वैसे तो बैटमैन वाली फिल्म के बाद से जोकर एक खलनायक लगने लगा है, लेकिन परंपरागत तौर पर वो कुटिल नहीं, मासूम सा बेवकूफियां करता जीव होता था। सर्कस का जोकर ऐसी गलतियाँ करता जिसपर लोग हंस सकें। जैसे जैस सर्कस की जगह दूसरे मनोरंजन के माध्यमों ने ली, वैसे वैसे जोकर के लिए काम भी ख़त्म होता गया। ऐसे मसलों पर बनी एक “छोटोदेर छोबी” नाम की बांग्ला फिल्म तो याद आती है, लेकिन ऐसी कोई हिन्दी फिल्म हाल फ़िलहाल में शायद नहीं बनी। जोकर एक ऐसा मुद्दा था जिसके बारे में फिल्म बनाने की (मेरा नाम जोकर के फ्लॉप/हिट होने के बाद) हिन्दी वाले किरान्तिकारियों की हिम्मत नहीं हुई।

इस मुद्दे पर किताबों की तरफ जाएँ तो क़ुएंटिन ब्लेक की किताब “क्लाउन” एक जोकर पर आधारित है। हिन्दी में जोकर किसी किताब का पात्र हो, ऐसा याद नहीं आता। नट, नर्तक जैसे समुदाय या घुमक्कड़ माने जाने वाले जनजातीय समुदायों के बारे में हिन्दी अधिकांश मौन रही है। ऐसी घुम्मकड़ जनजातियों के साथ होने वाले अन्यायों पर भी अधिकांश चुप्पी ही रहती है। अलग संविधान वाले इलाके कश्मीर में जो कठुवा कांड के नाम से जाना जाता है, उसमें भी पीड़िता एक घुम्मकड़ जनजाति से ही थी। खैर तो हम लोग एक किताब पर थे, जो जोकर के बारे में है और हम वहीँ वापस आते हैं।

“क्लाउन” का मुख्य किरदार एक खिलौना जोकर है, जो कपड़े में रुई इत्यादि भरकर बनाया जाता है। पुराना होने पर उसे और कुछ दूसरे खिलौनों को कूड़ेदान में फेंक दिया जाता है। अचानक बेघर हो गए जोकर की समस्या अपने लिए एक घर ढूंढना है। उसे कहीं से एक जोड़ी जूते मिल जाते हैं और उन्हें पहनकर वो शहर में भागदौड़ शुरू करता है। अब वो अपने लिए नहीं, अपने ही जैसे दूसरे खिलौना जानवरों के लिए भी घर ढूंढ रहा होता है। इस सिलसिले में उसकी मुलाकात कुछ बच्चों से होती है। उनके लिए वो एक फैंसी ड्रेस कॉम्पीटिशन में भी भाग लेता है। उसके काम से खुश होकर एक बच्चा उसे घर ले आता है।


अफ़सोस कि बच्चे की माँ जोकर को फिर से बाहर फेंक देती है। वहां उसे एक कुत्ता खदेड़ने की कोशिश करता है। जब वो कुत्ते को डराता है तो उसका मालिक जोकर को एक खिड़की पर दे मारता है। अब जोकर की मुलाकात एक छोटी लड़की और उसके छोटे भाई से होती है। जब जोकर उनकी घर साफ़ करने में मदद करता है तो लड़की और उसका भाई सभी खिलौनों को अपने घर ले आते हैं। इन बच्चों की माँ भी खिलौनों को घर में रखने के लिए राज़ी हो जाती है। इस तरह अपने लिए घर ढूँढने निकले जोकर को तो घर नहीं मिलता, लेकिन जब वो औरों की मदद करने निकलता है तो उसकी मदद अपने आप हो जाती है।

इस किताब की अजीब बात ये है कि इसमें कुछ भी लिखा हुआ नहीं होता। सिर्फ कुछ कार्टून जैसी तस्वीरें हैं, जिनके जरिये बात की गयी है। अब अजीब सी चीज़ों की बाद कि है तो शायद आप सोच रहे होंगे कि एक अजीब सी अंग्रेजी फिल्म, फिर एक अजीब सी बांग्ला फिल्म, फिर एक अजीब सी बिना शब्दों वाली बच्चों की किताब, पर लिखी पोस्ट के साथ हमने एक मॉडल की तस्वीर लगाने जैसी अजीब सी हरकत क्यों की है। ये तस्वीर उन्नीस साल के मॉडल प्रणव बख्शी की है, जो कि भारत के पहले ऐसे मॉडल हैं जो आटिज्म के शिकार हैं। आटिज्म एक मनोरोग है, जिसमें काफी कुछ वैसा ही होता है जैसा हमने इस पोस्ट में किया है।

सोचिये कि आप एक ऐसे कमरे में हों जहाँ एक रडियो पर आकाशवाणी बज रही हो, दूसरे पर कोई दूसरा ऍफ़एम, तीसरे पर बीबीसी के समाचार बज रहे हों, वहीँ एक टीवी चल रहा हो जिसपर कुछ और ही आ रहा हो, वहीँ एक बच्चा भी हो तो रोकर आपका ध्यान आकर्षित करने की कोशिश कर रहा हो। नहीं आप इनमें से किसी को बंद नहीं कर सकते, आपकी मजबूरी चुपचाप बैठकर इन सबको झेलते रहना ही है। मेरी पोस्ट जैसा अलग अलग पैराग्राफ में नहीं, ये सब एक साथ आपका ध्यान आकर्षित कर रहे हों, तो कैसा लगेगा? आटिज्म के शिकार व्यक्ति के दिमाग में लगातार कुछ ऐसा ही चल रहा होता है।

