पिछले कुछ सालों की तरह इस बार भी दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण काफी ज्यादा बढ़ गया है। हालांकि बुधवार को मामूली सुधार देखा गया था, लेकिन उसके बाद आज सुबह से प्रदूषण का स्तर फिर से गंभीर श्रेणी में आ गया है। इसके चलते दिल्ली एनसीआर में धुंध की मोटी परत आ गई है। दिल्ली के नजदीकी राज्यों में खेतों में पराली जलाने और वाहनों के धुएं के चलते एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) सुबह 7 बजे 408 था। इन दो कारणों के अलावा प्रतिकूल मौसम भी एनसीआर में प्रदूषण की मुख्य वजह है।

दिल्ली की जनता जहरीली हवा में सांस लेने के लिए मजबूर है तो ऐसे में कई नागरिकों ने सांस लेने में दिक्कतों और स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में बताया है। ऐसे में बुजुर्गों और स्कूल जाने वाले बच्चों पर सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ा है। मेडिकल एक्सपर्ट्स का कहना है कि जहरीली हवा के लंबे समय तक संपर्क में रहने से स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याएं पैदा हो सकती हैं। खासकर सुबह के समय जब बच्चे स्कूल जाते हैं तो यह परेशानी चरम पर होती है।

नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स ने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल से एयर क्वालिटी के सुधरने तक स्कूलों को बंद करने का आग्रह किया है, जिसको लेकर विचार किया जा रहा है। हालांकि, अभिभावकों का कहना है कि सरकार को स्कूलों को बंद करने की जगह प्रदूषण के लेवल को कंट्रोल करने के लिए कुछ करना चाहिए। एक महिला ने एनडीटीवी से कहा कि “स्कूलों को बंद करना समाधान नहीं है, सरकार को प्रदूषण के लेवल को कंट्रोल करने के लिए कदम उठाने चाहिए।”

एक अन्य अभिभावक का कहना है कि “हमारे बच्चे  सांस लेने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन सरकार को स्कूलों को बंद नहीं करना चाहिए। उन्हें एयर क्वालिटी को सुधारने के लिए फैसले लेने चाहिए। महामारी के वक्त स्कूल बंद होने के कारण बच्चे पहले से ही परेशान थे।”

शहर का 24 घंटे का AQI  मंगलवार के 424 से घटकर कल 376 हुआ था, जो बीते साल 26 दिसंबर में 459 के बाद सबसे खराब था। 401 और 500 के बीच AQI को गंभीर, इंडेक्स पर सबसे खराब बैंड के तौर पर रखा गया है। शून्य और 50 के बीच एक्यूआई को “अच्छा”, 51 और 100 “ठीक”, 101 और 200 “मध्यम”, 201 और 300 “खराब”, 301 और 400 “बहुत खराब” माना जाता है।

एक्सपर्ट ने कहा कि दिल्ली में 1 से 15 नवंबर के बीच एयर क्वालिटी सबसे खराब है क्योंकि इस दौरान पराली जलाने का काम चरम पर होता है। कृषि मंत्रालय के डाटा के मुताबिक, खेत में पराली जलाने से निकलने वाला धुआं शहर की हवा में छोटे PM 2.5 को पहुंचा रहा है। इन्होंने फेफड़ों को नुकसान पहुंचाने वाले प्रदूषकों का 32 प्रतिशत तक योगदान दिया है। PM 2.5 महीन कण होते हैं जो 2.5 माइक्रोन या उससे कम व्यास के होते हैं। ये रेसपिरेटरी ट्रैक्ट में अंदर तक जा सकते हैं, फेफड़ों तक पहुंच सकते हैं और ब्लडस्ट्रीम में घुस सकते हैं।
 



Source link

By MINIMETRO LIVE

Minimetro Live जनता की समस्या को उठाता है और उसे सरकार तक पहुचाता है , उसके बाद सरकार ने जनता की समस्या पर क्या कारवाई की इस बात को हम जनता तक पहुचाते हैं । हम किसे के दबाब में काम नहीं करते, यह कलम और माइक का कोई मालिक नहीं, हम सिर्फ आपकी बात करते हैं, जनकल्याण ही हमारा एक मात्र उद्देश्य है, निष्पक्षता को कायम रखने के लिए हमने पौराणिक गुरुकुल परम्परा को पुनः जीवित करने का संकल्प लिया है। आपको याद होगा कृष्ण और सुदामा की कहानी जिसमे वो दोनों गुरुकुल के लिए भीख मांगा करते थे आखिर ऐसा क्यों था ? तो आइए समझते हैं, वो ज़माना था राजतंत्र का अगर गुरुकुल चंदे, दान, या डोनेशन पर चलती तो जो दान देता उसका प्रभुत्व उस गुरुकुल पर होता, मसलन कोई राजा का बेटा है तो राजा गुरुकुल को निर्देश देते की मेरे बेटे को बेहतर शिक्षा दो जिससे कि भेद भाव उत्तपन होता इसी भेद भाव को खत्म करने के लिए सभी गुरुकुल में पढ़ने वाले बच्चे भीख मांगा करते थे | अब भीख पर किसी का क्या अधिकार ? आज के दौर में मीडिया संस्थान भी प्रभुत्व मे आ गई कोई सत्ता पक्ष की तरफदारी करता है वही कोई विपक्ष की, इसका मूल कारण है पैसा और प्रभुत्व , इन्ही सब से बचने के लिए और निष्पक्षता को कायम रखने के लिए हमने गुरुकुल परम्परा को अपनाया है । इस देश के अंतिम व्यक्ति की आवाज और कठिनाई को सरकार तक पहुचाने का भी संकल्प लिया है इसलिए आपलोग निष्पक्ष पत्रकारिता को समर्थन करने के लिए हमे भीख दें 9308563506 पर Pay TM, Google Pay, phone pay भी कर सकते हैं हमारा @upi handle है 9308563506@paytm मम भिक्षाम देहि

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *