टीएन बजट |  इरोड में नया वन्यजीव अभयारण्य;  समुद्र के कटाव को रोकने के लिए तटीय बहाली मिशन


इरोड जिले के अंथियुर में बरगुर वन पहाड़ियों की एक फ़ाइल तस्वीर।

तटीय पारिस्थितिकी तंत्र पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए, तमिलनाडु सरकार ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए राज्य के बजट में तमिलनाडु तटीय बहाली मिशन की घोषणा की है। अगले पांच वर्षों में 2,000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से विश्व बैंक की सहायता से लागू किए जाने वाले इस मिशन का उद्देश्य समुद्र के कटाव को रोकना, समुद्री प्रदूषण को कम करना और समुद्री जैव विविधता का संरक्षण करना है।

वित्त मंत्री पलानीवेल थियागा राजन द्वारा सोमवार को पेश किए गए राज्य के बजट में पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और वन विभागों को 1,248 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।

इरोड जिले के अंथियुर और गोबिचेट्टीपलायम के वन क्षेत्रों में 80,567 हेक्टेयर में फैले ‘थनथाई पेरियार वन्यजीव अभयारण्य’ नामक एक नए वन्यजीव अभयारण्य को अधिसूचित किया जाना है। यह राज्य का 18वां वन्यजीव अभयारण्य होगा और नीलगिरी बायोस्फीयर रिजर्व को कावेरी दक्षिण वन्यजीव अभयारण्य से जोड़ेगा।

सरकार ने पक्षियों के संरक्षण को बढ़ावा देने, पक्षीविज्ञान के क्षेत्र में अनुसंधान को प्रोत्साहित करने और प्रकृति में पक्षियों की भूमिका के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए मरक्कनम में एक अंतरराष्ट्रीय पक्षी केंद्र स्थापित करने की भी घोषणा की है।

राज्य भर से 500 महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के नेतृत्व में सरकार जलवायु साक्षरता कार्यक्रम ‘जलवायु योद्धा’ शुरू करेगी। एसएचजी को पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन पर जागरूकता फैलाने के लिए 20 करोड़ रुपये की लागत से इलेक्ट्रिक ऑटोरिक्शा प्रदान किए जाएंगे।

By MINIMETRO LIVE

Minimetro Live जनता की समस्या को उठाता है और उसे सरकार तक पहुचाता है , उसके बाद सरकार ने जनता की समस्या पर क्या कारवाई की इस बात को हम जनता तक पहुचाते हैं । हम किसे के दबाब में काम नहीं करते, यह कलम और माइक का कोई मालिक नहीं, हम सिर्फ आपकी बात करते हैं, जनकल्याण ही हमारा एक मात्र उद्देश्य है, निष्पक्षता को कायम रखने के लिए हमने पौराणिक गुरुकुल परम्परा को पुनः जीवित करने का संकल्प लिया है। आपको याद होगा कृष्ण और सुदामा की कहानी जिसमे वो दोनों गुरुकुल के लिए भीख मांगा करते थे आखिर ऐसा क्यों था ? तो आइए समझते हैं, वो ज़माना था राजतंत्र का अगर गुरुकुल चंदे, दान, या डोनेशन पर चलती तो जो दान देता उसका प्रभुत्व उस गुरुकुल पर होता, मसलन कोई राजा का बेटा है तो राजा गुरुकुल को निर्देश देते की मेरे बेटे को बेहतर शिक्षा दो जिससे कि भेद भाव उत्तपन होता इसी भेद भाव को खत्म करने के लिए सभी गुरुकुल में पढ़ने वाले बच्चे भीख मांगा करते थे | अब भीख पर किसी का क्या अधिकार ? आज के दौर में मीडिया संस्थान भी प्रभुत्व मे आ गई कोई सत्ता पक्ष की तरफदारी करता है वही कोई विपक्ष की, इसका मूल कारण है पैसा और प्रभुत्व , इन्ही सब से बचने के लिए और निष्पक्षता को कायम रखने के लिए हमने गुरुकुल परम्परा को अपनाया है । इस देश के अंतिम व्यक्ति की आवाज और कठिनाई को सरकार तक पहुचाने का भी संकल्प लिया है इसलिए आपलोग निष्पक्ष पत्रकारिता को समर्थन करने के लिए हमे भीख दें 9308563506 पर Pay TM, Google Pay, phone pay भी कर सकते हैं हमारा @upi handle है 9308563506@paytm मम भिक्षाम देहि

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