#AwareNews24 #ShubhenduPrakash #MusharDocumentary
Mushar Documentary पर मेरा रिव्यू — जहाँ कहानी नहीं, बल्कि भावनाएँ बेची जा रही हैं।
सवाल ये है कि क्या ये “सच्ची कहानियाँ” हैं या पैकेज्ड इमोशन्स जो views में बदले जा रहे हैं?
गरीबी को कंटेंट बनाकर सहानुभूति को कारोबार में बदल दिया गया है — और दर्शक अनजाने में उसी शोषण का हिस्सा बन जाता है।
देखिए पूरा विश्लेषण और सोचिए — क्या आज पत्रकारिता का मतलब “संवेदना बेचो और views लो” रह गया है?
यह सिर्फ़ एक रिव्यू नहीं, समाज की आत्मा से जुड़ा सवाल है।
