yes-or-no-of-congress-with-prashant-kishor-decision-may-be-taken-in-meeting-todayPrashant Kishore (File Photo)

चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) कांग्रेस का साथ निभाएंगे या नहीं. इस बात को लेकर पिछले कई दिनों से लेकर अफवाहों का दौर जारी है.

नई दिल्ली: चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) को पार्टी में लेने के मामले में कांग्रेस (Congress) दुविधा में है. कांग्रेस की सोमवार को हुई अहम बैठक में इसको लेकर कोई फैसला नहीं हो सका. यह घटनाक्रम इंडियन पॉलिटिकल ऐक्शन कमेटी के तेलंगाना राष्ट्रीय समिति के साथ चुनाव को लेकर करार के बाद सामने आया है. सोनिया गांधी ने प्रशांत किशोर को लेकर जो समिति बनाई थी, उसने साफ तौर पर कहा है कि प्रशांत किशोर अगर कांग्रेस से जुड़ते हैं तो उन्हें अन्य पार्टियों के साथ किसी भी प्रकार के चुनावी समझौते से दूर रहना होगा. प्रशांत किशोर आधिकारिक तौर पर खुद को आईपीएसी से दूर कर चुके हैं, लेकिन यह माना जाता है कि संगठन के फैसलों पर उनकी स्पष्ट छाप होती है. कांग्रेस आलाकमान ने सोमवार को अपनी महत्वपूर्ण बैठक की. कांग्रेस की इस बैठक को इसलिए खास माना जा रहा था क्योंकि इसमें ये फैसला होना थाकि चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर 2024 के आम चुनाव से पहले पार्टी के साथ जुड़ेंगे या नहीं. प्रशांत किशोर के प्रस्ताव पर पार्टी आलाकमान की अंतिम बैठक माना गया था.लेकिन कुछ नतीजा नहीं निकला.

पार्टी सूत्रों का कहना है कि प्रशांत किशोर को कांग्रेस में लेने को लेकर पार्टी बंटी नजर आ रही है, लेकिन जिसे कुछ लोग पार्टी के प्रदर्शन में लगातार आ रही गिरावट के मद्देनजर जरूरी मानते हैं. प्रशांत किशोर की एंट्री के समर्थकों में प्रियंका गांधी, अंबिका सोनी आदि हैं. जबकि आपत्ति दर्ज कराने वालों में दिग्विजय सिंह, मुकुल वासनिक, रणदीप सुरजेवाला औऱ जयराम रमेश आदि हैं. केसी वेणुगोपाल औऱ एंके एंटनी ने समर्थन और विरोध में कुछ तर्क दिए हैं, लेकिन उनकी निजी राय अभी पता नहीं चल सकी है. सूत्रों का कहना है कि प्रशांत किशोर को लेकर ये विभाजित रुख ने उन्हें खुद अपनी मनमुताबिक आगे बढ़ने का मौका दे दिया है. पीके की योजना को अमलीजामा पहनाने को लेकर भी विरोध है. यह उनके अन्य हितों और अन्य पार्टियों के हितों के बीच ओवरलैप के रूप में दिख सकता है.

प्रशांत किशोर बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी के राजनीतिक सलाहकार के तौर पर काम करते रहे हैं. आंध्र प्रदेश में जगन मोहन रेड्डी की अगुवाई वाली वाईएसआर कांग्रेस के साथ जुड़े रहे हैं. ये दोनों ही दल कांग्रेस के लंबे समय से प्रतिद्वंद्वी रहे हैं.  प्रशांत किशोर का कांग्रेस को पुनर्जीवित करने की योजना करीब दो साल पुरानी है, जिसका काफी खाका मीडिया में लीक भी हो चुका है. इसमें नेतृत्व में बदलाव का मुद्दा भी शामिल है.

जो लोग प्रशांत किशोर की एंट्री के पक्ष में हैं, उनका मानना है कि इससे कांग्रेस नेतृत्व की खामियां उजागर होंगी और कैसे उनके इर्द-गिर्द जमा लोग काम करते हैं. हालांकि दोनों ही पक्ष का मानना है कि कांग्रेस अध्यक्ष की स्पष्ट मंजूी और समर्थन के बगैर ये नहीं होने वाला है. सूत्रों के अनुसार, कमेटी के लोगों का कहना है कि सोनिया गांधी ने कमलनाथ के साथ अलग से एक बैठक की है और इस मुद्दे पर आम सहमति न बन पाने के बीच वो कोई निर्णय जल्द करेंगी.

