स्पष्ट रूप से उचित सुरक्षा व्यवस्था करने और भीड़ को प्रबंधित करने के अपने कर्तव्य से पल्ला झाड़ लिया जब इतने सारे लोग कार्यक्रम में भाग ले रहे थे, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने मुख्य अतिथि के रूप में वुय्युरू फाउंडेशन द्वारा पेश किए गए उपहारों के लिए अचानक भीड़ से कुछ समय पहले भाग लिया था। परिणामस्वरूप हंगामा हुआ।

श्री अत्चन्नायडू ने बताया कि टीडीपी सरकार ने वाईएस जगन मोहन रेड्डी द्वारा निकाली गई पदयात्रा के लिए पर्याप्त सुरक्षा प्रदान की थी, जब वह विपक्ष के नेता थे।

कुछ मंत्रियों ने दोष (गुंटूर की घटना में) को टीडीपी पर स्थानांतरित कर दिया, इस तथ्य के बावजूद कि सामने आने वाली स्थिति पर त्वरित प्रतिक्रिया से त्रासदी को रोका जा सकता था।

श्री अत्चन्नायडू ने खेद व्यक्त किया कि वाईएसआर कांग्रेस पार्टी की सोशल मीडिया विंग ने भगदड़ के कारण पर संदेह जताया, इससे पहले कि पुलिस द्वारा इसका पता लगाया जा सके।

उन्होंने कहा, “कंदुकुर में श्री चंद्रबाबू नायडू की जनसभा में आठ लोगों की मौत भी पुलिस की विफलता के कारण हुई थी।”

By MINIMETRO LIVE

Minimetro Live जनता की समस्या को उठाता है और उसे सरकार तक पहुचाता है , उसके बाद सरकार ने जनता की समस्या पर क्या कारवाई की इस बात को हम जनता तक पहुचाते हैं । हम किसे के दबाब में काम नहीं करते, यह कलम और माइक का कोई मालिक नहीं, हम सिर्फ आपकी बात करते हैं, जनकल्याण ही हमारा एक मात्र उद्देश्य है, निष्पक्षता को कायम रखने के लिए हमने पौराणिक गुरुकुल परम्परा को पुनः जीवित करने का संकल्प लिया है। आपको याद होगा कृष्ण और सुदामा की कहानी जिसमे वो दोनों गुरुकुल के लिए भीख मांगा करते थे आखिर ऐसा क्यों था ? तो आइए समझते हैं, वो ज़माना था राजतंत्र का अगर गुरुकुल चंदे, दान, या डोनेशन पर चलती तो जो दान देता उसका प्रभुत्व उस गुरुकुल पर होता, मसलन कोई राजा का बेटा है तो राजा गुरुकुल को निर्देश देते की मेरे बेटे को बेहतर शिक्षा दो जिससे कि भेद भाव उत्तपन होता इसी भेद भाव को खत्म करने के लिए सभी गुरुकुल में पढ़ने वाले बच्चे भीख मांगा करते थे | अब भीख पर किसी का क्या अधिकार ? आज के दौर में मीडिया संस्थान भी प्रभुत्व मे आ गई कोई सत्ता पक्ष की तरफदारी करता है वही कोई विपक्ष की, इसका मूल कारण है पैसा और प्रभुत्व , इन्ही सब से बचने के लिए और निष्पक्षता को कायम रखने के लिए हमने गुरुकुल परम्परा को अपनाया है । इस देश के अंतिम व्यक्ति की आवाज और कठिनाई को सरकार तक पहुचाने का भी संकल्प लिया है इसलिए आपलोग निष्पक्ष पत्रकारिता को समर्थन करने के लिए हमे भीख दें 9308563506 पर Pay TM, Google Pay, phone pay भी कर सकते हैं हमारा @upi handle है 9308563506@paytm मम भिक्षाम देहि

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