Decathlon ने Elops LD500E को लॉन्च किया है, जो एक इलेक्ट्रिक साइकिल है। यह इलेक्ट्रिक साइकिल सिंगल चार्ज में 115 km की रेंज देने का दावा करती है। इसमें दो साइज मिलते हैं, जिनमें S और M शामिल हैं। इसका वजन 23 किलोग्राम है और यह 6061 एल्युमीनियम फ्रेम के साथ बनी है। इसमें 250W क्षमता की मोटर मिलती है।

Decathlon Elops LD500E की कीमत €1,649 (लगभग करीब 1.32 लाख रुपये) है। इस कीमत में भारत में Ola S1 Pro, Bajaj Chetak Electric, TVS iQube, Ather 450 आदि इलेक्ट्रिक स्कूटर बेचे जाते हैं। हालांकि, इलेक्ट्रिक साइकिल में एक खासियत यह है कि इसमें पैडल्स भी मिलते हैं, जिसके जरिए आप इन साइकिल को पारंपरिक तरीके से भी चला सकते हैं, जो सेहत के लिए भी अच्छा होता है।

इस इलेक्ट्रिक साइकिल में दो साइज मिलते हैं। 1.55 से 1.74 मीटर लंबे राइडर्स के लिए, एक लो फ्रेम मॉडल आता है, जिसमें S और M तक के साइज शामिल हैं। वहीं, 1.65 से 1.95 मीटर लंबे राइडर्स के लिए, M साइज में एक हाई-फ्रेम वेरिएंट उपलब्ध है।

डिकेथलॉन एलोप्स एलडी500ई इलेक्ट्रिक साइकिल शहर के साथ-साथ लंबी राइडिंग के लिए भी अच्छी साबित हो सकती है, क्योंकि कंपनी का दावा है कि यह सिंगल चार्ज में 115 km तक रेंज दे सकती है। बाइक का फ्रेम 6061 एल्युमीनियम का बना है और इसका वजन 23 किलो है। इसके हैंडलबार पर एक LCD डिस्प्ले भी मिलता है, जो स्पीड और बैटरी स्टेटस जैसे जरूरी डिटेल्स दिखाता है। इसके अलावा, इसमें तीन पावर लेवल या वॉक असिस्टेंस मोड शामिल है, जिन्हें राइडर डिस्प्ले से ही चुन सकता है।

इलेक्ट्रिक साइकिल में 504Wh का बैटरी पैक दिया गया है, जिसे करीब 7 घंटे में पूरी तरह से चार्ज किया जा सकता है। इसमें 250W क्षमता की मोटर मिलती है, जो 1×8 स्पीड ट्रांसमिशन और बॉटम ब्रैकेट और टॉर्क सेंसर से लैस हैष। यह मोटर 45 Nm तक की पावर जनरेट कर सकती है।



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By MINIMETRO LIVE

Minimetro Live जनता की समस्या को उठाता है और उसे सरकार तक पहुचाता है , उसके बाद सरकार ने जनता की समस्या पर क्या कारवाई की इस बात को हम जनता तक पहुचाते हैं । हम किसे के दबाब में काम नहीं करते, यह कलम और माइक का कोई मालिक नहीं, हम सिर्फ आपकी बात करते हैं, जनकल्याण ही हमारा एक मात्र उद्देश्य है, निष्पक्षता को कायम रखने के लिए हमने पौराणिक गुरुकुल परम्परा को पुनः जीवित करने का संकल्प लिया है। आपको याद होगा कृष्ण और सुदामा की कहानी जिसमे वो दोनों गुरुकुल के लिए भीख मांगा करते थे आखिर ऐसा क्यों था ? तो आइए समझते हैं, वो ज़माना था राजतंत्र का अगर गुरुकुल चंदे, दान, या डोनेशन पर चलती तो जो दान देता उसका प्रभुत्व उस गुरुकुल पर होता, मसलन कोई राजा का बेटा है तो राजा गुरुकुल को निर्देश देते की मेरे बेटे को बेहतर शिक्षा दो जिससे कि भेद भाव उत्तपन होता इसी भेद भाव को खत्म करने के लिए सभी गुरुकुल में पढ़ने वाले बच्चे भीख मांगा करते थे | अब भीख पर किसी का क्या अधिकार ? आज के दौर में मीडिया संस्थान भी प्रभुत्व मे आ गई कोई सत्ता पक्ष की तरफदारी करता है वही कोई विपक्ष की, इसका मूल कारण है पैसा और प्रभुत्व , इन्ही सब से बचने के लिए और निष्पक्षता को कायम रखने के लिए हमने गुरुकुल परम्परा को अपनाया है । इस देश के अंतिम व्यक्ति की आवाज और कठिनाई को सरकार तक पहुचाने का भी संकल्प लिया है इसलिए आपलोग निष्पक्ष पत्रकारिता को समर्थन करने के लिए हमे भीख दें 9308563506 पर Pay TM, Google Pay, phone pay भी कर सकते हैं हमारा @upi handle है 9308563506@paytm मम भिक्षाम देहि

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