रिपोर्टों के अनुसार, नेशनल ओसिएनिक एंड एटमॉस्फियरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) ने सोलर फ्लेयर का अलर्ट जारी किया है। इसकी संभावना को 40 फीसदी तक बढ़ा दिया गया है। बताया गया है कि सूर्य में इस वक्त दो सनस्पॉट बने हुए हैं। इनमें से किसी में भी विस्फोट हुआ, तो सोलर फ्लेयर निकलेगा। दोनों ही सनस्पॉट अभी पृथ्वी की ओर हैं, जिस वजह से सोलर फ्लेयर हमारे ग्रह को प्रभावित कर सकता है।
क्या होते हैं सोलर फ्लेयर
जब सूर्य की चुंबकीय ऊर्जा रिलीज होती है, तो उससे निकलने वाली रोशनी और पार्टिकल्स से सौर फ्लेयर्स बनते हैं। हमारे सौर मंडल में ये फ्लेयर्स अबतक के सबसे शक्तिशाली विस्फोट हैं, जिनमें अरबों हाइड्रोजन बमों की तुलना में ऊर्जा रिलीज होती है। इनमें मौजूद एनर्जेटिक पार्टिकल्स प्रकाश की गति से अपना सफर तय कर सकते हैं। जब ये पार्टिकल्स पृथ्वी पर पहुंचते हैं, तो वह पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के साथ इंटरेक्ट करते हैं। दोनों के बीच टकराव से पृथ्वी पर रेडियो संचार और पावर ग्रिड प्रभावित होते हैं। यह कई घंटों या दिनों तक बिजली और रेडियो ब्लैकआउट का कारण बन सकता है। हालांकि बिजली ग्रिड की समस्या तभी होती है जब सोलर फ्लेयर बहुत बड़ा हो।
इसी तरह से कोरोनल मास इजेक्शन या CME, सौर प्लाज्मा के बड़े बादल होते हैं। सौर विस्फोट के बाद ये बादल अंतरिक्ष में सूर्य के मैग्नेटिक फील्ड में फैल जाते हैं। अंतरिक्ष में घूमने की वजह से इनका विस्तार होता है और अक्सर यह कई लाख मील की दूरी तक पहुंच जाते हैं। जब इनकी दिशा की पृथ्वी की ओर होती है, तो यह जियो मैग्नेटिक यानी भू-चुंबकीय गड़बड़ी पैदा कर सकते हैं। इनकी वजह से सैटेलाइट्स में शॉर्ट सर्किट हो सकता है और पावर ग्रिड पर असर पड़ सकता है।
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