गजब : Black Hole की पहली तस्‍वीर को वैज्ञानिकों ने फ‍िर से किया तैयार, इस बार नजर आया सबकुछ!

ब्‍लैक होल (Black Hole) ऐसा विषय है, जिसने हमेशा से ही वैज्ञानिकों को लुभाया है। हालांकि ब्‍लैक होल्‍स के बारे में साइंटिस्‍ट अभी तक बहुत गहराई से नहीं जान पाए हैं। साल 2019 में वैज्ञानिकों ने ब्‍लैक होल की पहली तस्‍वीर दिखाई थी। यह विशालकाय ब्लैक होल पृथ्वी से लगभग 54 मिलियन प्रकाश वर्ष दूर ‘मेसियर 87′ (M87) नाम की आकाशगंगा (Galaxy) में मौजूद है। वैज्ञानिकों ने जिस ब्‍लैक होल को दिखाया था, उसकी तस्‍वीर थोड़ी धुंधली थी। उस तस्‍वीर के निर्माण में शामिल एक साइ‍ंटिस्‍ट ने ब्‍लैक होल की तुलना ‘फजी ऑरेंज डोनट’ कहते हुए की थी। करीब 4 साल बाद वैज्ञानिकों ने उस ब्‍लैक होल की नई इमेज को अनवील किया है। 

रिपोर्ट के अनुसार, खास यह है कि वैज्ञानिकों ने नई तस्‍वीर को उसी डेटा की मदद से तैयार किया है, जिससे पहली तस्‍वीर बनाई गई थी। इस बार इमेज रिकंस्‍ट्रक्‍शन एल्‍गोरिदम का इस्‍तेमाल कर फोटो के रेजॉलूशन को बेहतर किया गया है। ब्‍लैक होल को आसान शब्‍दों में समझना हो, तो यह हमारे ब्रह्मांड में ऐसी जगहें हैं, जहां फ‍ि‍ज‍िक्‍स का कोई नियम काम नहीं करता। वहां सिर्फ गुरुत्वाकर्षण है और घना अंधेरा। ब्‍लैक होल्‍स का गुरुत्वाकर्षण इतना पावरफुल होता है, कि उसके असर से रोशनी भी नहीं बचती। जो भी चीज ब्‍लैक होल के अंदर जाती है, वह बाहर नहीं आ सकती।

वैज्ञानिकों ने जिस ब्‍लैक होल की तस्‍वीर को दोबारा तैयार किया है, वह साल 2019 की इमेज के मुकाबले स्‍पष्‍ट नजर आती है। इसमें ब्‍लैक होल के चारों ओर प्रकाश का वलय नजर आता है। बीच में ब्‍लैक होल नजर  आता है। हालांकि नई तस्‍वीर भी बहुत स्‍पष्‍ट नहीं है, लेकिन पहली तस्‍वीर से ज्‍यादा क्लियर है। 

जैसाकि हमने बताया, यह विशालकाय ब्‍लैक होल मेसियर 87 आकाशगंगा में है। इस आकाशगंगा का द्रव्यमान हमारे सूर्य से 6.5 अरब गुना अधिक है। यह आकाशगंगा हमारी मिल्की-वे (Milky Way) से बड़ी और अधिक चमकदार है। इस तस्‍वीर से जुड़ा शोध एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लेटर्स में प्रकाशित हुआ है। शोध की प्रमुख लेखक ‘लिया मेडेइरोस’ ने जिस प्रकार पिछली तस्‍वीर को ‘फजी ऑरेंज डोनट’ कहा था, इस तस्‍वीर को ‘स्कीनी डोनट’ कहा है। 

ब्‍लैक होल की तस्‍वीर को सुधारने के लिए वैज्ञानिकों ने जिस मशीन-लर्निंग तकनीक का इस्‍तेमाल किया, उसे PRIMO कहा जाता है। इसका पूरा नाम है- ‘प्रिंसिपल-कंपोनेंट इंटरफेरोमेट्रिक मॉडलिंग’। तकनीक की मदद से वैज्ञानिकों ने उन गैप्‍स को भरा, जिसका डेटा उन्‍हें नहीं मिला था। वैज्ञानिक अब एक और ब्‍लैक होल की तस्‍वीर को बेहतर बनाने पर विचार कर रहे हैं। यह तस्‍वीर पिछले साल रिलीज की गई थी। 

 

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