इसके वाबजूद प्रणव बख्शी मॉडलिंग करते हैं। आटिज्म के साथ ही एक ही बात को बार बार दोहराना (इकोलालिया) जैसी बीमारियाँ भी आती है। कुल मिलाकर प्रणव बख्शी चिकित्सकों के हिसाब से 40% विकलांगता झेल रहे हैं। इस बीमारी से जूझ रहे नओकी हिंगाशिदा ने अगर “द रीज़न आई जम्प” न लिखी होती तो मुझे इस बीमारी के बारे में पता भी नहीं होता। प्रणव बख्शी ने इस बीमारी के वाबजूद मॉडलिंग न की होती तो मेरे पास उनके बारे में लिखने की कोई वजह भी नहीं होती। ये अजीब सी कहानियां इसलिए क्योंकि भगवद्गीता के तीसरे अध्याय के तेइसवें श्लोक में श्री कृष्ण कहते हैं –

यदि ह्यहं न वर्तेयं जातु कर्मण्यतन्द्रितः।
मम वर्त्मानुवर्तन्ते मनुष्याः पार्थ सर्वशः।। (भगवद्गीता 3.23)

मोटे तौर पर यहाँ कहा गया है कि लोग महान लोगों का अनुकरण करते हैं, इसलिए अगर मैं सावधानी से कर्म में न लगा रहूँ तो मुझे देखकर सीखते लोगों का क्या होगा? नओकी हिंगाशिदा किताब लिख डालने की, या प्रणव बख्शी मॉडलिंग की हिम्मत न दिखाए तो मेरे जैसे लोग किसे देखकर लिखेंगे! भगवद्गीता के इससे पहले के कुछ श्लोकों में भी कर्म की महिमा ही है (भगवद्गीता 3.21, 3.22)। असल में ये पूरा तीसरा अध्याय ही कर्मयोग से सम्बंधित होता है। बाकी जो दिखाया वो सिर्फ नर्सरी के स्तर का है, खुद सीखना हो तो भगवद्गीता खुद ही पढ़नी होगी ये तो याद ही होगा।

(तस्वीर हिंदुस्तान टाइम्स से साभार)

By Shubhendu Prakash

Shubhendu Prakash – Hindi Journalist, Author & Founder of Aware News 24 | Bihar News & Analysis Shubhendu Prakash एक प्रतिष्ठित हिंदी पत्रकार, लेखक और डिजिटल कंटेंट क्रिएटर हैं, जो Aware News 24 नामक समाधान-मुखी (Solution-Oriented) न्यूज़ पोर्टल के संस्थापक और संचालक हैं। बिहार क्षेत्र में स्थानीय पत्रकारिता, ग्राउंड रिपोर्टिंग और सामाजिक विश्लेषण के लिए उनका नाम विशेष रूप से जाना जाता है। Who is Shubhendu Prakash? शुभेंदु प्रकाश 2009 से सक्रिय पत्रकार हैं और बिहार के राजनीतिक, सामाजिक और तकनीकी विषयों पर गहन रिपोर्टिंग व विश्लेषण प्रस्तुत करते हैं। वे “Shubhendu ke Comments” नाम से प्रकाशित अपनी विश्लेषणात्मक टिप्पणियों के लिए भी लोकप्रिय हैं। Founder of Aware News 24 उन्होंने Aware News 24 को एक ऐसे प्लेटफ़ॉर्म के रूप में विकसित किया है जो स्थानीय मुद्दों, जनता की समस्याओं और समाधान-आधारित पत्रकारिता को प्राथमिकता देता है। इस पोर्टल के माध्यम से वे बिहार की राजनीति, समाज, प्रशासन, टेक्नोलॉजी और डिजिटल विकास से जुड़े मुद्दों को सरल और तार्किक रूप में प्रस्तुत करते हैं। Editor – Maati Ki Pukar Magazine वे हिंदी मासिक पत्रिका माटी की पुकार के न्यूज़ एडिटर भी हैं, जिसमें ग्रामीण भारत, सामाजिक सरोकारों और जनहित से जुड़े विषयों पर सकारात्मक और उद्देश्यपूर्ण पत्रकारिता की जाती है। Professional Background 2009 से पत्रकारिता में सक्रिय विभिन्न प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया संस्थानों में कार्य 2012 से सूचना प्रौद्योगिकी सेवाओं में अनुभव 2020 के बाद पूर्णकालिक डिजिटल पत्रकारिता पर फोकस Key Expertise & Coverage Areas बिहार राजनीति (Bihar Politics) सामाजिक मुद्दे (Social Issues) लोकल जर्नलिज़्म (Local Journalism) टेक्नोलॉजी और डिजिटल मीडिया पब्लिक इंटरेस्ट जर्नलिज़्म Digital Presence शुभेंदु इंस्टाग्राम, यूट्यूब और फेसबुक जैसे प्लेटफ़ॉर्म पर सक्रिय हैं, जहाँ वे Aware News 24 की ग्राउंड रिपोर्टिंग, राजनीतिक विश्लेषण और जागरूकता-उन्मुख पत्रकारिता साझा करते हैं।

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