इससे पहले आज सुबह पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी के अलावा, प्रशांत किशोर के प्रस्ताव पर उन्हें एक रिपोर्ट सौंपने वाली सात सदस्यीय समिति के सदस्य बैठक के लिए पार्टी प्रमुख के आवास पर पहुंचे थे. समिति के अध्यक्ष पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम और वरिष्ठ नेता के सी वेणुगोपाल, मुकुल वासनिक, अंबिका सोनी, जयराम रमेश, दिग्विजय सिंह और रणदीप सिंह सुरजेवाला हैं. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा और वरिष्ठ नेता एके एंटनी भी बैठक के लिए कांग्रेस अध्यक्ष के 10 जनपथ आवास पर पहुंचे थे.

चुनावी रणनीतिकार की अब तक कांग्रेस नेतृत्व के साथ तीन बैठकें हो चुकी हैं, जिसके दौरान उन्होंने पिछले कुछ वर्षों में चुनावी हार पर मंथन करते हुए पार्टी को फिर से जीवंत करने की अपनी योजना पर विस्तृत प्रस्तुतिकरण दिया है. हालांकि, कांग्रेस के दिग्गजों का एक वर्ग चुनावी रणनीतिकार के साथ साझेदारी से सावधान रहा है, क्योंकि कई पार्टियों के साथ उनका जुड़ाव है जो कि कई राज्यों में कांग्रेस के प्रतिद्वंद्वी हैं.

पार्टी सूत्रों का कहना है कि प्रशांत किशोर को कांग्रेस में लेने को लेकर पार्टी बंटी नजर आ रही है, लेकिन जिसे कुछ लोग पार्टी के प्रदर्शन में लगातार आ रही गिरावट के मद्देनजर जरूरी मानते हैं. प्रशांत किशोर की एंट्री के समर्थकों में प्रियंका गांधी, अंबिका सोनी आदि हैं. जबकि आपत्ति दर्ज कराने वालों में दिग्विजय सिंह, मुकुल वासनिक, रणदीप सुरजेवाला औऱ जयराम रमेश आदि हैं. केसी वेणुगोपाल औऱ एंके एंटनी ने समर्थन और विरोध में कुछ तर्क दिए हैं, लेकिन उनकी निजी राय अभी पता नहीं चल सकी है. सूत्रों का कहना है कि प्रशांत किशोर को लेकर ये विभाजित रुख ने उन्हें खुद अपनी मनमुताबिक आगे बढ़ने का मौका दे दिया है. पीके की योजना को अमलीजामा पहनाने को लेकर भी विरोध है. यह उनके अन्य हितों और अन्य पार्टियों के हितों के बीच ओवरलैप के रूप में दिख सकता है.

प्रशांत किशोर बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी के राजनीतिक सलाहकार के तौर पर काम करते रहे हैं. आंध्र प्रदेश में जगन मोहन रेड्डी की अगुवाई वाली वाईएसआर कांग्रेस के साथ जुड़े रहे हैं. ये दोनों ही दल कांग्रेस के लंबे समय से प्रतिद्वंद्वी रहे हैं.  प्रशांत किशोर का कांग्रेस को पुनर्जीवित करने की योजना करीब दो साल पुरानी है, जिसका काफी खाका मीडिया में लीक भी हो चुका है. इसमें नेतृत्व में बदलाव का मुद्दा भी शामिल है.

जो लोग प्रशांत किशोर की एंट्री के पक्ष में हैं, उनका मानना है कि इससे कांग्रेस नेतृत्व की खामियां उजागर होंगी और कैसे उनके इर्द-गिर्द जमा लोग काम करते हैं. हालांकि दोनों ही पक्ष का मानना है कि कांग्रेस अध्यक्ष की स्पष्ट मंजूी और समर्थन के बगैर ये नहीं होने वाला है. सूत्रों के अनुसार, कमेटी के लोगों का कहना है कि सोनिया गांधी ने कमलनाथ के साथ अलग से एक बैठक की है और इस मुद्दे पर आम सहमति न बन पाने के बीच वो कोई निर्णय जल्द करेंगी.

इससे पहले आज सुबह पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी के अलावा, प्रशांत किशोर के प्रस्ताव पर उन्हें एक रिपोर्ट सौंपने वाली सात सदस्यीय समिति के सदस्य बैठक के लिए पार्टी प्रमुख के आवास पर पहुंचे थे. समिति के अध्यक्ष पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम और वरिष्ठ नेता के सी वेणुगोपाल, मुकुल वासनिक, अंबिका सोनी, जयराम रमेश, दिग्विजय सिंह और रणदीप सिंह सुरजेवाला हैं. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा और वरिष्ठ नेता एके एंटनी भी बैठक के लिए कांग्रेस अध्यक्ष के 10 जनपथ आवास पर पहुंचे थे.

चुनावी रणनीतिकार की अब तक कांग्रेस नेतृत्व के साथ तीन बैठकें हो चुकी हैं, जिसके दौरान उन्होंने पिछले कुछ वर्षों में चुनावी हार पर मंथन करते हुए पार्टी को फिर से जीवंत करने की अपनी योजना पर विस्तृत प्रस्तुतिकरण दिया है. हालांकि, कांग्रेस के दिग्गजों का एक वर्ग चुनावी रणनीतिकार के साथ साझेदारी से सावधान रहा है, क्योंकि कई पार्टियों के साथ उनका जुड़ाव है जो कि कई राज्यों में कांग्रेस के प्रतिद्वंद्वी हैं.

 

पार्टी के सूत्रों ने पहले संकेत दिया है कि सोनिया गांधी ने प्रशांत किशोर के प्रस्ताव का मूल्यांकन करने के लिए बनाई गई विशेष टीम चाहती है कि वह अन्य सभी राजनीतिक दलों से अलग हो जाएं और खुद को पूरी तरह से कांग्रेस के लिए समर्पित कर दें. सूत्रों ने यह भी कहा है कि प्रशांत शोर ने सुझाव दिया था कि कांग्रेस ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस और केसीआर की तेलंगाना राष्ट्र समिति सहित क्षेत्रीय ताकतों के साथ गठजोड़ करे.

By MINIMETRO LIVE

Minimetro Live जनता की समस्या को उठाता है और उसे सरकार तक पहुचाता है , उसके बाद सरकार ने जनता की समस्या पर क्या कारवाई की इस बात को हम जनता तक पहुचाते हैं । हम किसे के दबाब में काम नहीं करते, यह कलम और माइक का कोई मालिक नहीं, हम सिर्फ आपकी बात करते हैं, जनकल्याण ही हमारा एक मात्र उद्देश्य है, निष्पक्षता को कायम रखने के लिए हमने पौराणिक गुरुकुल परम्परा को पुनः जीवित करने का संकल्प लिया है। आपको याद होगा कृष्ण और सुदामा की कहानी जिसमे वो दोनों गुरुकुल के लिए भीख मांगा करते थे आखिर ऐसा क्यों था ? तो आइए समझते हैं, वो ज़माना था राजतंत्र का अगर गुरुकुल चंदे, दान, या डोनेशन पर चलती तो जो दान देता उसका प्रभुत्व उस गुरुकुल पर होता, मसलन कोई राजा का बेटा है तो राजा गुरुकुल को निर्देश देते की मेरे बेटे को बेहतर शिक्षा दो जिससे कि भेद भाव उत्तपन होता इसी भेद भाव को खत्म करने के लिए सभी गुरुकुल में पढ़ने वाले बच्चे भीख मांगा करते थे | अब भीख पर किसी का क्या अधिकार ? आज के दौर में मीडिया संस्थान भी प्रभुत्व मे आ गई कोई सत्ता पक्ष की तरफदारी करता है वही कोई विपक्ष की, इसका मूल कारण है पैसा और प्रभुत्व , इन्ही सब से बचने के लिए और निष्पक्षता को कायम रखने के लिए हमने गुरुकुल परम्परा को अपनाया है । इस देश के अंतिम व्यक्ति की आवाज और कठिनाई को सरकार तक पहुचाने का भी संकल्प लिया है इसलिए आपलोग निष्पक्ष पत्रकारिता को समर्थन करने के लिए हमे भीख दें 9308563506 पर Pay TM, Google Pay, phone pay भी कर सकते हैं हमारा @upi handle है 9308563506@paytm मम भिक्षाम देहि

One thought on “प्रशांत किशोर को लेकर असमंजस में कांग्रेस, जानें इनसाइड स्टोरी”
  1. Its superb as your other posts : D, appreciate it for putting up. “So, rather than appear foolish afterward, I renounce seeming clever now.” by William of Baskerville.

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